भारत रत्न से सम्मानित डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को आंध्र प्रदेश में हुआ था। उनके जन्मदिवस को प्रति वर्ष भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक महान व्यक्ति थे। वे भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति भी थे। उन्हें किताबें लिखने व पढ़ने का भी बहुत शौक था जिस वजह से उन्हें 16 बार साहित्य में नोबल पुरस्कार के लिए नामांकित भी किया गया था।
डॉ राधाकृष्णन को एक शांत व सरल स्वभाव के व्यक्ति के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने अपने जीवन काल में बहुत से ऐसे काम किए जो कि उनके अलावा कोई और नहीं कर पाया है। इसलिए उन्हें देश-विदेश में कई सर्वश्रेष्ठ पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया। तो चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को मिलने वाले पुरस्कार और सम्मान के बारे में बताते हैं।
सर्वपल्ली राधाकृष्णन को दिए जाने वाले पुरस्कार और सम्मान
- डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 1954 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
- शिक्षा के क्षेत्र में उनकी सेवाओं के लिए उन्हें वर्ष 1931 में किंग जॉर्ज पंचम द्वारा नाइट की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
- उन्हें 1954 में जर्मनी द्वारा विज्ञान और कला के लिए Pour le Mérite से सम्मानित किया गया था।
- वर्ष 1954 में ही उन्हें मेक्सिको द्वारा सैश फर्स्ट क्लास ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ द एज़्टेक ईगल से सम्मानित किया गया था।
- 1963 में उन्हें यूनाइटेड किंगडम द्वारा ऑर्डर ऑफ मेरिट की सदस्यता से सम्मानित किया गया था।
- सर्वपल्ली राधाकृष्णन को भारत में 27 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था। साहित्य में 16 बार और 11 बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए।
- राधाकृष्णन को वर्ष 1938 में ब्रिटिश अकादमी के फेलो के रुप में चुना गया।
- उन्हें 1961 में जर्मन बुक ट्रेड के शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन 1968 में, साहित्य अकादमी फेलोशिप से सम्मानित होने वाले पहले व्यक्ति थे जो साहित्य अकादमी द्वारा किसी लेखक को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है।
- 1962 से, भारत ने राधाकृष्णन को सम्मान देते हुए 5 सितंबर यानि उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाए जाने के लिए घोषित किया। ये दिन दुनिया के सभी शिक्षकों के लिए एक सम्मान का दिन होता है।
- 1975 में, उन्हें अहिंसा को बढ़ावा देने और ईश्वर के एक सामान्य सत्य को व्यक्त करने के लिए टेम्पलटन पुरस्कार मिला जिसमें सभी लोगों के लिए करुणा और ज्ञान शामिल था।