Makhanlal Chaturvedi Jayanti: 16 वर्ष की आयु में बनें शिक्षक फिर राष्ट्र कवि, जानिए कौन थे माखनलाल चतुर्वेदी?

Makhanlal Chaturvedi Biography in Hindi: जब भी आप हिन्दी साहित्य की बात करते हैं तो सैंकड़ों नामों में एक नाम माखनलाल चतुर्वेदी का अवश्य लिया जाता है। उन्होंने अपनी रचनाओं, कविताओं और लेखन से हिन्दी साहित्य को एक अलग पहचान दिलाई है। माखनलाल चतुर्वेदी एक प्रसिद्ध भारतीय कवि, लेखक, निबंधकार और पत्रकार के रूप में पहचाने जाते हैं। प्रत्येक वर्ष 4 अप्रैल को उनके जन्म जयंती के अवसर पर राष्ट्रकवि माखनलाल चतुर्वेदी जयंती (Makhanlal Chaturvedi Jayanti) मनाई जाती है।

पंडित माखनलाल चतुर्वेदी को भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भागीदारी और हिंदी साहित्य के नव-रोमांटिकवाद आंदोलन, छायावाद में उनके योगदान के लिए विशेष रूप से पहचाना जाता है। हिंदी साहित्य और पत्रकारिता में उनके योगदान के कारण उन्हें "राष्ट्र कवि" की उपाधि से सम्मानित किया गया। इसका अर्थ है कि माखनलाल चतुवेदी को राष्ट्रीय कवि की पहचान हासिल है।

हिन्दी साहित्य और स्वतंत्रता आंदोलन में माखनलाल चतुर्वेदी के योगदान

उन्होंने भारत के विभिन्न स्वतंत्रता आंदोलनों में भी भाग लिया। उनकी कुछ महान कृतियां हैं हिम कीर्तिनी, हिम तरंगिनी, युग चरण, साहित्य देवता और वेणु लो गुंजे धारा। आइए जानें माखनलाल चतुर्वेदी के जीवन, स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भागीदारी और हिन्दी साहित्य में योगदान के बारे में अधिक विस्तार से। इससे पहले पढें माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय (jeevan parichay of makhanlal chaturvedi)

महज 16 वर्ष की आयु में ही बनें स्कूल के शिक्षक

माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल 1889 को भारत के मध्य प्रदेश के होशंगाबाद (अब नर्मदापूरम) जिले के बाबई गाँव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा होशंगाबाद में पूरी की और बाद में इंदौर के होलकर कॉलेज से कला स्नातक की डिग्री हासिल की। माखनलाल चतुर्वेदी महज 16 वर्ष की आयु में ही स्कूल के शिक्षक बन गये। बाद में उन्होंने एक राष्ट्रवादी पत्रिका प्रभा के लिए लिखना शुरू किया। उन्होंने विभिन्न राष्ट्रवादी पत्रिकाओं प्रभा, प्रताप और कर्मवीर जैसी पत्रिकाओं में बतौर संपादक कार्य किया। पत्रिकाओं में संपादक के पद पर रहते हुए माखनलाल चतुर्वेदी को कई बार जेल भी जाना पड़ा।

बाद में, वह राष्ट्रवादी पत्रिकाओं प्रभा, प्रताप और कर्मवीर के संपादक थे और ब्रिटिश राज के दौरान उन्हें बार-बार जेल में रखा गया। भारतीय स्वतंत्रता के बाद, उन्होंने सरकार में कोई पद पाने से परहेज किया, इसके बजाय उन्होंने सामाजिक बुराइयों के खिलाफ और महात्मा गांधी की कल्पना के अनुसार शोषण-मुक्त, न्यायसंगत समाज के समर्थन में बोलना और लिखना जारी रखा।

साहित्यिक के क्षेत्र में माखनलाल चतुर्वेदी

माखनलाल चतुर्वेदी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से गहराई से प्रभावित थे और उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन का समर्थन करने के लिए साहित्य को अपने हथियार के रूर में चुना। देश के लिए आजादी के कई आंदोलन में उन्होंने अपनी साहित्यिक क्षमता का इस्तेमाल किया। उन्होंने देशभक्ति, राष्ट्रवाद और आम आदमी की दुर्दशा पर विस्तार से कई लेख लिखें। उनकी कुछ उल्लेखनीय कृतियों में "हिम तरंगिनी", "साहित्य देवता", "पुष्प की अभिलाषा" और "युग चरण" शामिल हैं।

जब चतुर्वेदी पर छाया पत्रकारिता का जुनून

हिन्दी साहित्यकार माखनलाल चतुर्वेदी, स्वतंत्रता आंदोलन के दिनों में एक प्रमुख पत्रकार के रूप में भी जाने जाते थे। उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने हिंदी साप्ताहिक पत्रिता "मर्यादा" की स्थापना की और इसके संपादक के रूप में कार्य किया। उन्होंने अपने मंच का उपयोग सामाजिक मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और जनता को अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करने के लिए किया। (Makhanlal Chaturvedi ka Jivan Parichay)

