उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा आयोजित की जाने वाली यूपी बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम जल्द आने वाले हैं। विभाग, शिक्षा अधिकारी और शिक्षक कॉपियों के मूल्यांकन व परिणाम तैयार करने में जुटे हुए हैं। जल्द ही रिजल्ट को बोर्ड की अधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाएगा। मोबाइल में इंटरनेट के इस जमाने में न कोई भीड़ लगेगी, न हल्ला मचेगा और न ही सड़कों पर उत्साह दिखेगा, जोकि करीब 28-30 साल पहले तक दिखता था। इसीलिए हम आपको 90 के दशक में ले चल रहे हैं। यह घटना यूपी बोर्ड के दसवीं के रिजल्ट की है। इस घटना का गहरा ताल्लुक कुप्पी से है, इसलिए मैंने हेडलाइन में उसका जिक्र किया है।
यह घटना तब की है जब बोर्ड का रिजल्ट अखबार में आता था, तब प्रदेश के हर जिले की सड़कों पर भारी भीड़ उमड़ती थी। सुबह से लेकर शाम तक गली नुक्कड़ पर रिजल्ट की गूंज होती थी।
दरअसल यह बात है 6 जुलाई 1995 की जब सुबह खबर आयी कि शाम को यूपी बोर्ड दसवीं का रिजल्ट आ रहा है। लखनऊ में स्वतंत्र भारत अखबार को रिजल्ट निकालने के राइट्स मिले थे, इसलिए विधानसभा मार्ग पर सुबह से ही लोगों की भीड़ जुटने लगी। सदन में न तो कोई सत्र चल रहा था और न ही उस दिन किसी दल की रैली थी, उसके बावजूद विधानसभा मार्ग पर हज़रतगंज चौराहे से लेकर हुसैनगंज चौराहे तक लोगों का तांता लगा हुआ था। ट्रैफिक जाम की स्थिति बार-बार बन रही थी और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुबह से ही पुलिस फोर्स के साथ पीएसी तैनात कर दी गई थी।
एक रिजल्ट पांच से सात लोग
यह वो समय था, जब घर में एक बच्चे का रिजल्ट देखने के लिए एक-एक घर से पांच-पांच लोग अखबार के दफ्तर जाते थे। और तो और कई बार तो यह संख्या बड़ कर सात से दस तक हो जाती थी, वो इसलिए क्योंकि यूपी बोर्ड, जिसे उस वक्त एशिया का सबसे कठिन बोर्ड माना जाता था, का रिजल्ट हर किसी के लिए एक रोमांच से कम नहीं होता था।
कैसे आया यूपी बोर्ड रिजल्ट
खबर थी कि रिजल्ट शाम को आयेगा, कितने बजे आयेगा, यह नहीं पता था, इसलिए शाम करीब साड़े चार बजे से ही मैं, अपने भाईयों, व उनके मित्रों के साथ स्वतंत्र भारत के दफ्तर के बाहर पहुंच गया। बता दें कि पहले पायनियर व स्वतंत्र भारत का ऑफिस विधानसभा मार्ग पर हुआ करता था। एक तरफ भीड़ का कोलाहल और दूसरी तरफ मेरे दिल की धड़कनें। बस यहीं से रिजल्ट की उलटी गिनती शुरू हो गई। जैसे-जैसे घड़ी की सुई आगे बढ़ रही, वैसे वैसे धड़कनें तेज़ हो रही थीं।
शाम 5 बजे - अखबार के दफ्तर के बाहर बंपर भीड़। जमीन पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस बल और आसमान में तापमान को नियंत्रित करने के लिए बादल।
