World Wildlife Day 2023: विश्व वन्यजीव दिवस प्रतिवर्ष 3 मार्च को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाए जाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी। सर्वप्रथम इस दिवस को 3 मार्च 2014 को मनाया गया था और आज तक मनाया जा रहा है। विश्व में लुप्त हो रहे वन्यजीवों की और वनस्पतियों के प्रति लोगों में जागरूकता फैलना के लिए इस दिवस को मनाया जाता है। दुनिया भर में कई ऐसी प्रजातियां है जो विलुप्त होने की कगार पर है उन्हें विलुप्तिकरण से बचना के लिए ये दिवस अस्तित्व में आया है।
आपको बता दें की आने वाले समय में कुछ विशेषज्ञों द्वारा लगाए गए अनुमान के अनुसार 8 हजार से अधिक प्रजातिया लुप्त होने के इस गंभीर खतरे में है। इस बहाली को रोकने के लिए लोगों में इसके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिवर्ष 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस मनाया जाता है, ताकि इन प्रजातियों के अवास और पारिस्थिक तंत्र को स्वस्थ रखा जा सकें और विलुप्त होती जा रही प्रजातियों को संरक्षण प्रदान किया जा सकें। ये एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जो हमारी प्राकृति के लिए भी महत्वपूर्ण है और इसकी तरफ ध्यान आकर्षित करने के शुरुआत इस दिन को मनाए जाने से की जा सकती है।
इस दिवस के बारे में बात करते हुए एक सबसे महत्वपूर्ण सवाल ये है कि इस दिवस की शुरुआत कैसे हुई और क्यों इस दिवस को मनाए जाने के लिए 3 मार्च की तिथि को ही क्यों चुना गया। आइए आपको इस लेख के माध्यम से विश्व वन्यजीव दिवस से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी दें।
क्यों मनाया जाता है विश्व वन्यजीव दिवस
लंबे समय से जलवायु परिवर्त, पर्यावरण में आए परिवर्त आदि के कारण वनों का पारिस्थिक तंत्र पर प्रभाव पड़ता है। किसी प्राकृति आपदा के कारण नष्ट हुए उनके आवासों के कारण भी ये स्थिति उत्पन्न होती है। मुख्य तौर पर विलुप्तीकरण की प्राकृतिक कारणों के वजह से होता है। इस प्रकार लगातार वन्यजीवों के विलुप्त होने के संकट को रोकने के लिए और जल्द से जल्द इसकी रोकथाम पर कार्य करने के लिए विश्व वन्यजीव दिवस मनाया जाता है। ताकि इस दिवस को माध्यम से विश्व में वन्यजीवों और वनस्पतियों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए इस दिवस को मनाया जाता है। ताकि मानव अपने विकास में इन प्रजातियों के विलुप्त होने का कारण और न बनें।
3 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है विश्व वन्यजीव दिवस
जब हम विश्व वन्यजीव दिवस की बात करते हैं तो सबसे पहला प्रश्न मन में ये आता है कि इस दिवस की शुरुआत सही मायनों में कब हुई? क्यों इस दिवस को मनाए जाने के लिए 3 मार्च की तिथि को ही चुना गया? तो आपको बता दें कि आधिकारिक तौर पर इस दिवस की शुरुआत 2013 में की गई थी। विश्व में वन्यजीवों और वनस्पतियों की विलुप्त होती प्रजातियों को ध्यान में रखते हुए और उनके संरक्षण को महत्व देते हुए, लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इस दिवस को मनाए जाने की घोषणा की गई।
दिवस की घोषणा संयुक्त राष्ट्र महासभा के 68 वें सत्र में की गई थी। विश्व वन्यजीव दिवस को आधिकारिक तौर पर संकल्प UN 68/205 के माध्यम से 20 दिसंबर 2013 में की गई थी। उसके बाद पहला विश्व वन्यजीव दिवस 3 मार्च को 2014 में मनाया गया। उस एक साल बाद यानी वर्ष 2015 में इस दिवस को एक विषय यानी थीम को चुना गया जो थी "वन्यजीव अपराध के बारे में गंभीर होने का समय है"। तभी से प्रति वर्ष की दिवस को एक नई थीम के साथ मनाया जाने लगा।
विश्व वन्यजीव दिवस को मनाए जाने के लिए 3 मार्च की तिथि को इसलिए चुना गया क्योंकि इसी दिन 1937 में जंगली जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर सम्मेलन पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस दिवस को इस दिन को चिन्हित करने के लिए एक प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है। इस साल (2023) दुनिया अपना 50वां विश्व वन्यजीव दिवस मना रही है।
सीआईटीईएस क्या है?
