भारत में 14 जनवरी को मकर संक्रांति, पोंगल के साथ-साथ और कौन से त्योहार मनाए जाते हैं?

भारत की संस्कृति दुनिया के किसी भी अन्य देश की संस्कृति से बिल्कुल भिन्न है। यहां की संस्कृति की विविधता में एकता का प्रतीक है। अपनी समृद्ध संस्कृति और परंपराओं के साथ भारत में शीतकालीन फसल उत्सवों को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाता है। हर राज्य में फसल कटाई के समय को उत्सव के रूप में मनाने की एक अनूठी परंपरा है। ये त्योहार केवल कृषि उत्पादन की खुशियाँ मनाने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण होते हैं।

भारत में 14 जनवरी को मकर संक्रांति, पोंगल के साथ-साथ और कौन से त्योहार मनाए जाते हैं?

ठंड के मौसम के इस खास फसल उत्सवों के दौरान किसान अपनी मेहनत का फल पाकर खुशियां मनाते हैं और प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करते हैं। भारत में फसल कटाई उत्सव को लोहड़ी, मकर संक्रांति, पोंगल, भोगाली बिहू, उत्तरायण और पौष संक्रांति जैसे फसल उत्सव के नामों से मनाया जात हैं। हर राज्य में इन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है। हालांकि इनका उद्देश्य एक ही होता है। इसमें नई फसल की खुशियों को साझा करना, सामाजिक बंधनों को मजबूत करना और आने वाले समय के लिए सुख-समृद्धि की कामना करना प्रमुख है।

आइए आज के इस लेख में हम जानें कि भारत के विभिन्न राज्यों में शीतकालीन फसल कटाई उत्सवों के क्या नाम हैं, इन्हें कैसे मनाया जाता है और इनका सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्व क्या है।

1. लोहड़ी (पंजाब, हरियाणा)

कैसे मनाते हैं: लोहड़ी का त्योहार मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा में मनाया जाता है। इस दिन लोग आग जलाकर उसके चारों ओर घूमते हैं और रेवड़ी, मूंगफली, तिल और गुड़ चढ़ाते हैं। गीत और नृत्य इस उत्सव का प्रमुख हिस्सा होते हैं।

महत्व: लोहड़ी फसल कटाई का पर्व है। यह किसानों के लिए उनकी कड़ी मेहनत के फल का प्रतीक है और साथ ही नए साल की शुरुआत का भी संकेत देता है।

2. मकर संक्रांति (उत्तर भारत)

कैसे मनाते हैं: मकर संक्रांति उत्तर भारत के राज्यों में धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन तिल-गुड़ के लड्डू बनाए जाते हैं और सूर्य देव की पूजा की जाती है। लोग इस दिन पतंग उड़ाने का भी आनंद लेते हैं।

महत्व: मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण हो जाता है, यानी सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। इसे शुभ मानते हुए लोग दान-पुण्य करते हैं और समृद्धि की कामना करते हैं।

3. पोंगल (तमिलनाडु)

कैसे मनाते हैं: तमिलनाडु में पोंगल का पर्व चार दिन तक मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देव, खेतों और मवेशियों की पूजा की जाती है। पोंगल नामक खास पकवान बनाकर देवताओं को अर्पित किया जाता है।

महत्व: पोंगल नई फसल के स्वागत का पर्व है। किसान अपनी नई फसल की पहली उपज भगवान को अर्पित कर धन्यवाद देते हैं और समृद्धि की कामना करते हैं।

4. भोगाली बिहू (असम)

कैसे मनाते हैं: असम में भोगाली बिहू का त्योहार बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग मछली, मांस और चावल से बनी खास पकवानों का आनंद लेते हैं। रात में बांस की झोपड़ियों को जलाकर अग्नि की पूजा की जाती है।

महत्व: भोगाली बिहू फसल कटाई का त्योहार है। इस दौरान किसान अपनी उपज का जश्न मनाते हैं। यह प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने का समय होता है।

5. उत्तरायण (गुजरात)

कैसे मनाते हैं: गुजरात में मकर संक्रांति को उत्तरायण के नाम से जाना जाता है। इस दिन लोग पतंग उड़ाते हैं और तिल-गुड़ से बने व्यंजन खाते हैं। पूरे राज्य में इस दिन की खास धूम रहती है।

महत्व: उत्तरायण का पर्व सूर्य के उत्तरायण होने का प्रतीक है। इस दिन को लोग नये ऊर्जा के आगमन के रूप में मनाते हैं और समृद्धि की कामना करते हैं।

6. खिचड़ी पर्व (उत्तर प्रदेश, बिहार)

कैसे मनाते हैं: उत्तर प्रदेश और बिहार में मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व के रूप में मनाया जाता है। लोग इस दिन दान-पुण्य करते हैं और खिचड़ी बनाकर भगवान को अर्पित करते हैं।

महत्व: खिचड़ी पर्व का मुख्य उद्देश्य दान और सामाजिक सहयोग को बढ़ावा देना होता है। यह पर्व समाज में एकजुटता का संदेश देता है।

7. माघ बिहू (असम)

कैसे मनाते हैं: माघ बिहू असम का प्रमुख फसल उत्सव है। इस दिन लोग रात में मेजि नामक बांस और पुआल की झोपड़ी जलाते हैं। दिन में विशेष भोजन तैयार किया जाता है जिसमें विभिन्न प्रकार के व्यंजन होते हैं।

महत्व: माघ बिहू असम के कृषि जीवन से गहरा जुड़ा हुआ है। यह किसानों के लिए उपज के आनंद का समय होता है और समाज में सामूहिकता का प्रतीक है।

8. पौष संक्रांति (पश्चिम बंगाल)

कैसे मनाते हैं: पश्चिम बंगाल में पौष संक्रांति के अवसर पर पिठे नामक विशेष मिठाई बनाई जाती है। लोग इस दिन गंगा नदी में स्नान करके पूजा करते हैं।

महत्व: पौष संक्रांति समाज में समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के साथ मनाई जाती है। यह त्योहार कृषि से जुड़े हुए समाजों में खास महत्व रखता है।

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English summary
Explore other Indian festivals celebrated on 14th January apart from Makar Sankranti and Pongal. Learn about their cultural significance, how they are celebrated, and why they are important."
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