कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी अपने कलम नाम घनश्याम व्यास से लोकप्रिय, एक भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के कार्यकर्ता थे। वे गुजरात राज्य के राजनेता, लेखक और शिक्षाविद थे। बता दें कि कन्हैयालाल पेशे से वकील थे लेकिन बाद में उन्होंने लेखक और राजनीतिज्ञ की ओर रुख किया। गुजराती साहित्य में उनका जाना-पहचाना नाम है। उन्होंने 1938 में एक शैक्षिक ट्रस्ट, भारतीय विद्या भवन की स्थापना की।
मुंशी ने अपनी रचनाएं तीन भाषाओं गुजराती, अंग्रेजी और हिंदी में लिखीं। भारत की स्वतंत्रता से पहले, मुंशी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का हिस्सा थे और स्वतंत्रता के बाद, वे स्वतंत्र पार्टी में शामिल हो गए। मुंशी ने भारत की संविधान सभा के सदस्य, भारत के कृषि और खाद्य मंत्री और उत्तर प्रदेश के राज्यपाल जैसे कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। अपने बाद के जीवन में, वह विश्व हिंदू परिषद के संस्थापक सदस्यों में से एक थे।
आइए आज के इस आर्टिकल में हम कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी के जीवन से जुड़ी 10 प्रमुख बातों के बारे में बताते हैं कि उनका जीवन कैसा था, एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उन्होंने देश के लिए क्या योगदान दिए।
कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी के जीवन से जुड़ी 10 बड़ी बातें
1. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी का जन्म 30 दिसंबर 1887 को हुआ था।
2. कन्हैयालाल मुंशी को 'घनश्याम व्यास' के नाम से भी जाना जाता है।
3. कन्हैयालाल मुंशी ने 1938 में एक शैक्षिक ट्रस्ट 'भारतीय विद्या भवन' की स्थापना की थी।
4. श्री अरबिंदो के प्रभाव में कन्हैयालाल मुंशी का झुकाव क्रांतिकारी समूह की ओर था। लेकिन मुंबई में बसने के बाद, वह 'इंडियन होम रूल मूवमेंट' में शामिल हो गए।
5. सन् 1915 में कन्हैयालाल मुंशी 'इंडियन होम रूल मूवमेंट' के सचिव बने।
6. 1927 में, वे बॉम्बे विधान सभा के लिए चुने गए लेकिन 'बारडोली सत्याग्रह' के बाद इस्तीफा दे दिया।
7. कन्हैयालाल मुंशी ने 1930 और 1932 में 'सविनय अवज्ञा आंदोलन' में भाग लिया जिसमें की उन्हें गिरफ्तारी के बाद 2 साल जेल में बिताने पड़े।
8. 1937 में कन्हैयालाल मुंशी बॉम्बे प्रेसीडेंसी चुनाव में चुने गए और गृह मंत्री के रूप में, उन्होंने बॉम्बे में सांप्रदायिक दंगों को दबा दिया।
9. 1940 में 'व्यक्तिगत सत्याग्रह' में भाग लेने के बाद मुंशी को फिर से गिरफ्तार कर लिया गया।
10. जिसके बाद कन्हैयालाल मुंशी की 8 फरवरी 1971 में मृत्यु हो गई।