विश्‍व एड्स दिवस पर स्‍पीच अथवा भाषण

दिसंबर की पहली तारीख को पूरी दुनिया में विश्‍व एड्स दिवस मनाया जाता है, लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि यह दिवस केवल एक दिन नहीं बल्कि साल के 12-13 दिन मनाया जाता है। जी हां इस लेख में हम बात करने जा रहे हैं एड्स दिवस पर स्‍पीच की यानि भाषण की। एड्स दिवस कब-कब और क्‍यों मनाया जाता है और इस बीमारी की वजह से भारत किस दिशा की ओर बढ़ रहा है। यह लेख आपको विश्‍व एड्स दिवस पर स्‍पीच तैयार करने में जरूर मदद करेगा।

सबसे पहले एड्स पर समर्पित तारीखों पर एक नज़र

राष्ट्रीय एड्स दिवस के बीच में विश्व एड्स दिवस मनाए जाने का औचित्य यह सोच पाना किसी के लिए भी कठिन होगा कि भारत जैसे देश में 7 फरवरी से लेकर 15 अक्टूबर के बीच में तेरह राष्ट्रीय एड्स जागरूकता दिवस मनाए जाते हैं। यहां पर राष्ट्रीय का तात्पर्य भारत से नहीं लगाया जाना चाहिए क्योंकि पूरा विश्व वही करता है जो अमेरिका करता है।

विश्‍व एड्स दिवस पर स्‍पीच अथवा भाषण

पहला 7 फरवरी को - पहला अमेरिका में राष्ट्रीय एड्स जागरूकता दिवस काले लोगों के बीच में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है।

दूसरा 10 मार्च को - अमेरिका में नेश्‍नल गर्ल्स एंड विमेन एचआईवी अवेयरनेस डे मनाया जाता है।

तीसरा 20 मार्च को - अमेरिका में नेशनल नेटिव एचआईवी अवेयरनेस डे मनाया जाता है।

चौथा 10 अप्रैल को - नेशनल यूथ एचआईवी अवेयरनेस डे, अमेरिका में मनाया जाता है।

पांचवां 18 अप्रैल को - नेशनल ट्रांसजेंडर एचआईवी टेस्टिंग डे, यह अमेरिका में मनाया जाता है।

छठा 19 मई को - एशिया और प्रशांत महासागर वाले क्षेत्र में रहने वाले लोगों के मध्य जागरूकता फैलाने के लिए एड्स दिवस मनाया जाता है।

सातवां 27 जून को वैक्सीन जागरूकता दिवस दरअसल एड्स के प्रति जागरूकता के लिए ही मनाया जाता है।

आठवां 20 अगस्‍त को अमेरिका में सदर्न एचआईवी एड्स अवेयरनेस डे मनाया जाता है।

नवां 18 सितंबर को - बूढ़े लोगों के बीच में अवेयरनेस फैलाने के लिए यह दिवस मनाया जाता है

दसवां- 27 सितंबर को गे लोगों के मध्य जागरूकता फैलाने के लिए

ग्‍यारहवां 15 अक्‍टूबर को - अमेरिका में नेशनल लैटिंक्‍स एड्स अवेयरनेस डे मनाया जाता है।

बारहवां 1 दिसंबर को - 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाना, जो पूरे विश्‍व में जागरूकता के लिए है।

अब बात भारत की

भारत जैसे देश में भारतीय दंड संहिता की धारा 497 में संबंधों का विस्तार इतना बड़ा कर दिया गया है कि विवाहेत्तर शारीरिक संबंध बनाने की छूट हो चुकी है। भारतीय दंड संहिता की धारा 377 का विस्तार हो चुका है। लैंगिक विवाह को समलैंगिक की तरफ बढ़ा दिया गया है। लिविंग रिलेशन को महत्व दिया जा रहा है। न्यायालय की परिभाषाओ के अंतर्गत 18 साल से ऊपर होने के बाद व्यक्ति की स्वतंत्रता उसके जैविक शरीर तक सिमट गई है। या उसके ऊपर निर्भर करता है वह कैसे कैसे रहे और बात यहीं तक समाप्त नहीं हो जाती है। घरेलू हिंसा यौन शोषण और मानव की गरिमा की वकालत को स्थापित करते हुए आज सुचिता जैसे शब्द से ऊपर दैहिक स्वतंत्रता का विस्तार वहां तक कर दिया गया है, जहां पर हर व्यक्ति के अगल-बगल में शादियों का विस्तार सिमट गया है। हर व्यक्ति दो या तीन शादी कर रहा है तलाक कर रहा है और यह सब कुछ सामाजिक न्याय और क्षमता के प्रकाश में हो रहा है। प्रतिष्ठा और व्यक्ति की गरिमा को नई तरह से परिभाषित किया गया है।