जंगली जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कन्वेंशन को शॉर्ट में सीआईटीईएस (CITES) कहा जाता है। 3 मार्च 1973 में इस पर हस्ताक्षर किए गए थे और 1 जुलाई 1975 में प्रभावी हुआ था। आपको बता दें की सीआईटीईएस को वाशिंगटन कंवेंशन के रूप में भी जाना जाता है। ये एक बहुपक्षीय संधि है जिस पर 80 देशों की एक एक बैठक के दौरान हस्ताक्षर किए गए थे।
इस बैठक का आयोजन प्रकृति संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ - आईयूसीएन के द्वारा किया गया था और इस कंवेंशन पर हस्ताक्षर भी आईयूसीएन के सदस्यों देशों द्वारा किए गए थे। आपको बता दें की सीआईटीईसी का ड्राफट का प्रस्ताव आईयूसीएन के सदस्य देशों की एक बैठक के दौरान 1963 में अपनाया गया था। सीआईटीईएस का मुख्य उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के कारण वनस्पति और वन्यजीवों को विलुप्त होने के खतरों से बचाना कर उनकी रक्षा करना है।
विश्न वन्यजीव दिवस 2023 की थीम
जैसा की हमने आपको बताया कि इस दिवस को एक थीम के साथ मनाए जाने की शुरुआत वर्ष 2015 में की थी और उस साल इस दिवस को लिए "वन्यजीव अपराध के बारे में गंभीर होने का समय है" थीम को चुना गया था। ठीक उसी तरह विश्व वन्यजीव दिवस 2023 के लिए भी थीम का चुनाव कर लिया गया है और इस साल इस दिवस को मनाने के लिए "वन्यजीव संरक्षण के लिए साझेदारी" की थीम को चुना गया है। प्रतिवर्ष नई थीम की घोषणआ संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से शेयर की जाती है।
आइए आपको बताएं की 2015 से आज तक इस दिवस को किन नई थीमों के साथ मनाया गया है।
2015: "वन्यजीव अपराध के बारे में गंभीर होने का समय है"
2016: "वन्यजीवों का भविष्य हमारे हाथों में है, एक उप-विषय के साथ "हाथियों का भविष्य हमारे हाथों में है"
2017: "युवा आवाज़ों को सुनो"
2018: "बिग कैट्स - शिकार के तहत शिकारियों"
2019: "पानी के नीचे का जीवन: लोगों और ग्रह के लिए"
2020: "पृथ्वी पर सभी जीवन को बनाए रखना"
2021: "वन और आजीविका: लोगों और ग्रह को बनाए रखना"
2022: "पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली के लिए प्रमुख प्रजातियों को पुनर्प्राप्त करना"
भारत में कितनी वन्यजीव सैंक्चुअरी है
भारत में हाल में 567 सैंक्चुअरी हैं। जिसने भारत के भूभाग में 122,564 किलोमीटर का क्षेत्र ले रखा है। क्योंकि भारत में भी कई ऐसी प्रजातियां है जो विलुप्त होने की कगार पर है और कई ऐसी है जिनकों आवास देने के लिए नई सैंक्चुअरी निर्माण का कार्य चल रहा है। आने वाले समय में भारत में और 218 नई सैंक्चुअरी बनेंगी।
विश्व स्तर पर बात करें तो विश्व में कुल 1600 वन्यजीव अभयारण्य (सैंक्चुअरी) है। जहां कई वन्यजीवों को विलुप्त होने से रोकने के लिए कार्य चल रहा है व साथ ही विलुप्ती होती प्रजातियों को संरक्षित किया जा रहा है।
क्यों होता है वन्यजीवों का विलुप्तीकरण
प्रमुख तौर पर वन्यजीवों का विलुप्तीकरण प्राकृतिक कारणों से होता है। जिसमें आपदाएं आदि शामिल होती है। आइए आपको बताएं इसके मुख्य कारण
1. प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन
2. प्रदूषण
3. भूकंप, ज्वालामुखी विस्पोट और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाएं
4. आवास की हानी
5. मनुष्यों द्वारा आवास और कृषि आदि के लिए वनों को खत्म करना
6. पेड़ों की कटाई
7. वन्यजीवों का शिकार
8. अक्रामक जीवों के कारण कमजोर प्रजातियां का शिकार
भारत सरकार द्वारा पर्यावरण और वन्यजीवों के लिए चलाए गए एक्ट
भारत में वन्यजीवों के विलुप्तीकरण को रोकने और उन्हें संरक्षण देने के लिए के साथ पर्यावरण और जैव विविधता के महत्व को समझते हुए कई महत्वपूर्ण 10 एक्ट बनाएं गए हैं, जो इस प्रकार है -
1. मत्स्य अधिनियम 1897
2. भारतीय वन अधिनियम 1927
3. खनन और खनिज विकास विनियमन अधिनियम 1957
4. 1960 के जानवरों के लिए क्रूरता की रोकथाम
5. वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972
5. पानी अधिनियम 1974 (प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए)
6. वन संरक्षण अधिनियम 1980
7. वायु अधिनियम 1981 (प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए)
8. पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986
9. जैविक विविधता अधिनियम 2002
10. अनुसूचित जनजातियाँ और अन्य पारंपरिक वन निवासियों अधिनियम 2006