पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारत एक आदर्श राष्ट्र के रूप में निर्माण के लिए बहुत काम किया है। वह पहले व्यक्ति थें जिन्होंने भारत की पूर्ण स्वतंत्रता का बात सामने रखी और उसे प्राप्त करने के कई प्रयास किये। उन्होंने गांधी के साथ मिलकर कई आंदोलनों का नेतृत्व किया, जिसके लिए उन्हें अपने जीवन काल के 3259 दिन जेल में व्यतीत किए। गांधी जी चाहते थे कि नेहरू जी भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने और ऐसा हुआ भी नेहरू जी को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होंने अपने जीवन काल में बच्चों और युवा पीढ़ी के लिए शिक्षा को महत्वपूर्ण समझा और आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थानों की स्थापना की। नेहरू का मानना था कि आने वाला कल आज के बच्चों द्वारा ही बनाया जाएगा। इसलिए वह बच्चों के लिए सुरक्षित राष्ट्र का निर्माण चाहते थें। आधिकारि तौर पर उनकी जयंती को बाल दिवस के रूप में 1957 में मनाया गया था। उस दिन से आज तक उनकी जयंती को हस साल बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
जवाहरलाल नेहरू की जयंती को बाल दिवस के रूप में क्यों चुना गया?
शुरुआती समय में भारत विश्व बाल दिवस के दिन ही को बाल दिवस के रूप में मनाता था। बाद में इसे पंडित जवाहरलाल नेहरू की जंयती के दिन मनाने का फैसला किया गया। सभी जानते हैं की नेहरू जी को बच्चों से खास लगाव था। उनका एक कोट है जिसमें उन्होंने कहा है कि "मेरे पास वयस्कों के लिए समय नहीं हो सकता है, लेकिन मेरे पास बच्चों के लिए पर्याप्त समय है।"। ये लाइन बच्चों के प्रति उनका प्यार लगाव दिखाती है। उनका मनाना था की आज के बच्चे कल के सफल भारत का भविष्य हैं। जिसे हमें आज बनाना है। इनके भविष्य को आकर देने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा। बाल दिवस का मुख्य उद्देश्य बच्चों को शिक्षा दिलाना और उनके अधिकारों को उन्हें समझाना है। इसी के साथ देशवसियों में बच्चों के अधिकारों और महत्व को लेकर जागरूकता पैदा करना है, ताकि आने वाले समय में कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रह सके साथ ही किसी प्रकार से उसके अधिकारों को हनन किसी अन्य के द्वारा न किया जा सके। एक समृद्ध राष्ट्र बनाने के लिए हमे बच्चों को और उनके भविष्य को सुरक्षित करना होगा तभी भारत समृद्धि के मार्ग पर आगे बढ़ पाएगा।
भारत की प्रगति के उनेक विचारों और उनके द्वारा भारत निर्माण में उनके योगदाने को सम्मानिक करने के लिए भारत में उनकी जंयती को बाल दिवस के रूप में मनाता है, ताकि हर साल लोगों में बच्चों और उनके अधिकारों को लेकर जागरूकता पैदा की जा सके। भारत के सभी स्कूलों में उनकी जयंती को कई खेलों और एक्टिविटीज के आयोजन कर मनाया जाता है।
नेहरू जी का यागदान
भारत के निर्माण और भारत की पूर्ण स्वतंत्रता में नेहरू का महत्तवपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने हिंदु-मुस्लिम एकता को आगे बढ़ाया। भारत में जातयी और धार्मिक विविधता के बाद भी एकता को मूल मंत्र बना कर कर लोगों को एकजुट किया। भारत के सभी आंदोलनों में लोगों को एकत्रित किया और उन्हें एकजुट होकर देश की पूर्ण स्वतंत्रता के रास्त पर आगे चलने के प्रोत्साहित किया। उन्होंने लोगों में बहिष्कृत लोगों के प्रति सामजिक देखभाल और लोकतांत्रिक मानदंडो के प्रति सम्मान की भावना पैदा करने का कार्य किया।
भारत की स्वतंत्रता के बाद एक पहले प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने 14 वर्षों तक सेवा में रहे। उनकी लोकप्रियता, अच्छी सूझ-बूझ और मार्गदर्शन के कारण उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर 3 बार चुना गया। प्रधानमंत्री के अपने कार्यकाल में उन्हें भारत को लोकतांत्रिक और समाजवादी बनाने पर अधिक जोर दिया। उन्हें अपने जीवन काल में चार स्तंभों का अधार बनाया और वह स्तंभ थें, धर्मनिरपेक्षता, एकता, समाजवाद और लोकतंत्र। जिसे उन्हें पूरी तरह निभाया।
नेहरू का दर्शन
नेहरू का मानना था कि एक राज्य को संगठित करने और निर्देशित करने के लिए एक राष्ट्रीय दर्शन की आवश्यकता होती है। उन्होंने एक संगठित राष्ट्रीय दर्शन विकसित करने के लिए बहुत प्रायस किये। वह भारत का आधुनिकीरण चाहते थें और उनका मानना था की आधुनिकीकरण भारत का राष्ट्रीय दर्शन है। उनके इसी विचार को देखते हुए गांधी जी द्वारा उन्हें आधुनिक भारत का वास्तुकार कहा।
नेहरू ने अपने आधुनिकीकरण के दर्शने में सात उद्देश्य की चर्चा की थी। उन्होंने इसमें संसदीय लोकतंत्र, राष्ट्रीय एकता, वैज्ञानिक संभावना, धर्मनिरपेक्षता, गुटनिरपेक्षता, समाजवाद और औद्योगीकरण को शामिल किया। उन्होंने देश को आगे बढ़ाने और प्रगति की दिशा प्रदान करने के लिए उन्होंने आईआईटी खड़गपुर की स्थापना 1951 में की और कोलकाता में भारतीय प्रबंधन संस्थान की स्थापना 1961 में की।