जेल में रहते हुए की "एक पुष्प की अभिलाषा" की रचना

भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान माखनलाल चतुर्वेदी ने अपने लेखन के माध्यम से आजादी के लिए लड़ाई लड़ी। जब माखनलाल चतुर्वेदी को असहयोग आंदोलन में भाग लेने के लिए बिलासपुर जेल (वर्तमान छत्तीसगढ़) में कैद किया गया था, तब उन्होंने एक पुष्प की अभिलाषा या ए फ्लावर्स विश लिखी थी। इस कविता में प्रतीकवाद का प्रयोग उल्लेखनीय है। फूल एक अलंकरण या एक महिला द्वारा सुशोभित आभूषण होने से इनकार करता है। यह मांगी गई या वांछित वस्तु होने से इंकार करता है।

यहां पढ़ें: Sam Manekshaw Biography in Hindi: भारत के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ कौन हैं?

इस कविता में फूल बहादुर शहीदों की कब्रों पर बरसाए जाने की अपेक्षा रखते हैं। वह अपनी कविता के माध्यम से शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं क्योंकि उन बहादुर आत्माओं ने अपनी मातृभूमि के लिए निस्वार्थ भाव से अपना जीवन बलिदान कर दिया है। उन्होंने देशवासियों के ऐसे निडर गुण की प्रशंसा की और इसे एक उद्देश्यपूर्ण अस्तित्व माना।

कर्मवीर के माध्यम से उन्होंने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध जमकर प्रदर्शन और प्रचार किया और युवाओं को दासता से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। उन्होंने भारत की आजादी के बाद सरकार में कोई पद नहीं मांगा, बल्कि सामाजिक बुराइयों के खिलाफ और महात्मा गांधी के शोषण-मुक्त, न्यायसंगत समाज के दृष्टिकोण के समर्थन में बोलना और लिखना जारी रखा।

साहित्य अकादमी और पद्म भूषण से सम्मानित

माखनलाल चतुर्वेदी को उनकी काव्य कृति "हिम तरंगिनी" के लिए 1955 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। साहित्य और पत्रकारिता में उनके योगदान के लिए उन्हें 1963 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक, पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था। उनकी स्मृति में, मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी (मध्य प्रदेश सांस्कृतिक परिषद) द्वारा 1987 से हर साल 'माखनलाल चतुर्वेदी समारोह' का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा किसी भारतीय कवि को कविता में उत्कृष्टता के लिए वार्षिक 'माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार' से सम्मानित किया जाता है।

मध्य प्रदेश के भोपाल में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय का नाम उनके सम्मान में रखा गया। चतुर्वेदी की कविता अपने देशभक्तिपूर्ण उत्साह, मानवतावाद और गीतात्मक सौंदर्य के कारण पाठकों के बीच आज भी गूंजती रहती है। उनका लेखन पीढ़ियों को सत्य, न्याय और करुणा के मूल्यों को बनाए रखने के लिए प्रेरित करता है। 30 जनवरी, 1968 को माखनलाल चतुर्वेदी का निधन हो गया। उन्होंने भारत में हिन्दी साहित्य जगत के लिए एक समृद्ध साहित्यिक विरासत खड़ी की है जो हिंदी साहित्य को युगों-युगों तक प्रेरित और समृद्ध करती रहेगी।

माखनलाल चतुर्वेदी की प्रमुख रचनाएँ | Books by Makhanlal Chaturvedi

  • हिम कीर्तिनी
  • हिम तरंगिणी
  • युग चारण
  • साहित्य देवता
  • समग्र कविताएं
  • कृष्णार्जुन युद्ध
  • कला का अनुवाद

माखनलाल चतुर्वेदी की कविताएं| Makhanlal Chaturvedi Poems

  • वेणु लो गू़ँजे धरा
  • दीप से दीप जले
  • कैसा छन्द बना देती है
  • पुष्प की अभिलाषा
For Quick Alerts
ALLOW NOTIFICATIONS  
For Daily Alerts

English summary
Makhanlal Chaturvedi Biography in Hindi: Whenever you talk about Hindi literature, one name of Makhanlal Chaturvedi is definitely taken among hundreds of names. He has given a distinct identity to Hindi literature through his compositions, poems and writings. Makhanlal Chaturvedi is recognized as a famous Indian poet, writer, essayist and journalist. National poet Makhanlal Chaturvedi Jayanti is celebrated every year on 4th April on the occasion of his birth anniversary.
--Or--
Select a Field of Study
Select a Course
Select UPSC Exam
Select IBPS Exam
Select Entrance Exam
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
Gender
Select your Gender
  • Male
  • Female
  • Others
Age
Select your Age Range
  • Under 18
  • 18 to 25
  • 26 to 35
  • 36 to 45
  • 45 to 55
  • 55+