स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 में एक बंगाली परिवार में हुआ था। हर साल भारत सरकार द्वारा उनकी जंयती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस की मनाने कि घोषणा 1984 में की गई उस समय की तत्कालीन सरकार द्वारा की गई थी। स्वामी विवेकानंद का जन्म नरेंद्र नाथ दत्त के रूप में हुआ था। उन्हें विवेकानंद की उपाधि 1887 में प्राप्त हुई जब उन्होंने सन्यास की प्रतिज्ञा ली। विवेकानंद जी अपने गुरु की पुरुष ही ईश्वर की प्रभावी सेवा के विचार से सबसे अधिक प्रभावित थे। विवेकानंद एक हिंदू भिक्षु होने के अलावा एक दार्शनिक, लेखक, शिक्षक और समाज सुधारक थें।
वह शिक्षा को सभी के लिए महत्वपूर्ण मानते थे। उनका मानना था कि एक प्रभावकारी चरित्र का निर्माण शिक्षा के माध्यम से किया जा सकता है। उनकी इसी विचारधारा को आगे बढ़ाते हुए राष्ट्रीय युवा दिवस को उनकी जयंती को चिन्हित करने के लिए चुना गया। उन्के योगदान और बढ़ावा देने के लिए साथ इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य आने वाली युवा पीढ़ी को राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करना। इस दिवस को हर साल एक थीम के माध्यम से मनाया जाता है और इस दिवस का आयोजन बड़े पैमाने पर किया जाता है।
इस साल भारत स्वामि विवेकानंदा की 160वीं जयंती मनाने जा रहा है और 38 वां राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने वाला है। इस दिवस के उपलक्ष में राष्ट्रीय युवा महोत्सव का आयोजन हुबली, कर्नाटका में किया जाएगा। इस दिवस की शुरुआत 12 जनवरी से 16 जनवरी को किया जाएगा। जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाएगा। इस साल इस दिवस की थीम "विकसित युवा विकसित भारत" तय की गई है।
विश्व धर्म संसद में भारत का प्रतिनिधित्व किया
वर्ष 1893 में शिकागो, अमेरिका में एक विश्व धर्म ससंद का आयोजन किया गया था। इस सम्मेलन कि जानकारी प्राप्त होते ही विवेकानंद में इसमें हिस्सा लेने की इच्छा बढ़ी। कई कठीनाइयों का सामना करते हुए उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व विश्व धर्म संसद में किया। 11 सिंतबर 1893 में उन्होंने संसद में एक जोरदार भाषण से सबको चकित कर दिया। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत अमेरिका मेरे भाईयों और बहनों से की। इस भाषण के दौरान उन्होंने वेदों के ज्ञान की बात की और अध्ययन के बारे में लोगों समझाया। इसके साथ ही उन्होंने हर प्रकार की कट्टरता को समाप्त करने की बात की और हिंदू धर्म के प्रेम को प्रस्तुत किया। उनके इस जानदार भाषाण को लोगों द्वारा स्टैंडिंग ओवेशन प्राप्त हुई।
उन्होंने देश भर में हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया और वेदों आदि के बारे में लोगों को ज्ञान दिया। न सिर्फ भारत में उन्होंने विदेश में भी वेदांत के अध्ययन को महत्वपूर्ण बताया और उसके महत्व को समझाने के लिए लोगों को शिक्षा दी।
राष्ट्रीय युवा दिवस की शुरुआत
राष्ट्रीय युवा दिवस की शुरुआत भारत सरकार द्वारा 1984 में की गई थी और उसके अगले साल से यानी 1985 से इस दिवस को हर साल मनाया जाने लगा। जैसा की हमने आपको बताया कि इस दिवस का उद्देश्य स्वामी विवेकानंद की विचारधारा और शिक्षा के माध्यम युवा पीढ़ी को एकता, एकजुटता के साथ राष्ट्र में उनके योगदान के लिए प्रोत्साहित करना है। इस साल भारत अपना 38 वां राष्ट्रीय युवा दिवस मना रहा है। उन्होंने अपने समय में यानी 1897 में रामकृष्ण मिशन के तहत देश भर में यात्रा कर कई तरह के सम्मेलन और सेमिनारों का आयोजन किया ताकि लोगों को वेदांत की अवधारणा के बारे में सिखाने और उसका ज्ञान देने के लिए किया। उसी तरह आज उनकी अवधारणों को आगे बढ़ाने और उनकी शिक्षाओं का प्रचार करने के लिए राष्ट्रीय युवा दिवस के दिन कई तरह के कार्यक्रम और सेमिनारों का आयोजन किया जाता है।
राष्ट्रीय युवा महोत्सव
राष्ट्रीय युवा दिवस के दिन ही हर साल राष्ट्रीय युवा महोत्सव मनाया जाता है। इस महोत्सव की शुरुआत राष्ट्रीय युवा दिवस 10 साल के बाद 1995 में हुई थी। उसी साल से हर साल 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा महोत्सव के रूप में मनाया जाने लगा है। ये 5 दिवसीय महोत्सव होता है। इस साल भारत 26 वां राष्ट्रीय युवा महोत्सव मनाया जा रहा है। भारत इस साल जी 20 की प्रेसीडेंसी कर रहा है और इसी कारण से इस साल का राष्ट्रीय युवा दिवस बहुत खास होने वाला है। इसी बात पर ध्यान देते हुए इस दिवस की थीम विकसित युवा विकसित भारत तय की गई है।
राष्ट्रीय युवा महोत्सव के प्रमुख कार्यक्रम
- डिजिटल भारत पर चर्चा।
- छात्र-केंद्रिया शासन पर चर्चा।
- युवा सम्मेलन में इनोवेशन, इंडस्ट्री, 21वीं सदी के कौशल का भविष्य, आपदा जोखिमों पर चर्चा, जलवायु परिवर्तन, शांति का निर्माण, युवा और शासन जैसे कइ विषयों पर चर्चा की जाएगी।
- लोक नृत्य और लोक गीत का कार्यक्रम।
- कलारिपायतु, गतका, मल्लखंब, सिलंबम जैसे पारंपरिक खेलों का प्रदर्शन।
- युवा कृति, एडवेंचर फेस्टिवल, सुविचार और यंग आर्टिस्ट कैंप का आयोजन।
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