क्या आप जानते हैं कि भारतीय संविधान की पहली कॉपी कहां छपी थी? यदि नहीं, तो चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताते हैं कि दुनिया के सबसे लंबे भारतीय संविधान की पहली कॉपी कहां छपी थी?
भारत इस साल 26 जनवरी को अपना 74वां गणतंत्र दिवस मनाने के लिए पूर्ण रूप से तैयार हो चुका है। बता दें कि भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था, जिसके बाद से भारत में हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। 26 जनवरी 1950 का दिन भारतीय इतिहास का बेहद महत्वपूर्ण दिन मनाया जाता है क्योंकि इस दिन को भारत की पूर्ण स्वतंत्रता का प्रतीक माना जाता है।
भारत का संविधान
- भारतीय संविधान अपनी तरह के सबसे व्यापक दस्तावेजों में से एक है। सबसे लंबा होने के अलावा, यह भारतीय राज्य को नियंत्रित करने वाले सभी सूक्ष्म विवरणों के लिए भी प्रसिद्ध है।
- स्वतंत्रता से पहले, भारत में दो संस्थाएं थीं: ब्रिटिश सरकार और रियासतें। यह संविधान ही है जिसने औपचारिक रूप से इन दो भेदों को समाप्त किया और भारत संघ का निर्माण किया।
- भारत का संविधान इसका लेक्स लोकी है, यानी भारत में सभी कानूनों का जनक। इसका मूल रूप से मतलब है कि संसद और राज्य विधानसभाओं के सभी कानून संविधान से अपना अधिकार प्राप्त करते हैं। यहां तक कि भारतीय राज्य के तीन स्तंभ - विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका - संविधान से अधिकार प्राप्त करते हैं।
- संविधान के बिना, हमारे पास भारत को चलाने वाली प्रशासनिक मशीनरी नहीं होगी। यहां तक कि लोगों के मौलिक अधिकार और कर्तव्य भी संविधान के बिना अस्तित्व में नहीं होंगे।
भारतीय संविधान की पहली कॉपी कहां छपी थी?
भारतीय संविधान की पहली कॉपी उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के सर्वे ऑफ इंडिया की प्रेस की नौ नंबर मशीन से छापी गई थी। जहां, एक साथ संविधान की एक हजार कॉपियां छापी गई थी। गौरतलब है कि आज भी देहादून के सर्व ऑफ इंडिया के म्यूजियम में भारतीय संविधान की एक कॉपी रखी हुई है। जबकि संविधान की हस्त लिखित मूल प्रति नेशनल म्यूजिमल, नई दिल्ली में सुरक्षित रखी हुई है।
खैर यह तो आप जानते ही होंगे की भारत के संविधान की मूल कॉपी किसके हाथों द्वारा लिखी गई थी?
भारत के संविधान की मूल प्रति दिल्ली निवाली प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने अपने हाथों से लिखी थी।
ध्यान देने योग्य:
अंग्रेजों ने सर्वेयर जनरल ऑफ इंडिया का गठन कर चार प्रिंटिंग ग्रुप (नार्दर्न, ईस्टर्न, साउदर्न और वेस्टर्न प्रिटिंग ग्रुप) को भारत में स्थापित किया था। जिसमें की नार्दन प्रिटिंग ग्रुप देहरादून में बनाया गया था। जहां पर भारत के संविधान की पहली प्रति छापी गई थी।
भारत का संविधान कैसे बना?
भारत का संविधान जो कि दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है। इसमें लगभग 1,45,000 शब्द हैं, जो इसे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सक्रिय संविधान बनाता है। भारतिय संविधान के प्रारंभ में, इसमें 22 भागों और 8 अनुसूचियों में 395 लेख थे। जबकि वर्तमान में, इसकी एक प्रस्तावना, 25 भाग 12 अनुसूचियां, 5 परिशिष्ट, 448 लेख और 101 संशोधन हैं।
- सन् 1946 में संविधान सभा की स्थापना हुई।
- संविधान सभा की स्थापना के दौरान इसमें कुल 389 सदस्य शामिल थे।
- संविधान सभा की पहली बैठक नौ दिसम्बर, 1946 को हुई।
- जिसके बाद, 11 दिसम्बर 1946, को डॉ राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थाई चेयरमैन चुना गया।
- लेकिन देश के विभाजन के बाद संविधान सभा के सदस्यों की संख्या घट कर कुल 299 रह गई थी।
- तब संविधान सभा में आठ मुख्य समितियां और 15 अन्य समितियां थीं।
- डॉ बी आर अम्बेडकर संविधान सभा ड्राफ्टिंग कमेटी के चेयरमैन थे।
- जिसके बाद हस्तलिखित संविधान पर 24 जनवरी 1950 को 284 संसद सदस्यों ने साइन किए थे।
यह खबर पढ़ने के लिए धन्यवाद, आप हमसे हमारे टेलीग्राम चैनल पर भी जुड़ सकते हैं।