Munshi Premchand Quotes in Hindi: "मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन उसका अहंकार है।" ये कहना है मुंशी प्रेमचंद का। यदि आपको हिंदी साहित्य में रुचि है तो आपने प्रेमचंद को अवश्य पढ़ा होगा। मुंशी प्रेमचंद हिंदी साहित्य के महान उपन्यासकार और कहानीकार माने जाते हैं। उनका साहित्य भारतीय समाज का आईना है।
आज 8 अक्टूबर को हम मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि मना रहे हैं। हिंदी साहित्य में प्रेमचंद को महान लेखक माना गया है। प्रेमचंद ने अपने लेखन के माध्यम से कभी सामाजिक कुरीतियों और महिलाओं के दमन का विरोध किया। तो कभी प्रेमचंद ने इंसानियत और मानवीय मूल्यों को भी आगे बढ़ाने के संबंध में भी अपनी भावनाएं व्यक्त करने का प्रयास किया। उनके विचार आज भी प्रेरणादायक हैं और समाज को दिशा देने का कार्य करते हैं। अपनी रचनाओं में उन्होंने समाज की समस्याओं, गरीबी, शोषण और मानवीय संवेदनाओं को बेहतरीन ढंग से उकेरा है।
मुंशी प्रेमचंद के विचार आज भी प्रासंगिक हैं। उनके शब्दों में जीवन की सच्चाई छिपी हुई मिलती है। इस लेख में हम मुंशी प्रेमचंद के कुछ अनमोल विचार प्रस्तुत कर रहे हैं। ये विचार छात्रों को जीवन में सही मार्ग चुनने और जीवन के मूल मंत्र को समझने में सहायक होंगे। आइए उनके विचारों से हम भी प्रेरणा लेते हैं और पढ़ते हैं मुंशी प्रेमचंद के अनमोल विचार।
मुंशी प्रेमचंद के अनमोल विचार| Munshi Premchand Quotes in hindi
"बड़ा आदमी वही है जो अपनी छोटाई को समझे।"
"आदमी का सबसे बड़ा शत्रु उसका अहंकार होता है।"
"जहां प्रेम है, वहीं जीवन है।"
"सच्ची मानवता दूसरों की सेवा में है।"
"स्वार्थ में मनुष्य बावला हो जाता है।"
"निराशा संभव को भी असंभव बना देती है।"
"समाज के गरीब और कमजोर वर्गों के प्रति संवेदना ही सच्ची समाज सेवा है।"
"जब तक इंसान में आत्मबल नहीं होगा, वह किसी भी कार्य को पूरा नहीं कर सकता।"
"आत्मसम्मान की रक्षा हमारा सबसे पहला धर्म और अधिकार है।"
"जीवन का सच्चा सुख दूसरों को खुशी देने में है।"
"धन का मोह जीवन को अशांत बनाता है।"
मुंशी प्रेमचंद के प्रेरक विचार| Motivational Quotes by Munshi Premchand in hindi
"सच्चा ज्ञान वही है, जो दूसरों के काम आ सके।"
"अन्याय होने पर चुप रहना अन्याय होने के समान है ।"
"सच्चाई के मार्ग पर चलना कठिन है, लेकिन वही सच्चा रास्ता है।"
"जीवन का सुख दूसरों को सुखी रखने में है, उनको लूटने में नहीं।"
"आकाश में उड़ने वाले पंछी को भी अपना घर याद आता है।"
"आलोचना और दूसरों की बुराई करने में बहुत फर्क है। आलोचना करीब लाती है और बुराई दूर करती है।"
"क्रोध मन सहन नहीं कर सकता है। मौन के आगे क्रोध की शक्ति असफल हो जाती है।"
"गलती करना उतना गलत नहीं जितना कि उसे दोहराना गलत है।"
" धन खोकर यदि हम अपनी आत्मा को पा सके तो इससे महंगा कोई सौदा नहीं।"