भारत में नवरात्रि का पर्व देवी दुर्गा की आराधना का सबसे महत्वपूर्ण समय माना जाता है। हर साल नवरात्रि दो बार मनाई जाती है - चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि। शारदीय नवरात्रि विशेष रूप से अक्टूबर या सितंबर-अक्टूबर के महीने में आती है और इसका महत्व हिंदू धर्म में बहुत ज्यादा है। 2024 में शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू होकर 12 अक्टूबर तक चलेगी।
अक्टूबर में कब मनाई जाएगी दुर्गा अष्टमी और नवमी?
नवरात्रि के नौ दिनों में दुर्गा अष्टमी और नवमी का विशेष महत्व होता है। ये दिन देवी दुर्गा के महिषासुर मर्दिनी रूप की पूजा के लिए समर्पित होते हैं। 2024 में, दुर्गा अष्टमी और नवमी कब मनाई जाएगी, इसे लेकर लोगों में काफी उत्सुकता है।
दुर्गा अष्टमी - 2024 में शारदीय दुर्गा अष्टमी 10 अक्टूबर को मनाई जाएगी। अष्टमी तिथि का प्रारंभ 9 अक्टूबर 2024 को रात 9:53 बजे होगा और इसका समापन 10 अक्टूबर 2024 को रात 7:58 बजे होगा। इसलिए, अष्टमी की पूजा और कन्या पूजन 10 अक्टूबर को संपन्न होगा।
महानवमी - 11 अक्टूबर 2024 को महानवमी मनाई जाएगी। नवमी तिथि का प्रारंभ 10 अक्टूबर 2024 को रात 7:58 बजे होगा और इसका समापन 11 अक्टूबर 2024 को शाम 5:44 बजे होगा। इसलिए नवमी पूजा और हवन 11 अक्टूबर को किए जाएंगे।
दुर्गा अष्टमी और नवमी का महत्व
नवरात्रि के आठवें दिन दुर्गा अष्टमी मनाई जाती है, जिसे महाअष्टमी भी कहा जाता है। इस दिन देवी महागौरी की पूजा होती है, जिन्हें शुद्धता और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। भक्तगण इस दिन विशेष रूप से कन्या पूजन करते हैं, जहां छोटी बालिकाओं को देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक मानकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है।
महानवमी, नवरात्रि के नौवें दिन, देवी सिद्धिदात्री की पूजा का दिन है। इस दिन भक्तजन हवन और पूजा के माध्यम से देवी से सिद्धियों और विजय की कामना करते हैं। यह दिन शक्ति और विजय का प्रतीक माना जाता है। दुर्गा नवमी के दिन भक्तजन व्रत का पालन करते हैं और पूरे विधि-विधान से देवी की आराधना करते हैं। इस दिन का महत्व इसीलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह नवरात्रि का अंतिम दिन होता है।
शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
दुर्गा अष्टमी और नवमी के दौरान शुभ मुहूर्त में पूजा करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। अष्टमी के दिन भक्तगण विशेष पूजा, हवन और कन्या पूजन करते हैं। देवी को चंद्रायन, वस्त्र और फल-फूल अर्पित करते हैं। नवमी के दिन हवन और दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है।