भारत के लोह पुरुष के नाम से जाने जानें वाले सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 में गुजरात में हुआ था। वह भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और पहले गृह मंत्री थे। भारत की राजनीति और राज्यों के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पटेल को मरणोपरांत भारत से सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। वह एक प्रसिद्ध बैरिस्टर थे लेकिन उसे कहीं ज्यादा वह एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। जिन्होंने बैरिस्टर की नौकरी छोड़ भारतीय आंदोलनों में हिस्सा लिया और स्वतंत्रता के लड़ाई में योगदान दिया। भारत आज उनकी 147वीं जयंती मनाने जा रहा है, इस उपलक्ष में आइए आपको पटेल के जीवन से जुडे कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताएं।
सरदार पटेल से जुड़े 10 रोचक तथ्य
1. सरदार पटेल का विवाह 1891 में झवेरबा पटेल से हुआ था तब उनकी उम्र महज 16 साल की थी। विवाह के बाद 22 साल की उम्र में उन्होंने मैट्रिक पास की थी। पटेल का बचपन से सपना था कि वह एक बैरिस्टर बने और इंग्लैंड से पढ़ाई करें।
2. इंग्लैंड जाकर पढ़ाई करने से पहले उन्होंने गुजरात से वकालत की पढ़ाई की और बार की परीक्षा पास कर गुजरात के गोधरा, बोरसाड और आणंद में वकालत की प्रैक्टिस की।
3. 1909 में कैसंर की बीमारी के कारण उनकी पत्नी का देहांत हो गया। वह अदालत में केस की सुनवाई में थे जब उन्हें पत्नी की मृत्यु की खबर एक नोट के द्वारा प्राप्त हुई। नोट पढ़ने के बाद उन्होंने उस नोट को अपनी जेब में रखा और केस की सुनवाई जारी रखी। सुनाई पूरी होने के बाद उन्होंने इस खबर की जानकारी सबकों दी।
4. पटेल 36 वर्ष के थे जब वह बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड गए। उन्हों इंग्लैंड के मिडिल टेम्पल इन में दाखिला लिया और 36 महिने के कोर्स को मात्र 30 महिने में पूरा कर अतिंम परीक्षा में टॉप किया। अपने पढ़ाई पूरी करने के बाद वह 1913 में वापस भारत लौटें। भारत लौट कर वह अहमदाबाद के प्रसिद्ध बैरिस्टर बने। उन्होंने मुख्य रूप में आपराधिक वकील के तौर पर कार्य किया।
5. पटेल की पहली मुलाकात गांधी से 1917 में हुई थी। वह गुजरात कल्ब में ब्रिज खेल रहे थें। उनके कई दोस्तों ने उन्हें पहले भी गांधी से मिलने के लिए कहा था। गुजरात कल्ब में गांधी की स्पीच के बाद भी उन्होंने कोई खास दिलच्सपी नहीं हुई, लेकिन उसी दिन आमने-सामने की बातचीत ने पटेल को प्रभावित किया।
6. गांधी जी के आह्वान पर पटेल ने अपने नौकरी छोड़ी और वह कांग्रेस में शामिल हुए। जहां बाद में उन्होंने गुजरात सभा के सचिव के उपाधि प्राप्त की। इसी के साथ पटेल ने गांधी के असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया और आंदोलन में 3 लाख से अधिक लोगों की भर्ती के लिए भारत की यात्रा की इसी के साथ पार्टि के लिए 1.5 मिलियन का फंड भी एकत्रित किया।
7. गांधी जी को ब्रिटिश पुलिस द्वारा कैद करने के बाद पटेल को भारतीय ध्वज को फहराने से रोक लगाने वाले ब्रिटिश कानून के खिलाफ नागपूर में सत्याग्रा आंदोलन का नेतृत्व करने को कहा गया। इस आंदोलन की शुरुआत 1923 में की गई थी।
8. पटेल ने शराब, छुआछुत, जाति भेदभाव, अल्पसंख्यों और महिलाओं के अधिकारों के लिए बड़े पैमाने पर कार्य किया है।
9. पटेल ने भारत के राजनीतिक एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत के निर्माण के लिए 565 रियासतों का एकीकरण केवल पटेल की बदौलत ही मुमकिन हो पाया है। भारत के राजनीतिक एकीकरण के समय में उन्होंने सशस्त्र बलों के पहले कमांडर-इन-चीफ की भूमिका भी निभाई थी। इस एकीकरण का पूरा श्रेय केवल पटेल को ही जाता है।
10. 1946 में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के चुनाव के समय 15 में 12 क्षेत्रीय कांग्रेस ने पटेल को समर्थन दिया। गांधी जी का समर्थन नेहरू के लिए था। गांधी जी की इच्छा के लिए पटेल ने पद छोड़ा और नेहरू को ये पद प्राप्त हुआ। प्रधानमंत्री के पद के लिए नेहरू गांधी जी की पहली पसंद थे और पटेल लोगों की पसंद। क्योंकी गांधी जी चाहते थे कि नेहरू देश के प्रधानमंत्री बने इसलिए उन्हें प्रधानमंत्री का पद दिया गया।
पेटल हमेशा से ही एकता के महत्व को समझते थें और उसे आगे बढ़ाना चाहते थे। उनका मानना था की भारत को विकास की दिशा में प्रगति करने के लिए और विश्व सत्तर पर अपनी पहचान बनाने के लिए एकजुट होकर कार्य करना होगा। उनकी एकता की इस विरासत को आगे बढ़ाने के लिए 2014 में भारत सरकार ने उनकी जयंती 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया। 2018 में बन कर तैयार हुई कांस्य की उनकी प्रतिमा का स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का अनावरण भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उनकी जयंती 31 अक्टूबर को किया गया। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है जिसे प्रसिद्ध मूर्तिकार वी, सुतार द्वारा डिजाइन किया गया है।