Independence Day 2022: मातंगिनी हाजरा के जीवन से जुड़ी 10 बड़ी बातें

मातंगिनी हाजरा एक भारतीय क्रांतिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता थीं, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान, 29 सितंबर 1942 को, तमलुक पुलिस स्टेशन (मिदनापुर जिला) के सामने ब्रिटिश भारतीय पुलिस ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी तब वह सिर्फ 73 साल की थीं।

आइए आज के इस आर्टिकल में हम आपको मातंगिनी हाजरा के जीवन से जुड़ी 10 प्रमुख बातों के बारे में बताते हैं कि उनका जीवन कैसा था, एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उन्होंने देश के लिए क्या योगदान दिए।

मातंगिनी हाजरा के जीवन से जुड़ी 10 बड़ी बातें

मातंगिनी हाजरा के जीवन से जुड़ी 10 बड़ी बातें

1. मातंगिनी हाजरा का जन्म 19 अक्टूबर 1869 को पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले के तमलुक पुलिस थाने के अंतर्गत होगला गांव में दरबारी में हुआ था। उनके बचपन का नाम मातंगिनी मैती था। आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से वे प्राथमिक शिक्षा भी प्राप्त नहीं कर पाई थी।

2. मातंगिनी मैती की शादी 12 साल की उम्र में मेदिनीपुर के अलीनान गांव के एक 60 वर्षीय व्यक्ति त्रिलोचन हाजरा से हुई थी। जिसके बाद वे 18 साल की उम्र में बिना किसी संतान के विधवा हो गई थीं।

3. 1905 में, मातंगिनी हाजरा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से दिलचस्पी लेने लगीं, उनके प्रेरणा स्रोत महात्मा गांधी थे। मिदनापुर में स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की विशेष भागीदारी थी, जिनमें से मातंगिनी एक थी।

4. 1932 में, उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लिया और नमक अधिनियम को तोड़ने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें तुरंत रिहा कर दिया गया, लेकिन उन्होंने फिर से चौकीदारी कर को समाप्त करने का विरोध किया और फिर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

5. महात्मा गांधी से बहुत प्रेरित होकर, उन्होंने अपनी कमजोर दृष्टि के बावजूद सूत कातना शुरू किया। गांधीवादी सिद्धांतों के प्रति समर्पण के लिए लोग उन्हें प्यार से गांधी बरी (बूढ़ी महिला गांधी) कहते थे।

6. नमक सत्याग्रह के दौरान भी मातंगिनी हाजरा ने चोरी-छिपे तमलुक दरबार के परिसर में घुस कर राष्ट्रीय ध्वज फहराया। जिसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था लेकिन पुलिस उनके बुढ़ापे को ध्यान में रखते हुए उन्हें रिहा कर देती थी।

7. 1933 में बंगाल के राज्यपाल सर जॉन एंडरसन ने एक जनसभा को संबोधित करने के लिए तामलुक का दौरा किया, तो मातंगिनी ने चालाकी से सुरक्षा से बचकर उन्होंने मंच पर पहुंचकर एक काला झंडा लहराया। जिसके बाद उन्हें उनकी बहादुरी के लिए छह महीने के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी।

8. 29 सितंबर 1942 को मातंगिनी हाजरा ने तामलुक पुलिस स्टेशन की ओर लगभग 6000 समर्थकों के जुलूस का नेतृत्व किया। जैसे ही वह आगे बढ़ी, पुलिस ने उन पर गोली चला दी। लेकिन गोली लगने बावजूद वे आगे बढ़ने से नहीं रुकी। दूसरी गोली लगने के बाद उन्होंने 'वंदे मातरम' की आवाज उठाई। तीसरी गोली के बाद देश का झंडा हाथ में थामें उन्होंने अपना दम तोड़ दिया और हमेशा के लिए भारतीय क्रांतिकारी के रूप में अमर हो गई।

9. मातंगिनी हाजरा वास्तव में महान साहस, अतुलनीय वीरता और धैर्य की महिला थीं। उन्होंने कई अन्य लोगों को भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई में उनके नक्शेकदम पर चलने के लिए प्रेरित किया था।

10. मातंगिनी हाजरा की मृत्यु के बाद स्वतंत्र भारत में कई स्कूलों, कॉलोनियों और सड़कों का नाम हाजरा के नाम पर रखा गया जिसके बाद 1977 में कोलकाता में उनकी मूर्ति स्थापित की गई। दक्षिण कोलकाता की एक प्रमुख सड़क का नाम उनकी याद में हाजरा रोड रखा गया है।

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English summary
Matangini Hazra was an Indian revolutionary and social activist who participated in the Indian independence movement. He was born on 19 October 1869 in a courtier in Hogla village under Tamluk police station in Midnapore district of West Bengal.
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