When is Dhanteras in Hindi: धनतेरस कब है? ये प्रश्न आज लगभग हर किसी के जुवान पर हैं। ऐसे इसलिए क्योंकि धनतेरस की तिथि को लेकर अब भी लोगों में उलझन बनी हुई है। धनतेरस की तिथि जानने से पहले आइए जान लेते हैं धनतेरस पर्व कब और क्यों मनाया जाता है? दीपावली से पहले धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। धनतेरस के दिन धन्वंतरि, कुबेर और मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है।
धनतेरस के पर्व को धनत्रयोदशी पर्व के नाम से भी जाना जाता है। धनतेरस का पर्व पांच दिवसीय दिवाली उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है। इस वर्ष 2024 में धनतेरस का पर्व मंगलवार 29 अक्टूबर को पड़ रहा है। धनतेरस का त्योहार हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इसे दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव की शुरुआत माना जाता है।
धनतेरस 2024 की तिथि 29 अक्टूबर को है। इस दिन की महत्ता धन, संपत्ति और आरोग्य से जुड़ी होती है। यह पर्व विशेष रूप से व्यापारियों और गृहणियों के लिए महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह धन-समृद्धि और स्वास्थ्य कल्याण के लिए मनाया जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के देवता माने जाते हैं। साथ ही मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करके आर्थिक समृद्धि और शांति की प्रार्थना की जाती है।
धनतेरस पूजा 2024 मुहूर्त समय
धनतेरस पूजा का उत्सव मंगलवार 29 अक्टूबर 2024 को मनाया जायेगा। धनतेरस पूजा का मुहूर्त शाम 6:30 बजे शुरू होगा और रात 8:12 बजे समाप्त होगा। यम दीपम का मुहूर्त मंगलवार 29 अक्टूबर 2024 को है। धनतेरस पूजा का सबसे उपयुक्त समय प्रदोष काल है। यह सूर्यास्त के बाद लगभग 2 घंटे और 24 मिनट के बाद का समय होता है।
धनतेरस की पूजा कैसे की जाती है?
धनतेरस पर पूजा-अर्चना करने के दौरान दीप जलाने की परंपरा है। धनतेरस की पूजा छोटी दिवाली से एक दिन पूर्व की जाती है। इस दिन दीप जलाने का मुख्य उद्देश्य घर के आंगन और मुख्य द्वार को रोशन करना होता है, ताकि मां लक्ष्मी का घर में प्रवेश हो सके और घर में सुख-समृद्धि बनी रहे। धनतेरस के दिन सोना, चांदी और बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। इससे घर में धन और समृद्धि आती है।
धनतेरस 2024 के अनुष्ठान और परंपराएं
धनतेरस की पूजा विधि बहुत ही साधारण लेकिन महत्वपूर्ण है। धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है। पूजा के लिए श्रद्धालुओं द्वारा पूजा स्थल को स्वच्छ करके दीपक जलाया जाता है। इस दौरान मां लक्ष्मी जी को पुष्प और मिठाई अर्पित किए जाते हैं और धन्वंतरि जी की आराधना की जाती है।
इस दिन लोग अपने घर को साफ-सुथरा रखते हैं और दीपक जलाकर दरवाजे और आंगन को रोशन करते हैं। यह माना जाता है कि इससे घर में मां लक्ष्मी का वास होता है। धनतेरस की रात को घर के हर कोने में दीप जलाने की परंपरा है। यह माना जाता है कि इससे परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। धनतेरस का त्योहार हमारे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। इस दिन किए गए अनुष्ठान और परंपराएं न सिर्फ हमें आर्थिक रूप से मजबूत करती हैं, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की भी कामना की जाती है।
धनतेरस पर क्या खरीद सकते हैं?
धनतेरस पर सोने, चांदी, बर्तन और धातु की वस्तुएं खरीदने की परंपरा है। इन वस्तुओं की खरीददारी से यह दिन और भी खास बन जाता है। पौराणिक कथाओं में कहा जाता है कि इस दिन नई वस्तुएं खरीदने से घर में शुभता और समृद्धि आती है। यह पर्व सिर्फ आर्थिक रूप से ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और परिवार की खुशहाली के लिए भी विशेष माना जाता है।
धनतेरस का महत्व
हिंदू धर्म में धनतेरस के पर्व की विशेष मान्यता है। धनतेरस पर्व को विशेष रूप से भगवान धन्वंतरि की पूजा अर्चना की जाती है। हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार, कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र-मंन्थन के समय भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। धनतेरस के महत्व को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार द्वारा धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है।
दिवाली 2024 कैलेंडर तारीखें
तारीख | दिन | त्यौहार |
---|---|---|
29 अक्टूबर 2024 | मंगलवार | धनतेरस |
31 अक्टूबर 2024 | गुरुवार | छोटी दिवाली (नरक चतुर्दशी) |
1 नवंबर 2024 | शुक्रवार | दिवाली और लक्ष्मी पूजा |
2 नवंबर 2024 | शनिवार | गोवर्धन पूजा |
3 नवंबर 2024 | रविवार | भाई दूज |