शाम 5:30 बजे- अचानक कुछ वेंडर साइकिल पर चिल्लाते हुए निरकले- यूपी बोर्ड रिजल्ट, यूपी बोर्ड रिजल्ट, और भीड़ उनकी तरफ दौड़ी, लेकिन तब पता चला कि उनके पास दोपहर के संस्करण की प्रतियां थीं, जिसमें यूपी बोर्ड रिजल्ट के आने के समय की खबर थी, न कि रिजल्ट। लेकिन हां उससे यह साफ हो गया कि रिजल्ट 8 बजे के बाद ही आयेगा।
शाम 6 बजे- भीड़ वैसे की वैसे ही, लेकिन उत्साह दुगना।
शाम 7 बजे- अखबार के दफ्तर का दरवाजा खुला एक कुछ लोग बाहर निकल कर आये, साथ में पुलिस अधिकारी भी थे। अनाउंसमेंट किया गया कि सभी लोग थोड़ा धैर्य रखें, अखबार सबको मिलेगा।
शाम 7:30 बजे- बारिश शुरू हुई और लोग आस-पास मौजूद शेड में जाकर खड़े होने लगे। लेकिन जिनके पास छाता था, या जिन्हें भीगने से कोई फर्क नहीं पड़ता था, वे दफ्तर के गेट से चिपके रहे।
रात्रि करीब 8 बजे- एक बार फिर से हल्ला मचा कि रिजल्ट आ गया, भीड़ का उत्साह फिर बढ़ा लेकिन थोड़ी ही देर में सब ठंडा। ठंडा हो भी क्यों न जब आसमान से पानी की बूंदें जो गिर रही थीं। देखते ही देखते भीड़ और बढ़ने लगी, जो लोग शेड में थे, वो भी बाहर आने लगे।
रात्रि करीब 9 बजे- रिजल्ट की घड़ी
अचानक भगदड़ जैसा अहसास हुआ। मैंने देखा, लोग इधर-उधर भाग रहे हैं। मेरे भईया भी अचानक भागे, बोले, चलो-चलो मिल गया। दरअसल ये वो लोग थे जिनके हाथों में अखबार लग चुका था और वो अपनी शर्ट, जैकेटक, विंडशीटर, आदि के अंदर दबा कर भीड़ से दूर भाग रहे थे। ऐसा इसलिए भी क्योंकि अगर लोगों को पता चल गया कि आपके पास रिजल्ट है, तो कुछ ही सेकेंड में अखबार के कई टुकड़े हो सकते थे, जोकि हो भी रहे थे।
यह वो मंजर था, जब मैंने देखा, एक-एक अखबार को चार-चार लोग खींच रहे और परिणाम किसी के हाथ नहीं लग पा रहा था।
इसी भीड़ से बचते-बचाते हम कैंट रोड पर स्थिति एक रिक्शे वाले के छप्पर के नीचे जा पहुंचे, जहां एक कुप्पी जल रही थी। जी हां वही कुप्पी जो कांच की बोतल में मिट्टी का तेल भर कर, उसके ढक्कन पर पैजामे का नारा लगाकर बनायी जाती थी।
उसी कुप्पी की रौशनी में हमने अपना रिजल्ट देखा। कुप्पी से रौशनी बहुत अधिक नहीं थी, भले ही छप्पर के बाकी हिस्सों में अंधेरा भरा हुआ था, लेकिन यूपी बोर्ड दसवीं का रिजल्ट देखने के बाद मेरे जीवन का अगला हिस्सा रौशनी से जगमगा उठा था। जगमगाये भी क्यों न, फर्स्ट डिवीजन जो था।
जीवन की इस रोमांचक घटना के साथ, मैं करियर इंडिया की पूरी टीम को यूपी बोर्ड की 10पीं व 12वीं की परीक्षा 2023 में शामिल हुए सभी छात्रों को अग्रिम शुभकामनाएं देना चाहूंगा और ईश्वर से प्रार्थना करूंगा कि उनके जीवन में ढेर सारी रौशनी भर जाए, फिर वो चाके कुप्पी से हो या सीएफएल ट्यूबलाइट से।
नोट- यह कहानी केवल मेरी नहीं है, यूपी बोर्ड परिणाम से जुड़ी अगर आपकी भी कोई दिलचस्प कहानी है, तो हमारे साथ साझा करें, हम उसे अपनी साइट पर जरूर प्रकाशित करेंगे। कहानी नीचे कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं या फिर education@oneindia.co.in पर भेज सकते हैं।