Who is Jannayak Karpoori Thakur: कौन हैं जननायक कर्पूरी ठाकुर, मरोणोपरांत भारत रत्न से किये जाएंगे सम्मानित

Who is Jannayak Karpoori Thakur Biography in Hindi: "जननायक" अर्थात जनता का नायक या हीरो। यही पहचान थी बिहार के भूतपूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की। 2024 में उन्हें मरणोपरांत भारत सरकार द्वारा भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किये जाने की घोषणा की गई।

कर्पूरी ठाकुर ने मजदूरों के हित के लिए किया आमरण अनशन

राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी एक घोषणा के माध्यम से उक्त जानकारी दी गई। गौरतलब हो कि यह घोषणा दिवंगत समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर की जन्म जयंती से एक दिन पहले की गई है।

'सामाजिक न्याय का प्रतीक': प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्पूरी ठाकुर को 'सामाजिक न्याय का प्रतीक' बताते हुए कहा कि "दलितों के उत्थान के लिए उनकी अटूट प्रतिबद्धता और उनके दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत के सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने पर एक अमिट छाप छोड़ी है।" माइक्रोब्लॉगिंग सोशल मीडिया साइट एक्स पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आधिकारिक हैंडिल से जनता को संबोधित करते हुए कहा, "मुझे खुशी है कि भारत सरकार ने सामाजिक न्याय के प्रतीक, महान जन नायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित करने का फैसला किया है और वह भी ऐसे समय में जब हम उनका जन्म शताब्दी दिवस मना रहे हैं।"

देश के सबसे प्रतिष्ठित सम्मान भारत रत्न से कर्पूरी ठाकुर को सम्मानित करने का निर्णय बेशक कमजोर तबके के लोगों के लिए एक समानता और सशक्तिकरण के एक समर्थक के रूप में उनके स्थायी प्रयासों का प्रमाण है। वंचितों के उत्थान के लिए उनकी अटूट प्रतिबद्धता और उनके दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत के सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने पर एक अमिट छाप छोड़ी है। यह पुरस्कार सम्मान न केवल उनके उल्लेखनीय योगदान का सम्मान करता है, बल्कि हमें एक अधिक न्यायपूर्ण और न्यायसंगत समाज बनाने के उनके मिशन को जारी रखने के लिए भी प्रेरित करता है।"

आइए जानते हैं आखिर कौन हैं बिहार के भूतपूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर, जिन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

कौन हैं कर्पूरी ठाकुर?| Who is Karpoori Thakur Biography in Hindi

प्रमुख समाजवादी नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को उनके अनुयायी 'जननायक' के नाम से भी पूजते हैं। उन्हें मुख्य रूप से बिहार के पिछड़ी जातियों को मजबूत करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है।

कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी 1924 को बिहार के समस्तीपुर जिले के एक छोटे से ग्राम पितौंझिया में हुआ। उनके पिता का नाम गोकुल ठाकुर और मां का नाम रामदुलारी देवी था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बिहार से ही प्राप्त की। अपनी शिक्षा के दौरान ही राष्ट्रवादी विचारों से प्रभावित होकर उन्होंने एक छात्र कार्यकर्ता के रूप में ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन ज्वॉइन कर लिया।

जेल में बिताये 26 महीने

अपनी स्नातक की पढ़ाई के दौरान उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल होने और स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने का निर्णय लिया, जिसके फलस्वरूप उन्होंने अपने स्नातक की पढ़ाई अधूरी छोड़ दी। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने और ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल होने के लिए अंग्रेजों ने ठाकुर को जेल में डाल दिया गया था। ब्रिटिश शासन से देश को आजादी दिलाने के लिए उन्होंने जेल में करीब 26 महीने बिताये।

स्वतंत्रता आंदोलनकारी से बनें स्कूल के शिक्षक

देश को आजादी दिलाने में कर्पूरी ठाकुर का योगदान प्रमुख रहा। सन् 1947 में भारत को आजादी मिलने के बाद कर्पूरी ठाकुर अपने गाँव लौट गये, जहां उन्होंने गाँव के स्कूल में एक शिक्षक के रूप में काम शुरू किया। कुछ समय के बाद, उन्होंने चुनाव लड़ने का सोचा और 1952 में उन्होंने सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप में बिहार विधानसभा के ताजपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़े और जीत हासिल की। 1952 में, पहली बार चुनावी जीत के बाद वे अपने करियर में एक भी चुनाव नहीं हारे।

..जब मजदूरों के हित के लिए किया आमरण अनशन

कर्पूरी ठाकुर को जननायक कहा जाता था। क्योंकि उन्होंने पिछड़ी जातियों के आरक्षण के लिए एक लंबी लड़ाई लड़ी। 1960 में केंद्र सरकार के कर्मचारियों की आम हड़ताल चल रही थी, जिसमें पी एंड टी के कर्मचारियों का समर्थन और नेतृत्व करने के लिए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।

सन् 1970 में, उन्होंने टेल्को मजदूरों के हितों को बढ़ावा देने के लिए 28 दिनों का आमरण अनशन किया था। कर्पूरी ठाकुर ने 1978 में बिहार में सरकारी सेवाओं में पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण का मार्ग प्रशस्त किया। यह एक ऐसा कदम था, जिसने 1990 में मंडल आयोग की रिपोर्ट के कार्यान्वयन के लिए रास्ता तैयार किया।

हिंदी भाषा के प्रबल समर्थक थे ठाकुर

ठाकुर हिंदी भाषा के समर्थक थे। उन्होंने बिहार सरकार में शिक्षा मंत्री का पद संभाला। बिहार के शिक्षा मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान ठाकुर ने मैट्रिक पाठ्यक्रम से अंग्रेजी को अनिवार्य विषय से हटा दिया था। सन् 1970 में कर्पूरी ठाकुर, बिहार के पहले गैर-कांग्रेसी समाजवादी मुख्यमंत्री बनने से पहले ठाकुर ने बिहार के मंत्री और उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने बिहार में पूर्ण शराबबंदी भी लागू की। उनके शासनकाल के दौरान, बिहार के पिछड़े इलाकों में उनके नाम पर कई स्कूल और कॉलेज बनाये गये।

गौरतलब हो कि कर्पूरी ठाकुर ने दिसंबर 1970 से जून 1971 तक और दिसंबर 1977 से अप्रैल 1979 तक मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। कर्पूरी ठाकुर का निधन 17 फरवरी 1988 को हुआ।

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English summary
Who is Jannayak Karpoori Thakur Biography in Hindi: "Jannayak" means the leader or hero of the people. This was the identity of former Chief Minister of Bihar Karpoori Thakur. In 2024, he was posthumously announced to be awarded the Bharat Ratna, India's highest civilian honour, by the Government of India. The above information was given through an announcement issued by the President's Office. It is noteworthy that this announcement has been made a day before the birth anniversary of late socialist leader Karpoori Thakur.
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