विश्‍व एड्स दिवस पर स्‍पीच अथवा भाषण

ऐसे में आज जब भारत विश्व में एचआईवी एड्स के मामले में तीसरे नंबर पर खड़ा है तो यह सोचने की आवश्यकता है कि विश्व एड्स दिवस की प्रासंगिकता क्या है और इससे क्यों मनाया जा रहा है। किसी व्यक्ति को इससे क्या मतलब कि एड्स का टेस्ट कैसे किया जाता है? एलाइजा टेस्ट हो या फिर पीसीआर टेस्ट हो वह इसकी जटिलता को जानने में रुचि नहीं रखता है। उसे आज इसमें भी रुचि नहीं है कि एचआईवी फैला कैसे क्योंकि दैहिक स्वतंत्रता को जिस तरफ ले जाने का प्रयास किया जा रहा है। वहां पर ड्रग का शोर भी दिखाई दे रहा है। वहां पर गर्भनिरोधक दवाइयों व उपकरणों का एक अंतहीन सिलसिला दिखाई दे रहा है, जिसमें मानव शरीर एक मशीन की तरह प्रयोग होने लगा है।

पर इस मशीन के माध्यम से मिलने वाली क्षणिक आनंद के सापेक्ष व्यक्ति लंबे समय तक चलने वाले शोषण के विरुद्ध इस क्षणिक आनंद को प्राथमिकता दे रहा है और इस प्राथमिकता में इस बात पर मंथन आवश्यक है कि जिस तरीके से महिलाओं को कानून के दायरे में लाकर इस बात का संरक्षण दिया जा रहा है कि वह पुरुषों के साथ रहने के बाद भी सुरक्षित हैं। उनके विरुद्ध सामाजिक रूप से सार्वजनिक रूप से किसी तरह से कोई बात खुलकर सामने नहीं आएगी या प्राइवेसी के विरुद्ध होगा और इसे अपराध घोषित करके जिस तरीके से समाज में संस्कृति के धागे खोले गए हैं।

उसका परिणाम यह है कि सेक्स जैसा शब्द एक सामान्य दिनचर्या का शब्द बन गया है और यदि बिना किसी लाग लपेट के सभी लोग स्वीकार करें तो विश्व एड्स दिवस सिर्फ इस बात की जागरूकता का प्रश्न बन गया है कि किस तरह से दवाओं का प्रयोग करके गर्भनिरोधक का प्रयोग करके व्यक्ति अपने जीवन में अपनी प्राइवेसी को मेंटेन करके एक गोपनीयता का जीवन जी सकता है। और इसके लिए विश्व एड्स दिवस हमें एक बाजारीकरण की ओर ले जा रहा है।

आखिर किन कारणों से हमें एड्स पर चर्चा करनी पड़ रही है

विश्व एड्स दिवस पर भारत जैसे देश में आगे समर्थन की आवश्यकता है। भारतीय संस्कृति में रहने वाला प्रत्येक नागरिक है सोचने लगेगा कि आखिर किन कारणों से हमें एड्स की चर्चाओं पर चर्चा करनी पड़ रही है जो स्पष्ट रूप से इस बात की ओर इंगित करता हुआ दिखाई देगा। अब समाज में विश्वास और एक दूसरे के लिए संबंधों के जीने का ताना-बाना खत्म हो रहा है और इस खात्मे के साथ-साथ व्यक्तिगत जीवन की निजता गोपनीयता जैसे शब्दों ने हमें जिस ओर धकेला वह एड्स बनकर हमारे सामने आया।

विश्‍व एड्स दिवस पर स्‍पीच अथवा भाषण

वैसे तो एचआईवी वायरस को फैलाने में संक्रमित सुई का लगाया जाना भी जिम्मेदार बताया जाता है, जिसमें सबसे ज्यादा ड्रग लेने वाले लोगों का विस्तार है। इसके अलावा संक्रमित सुई से इंजेक्शन लगवाने संक्रमित रक्त से भी एचआईवी फैलता है पर अध्ययन या बताते हैं कि एचआईवी से ग्रसित लोगों में 85 प्रतिशत अनियमित यौन संबंधों के कारण इस बीमारी का शिकार बने। और सबसे अहम बात यह है कि जैसे कोरोनावायरस का कोई इलाज अभी तक नहीं ढूंढा जा सका है, वैसे ही एचआईवी वायरस का भी कोई इलाज नहीं है। सिर्फ इस वायरस के दबाव को कम किया जा सकता है। यह समय है सावधान रहने का और इस बात पर विचार करने का कि हमें विश्व एड्स दिवस मनाना है या 12-13 बार राष्‍ट्रीय एड्स जागरूकता दिवस। इस राष्ट्र को संविधान के प्रस्तावना के अनुसार सामाजिक आर्थिक राजनीतिक न्याय की उस दिशा में ले जाना है, जहां पर प्रत्येक व्यक्ति स्वस्थ हो और यह मूल अधिकार स्थापित करने में वह सक्षम हो।

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Here is the inputs for the speech on World AIDS Day. This will help you in preparing the speech on this event.
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