Personality Development Tips: अगर आप सोचते हैं कि इंप्रेसिव पर्सनालिटी जेनेटिक या गॉड गिफ्टेड होती है, इसे खुद डेवलप नहीं किया जा सकता तो यह सोच सही नहीं है। अगर आप अपने बिहेवियर में कुछ बातों को शामिल कर लें और अमूमन की जाने वाली गलतियों से बचे रहें तो आपकी पर्सनालिटी अट्रैक्टिव बन सकती है। आइए जानते हैं पर्सनालिटी को कैसे डेवलप करें।
हमारी सोच कैसी भी हो, हमारी विचारधारा कुछ भी हो, पर सच्चाई यही है कि न सिर्फ हमें बल्कि हर किसी को अट्रैक्टिव और स्मार्ट पर्सनालिटी वाले लोग अच्छे लगते हैं। हालांकि कुछ लोग सोचते हैं कि अट्रैक्टिव और स्मार्ट होना हमारे कंट्रोल में नहीं होता है। जबकि सच यह है कि ऐसी खूबी गॉड गिफ्ट नहीं होती है। इसे कोशिश के जरिए खुद में डेवलप किया जा सकता है। कहने का मतलब यह है कि कोशिश करके आप भी न सिर्फ अट्रैक्टिव, स्मार्ट भी बन सकते हैं। इन कोशिशों में आपको क्या करना होगा, यहां बता रहे हैं।
सीखें बात करने का सलीका
जब हम किसी से मिलते हैं तो सामने वाला हमें सबसे पहले हमारे बातचीत करने के तरीके से जज करता है। इसलिए हमारी बातचीत का ढंग सलीकेदार होना ही चाहिए। अट्रैक्टिव पर्सनालिटी की यह पहली जरूरत और निशानी है। इसलिए जब भी किसी से बात करें तो अपनी सुनाने से ज्यादा उसकी सुनें । न सिर्फ सुनें बल्कि सजगता से बातों को समझने की कोशिश भी करें कि आखिर वह कह क्या रहा है? बात करने वाले को बीच में कभी न टोकें। जब सामने वाले की बात पूरी तरह से खत्म हो जाए, तब अपनी बात कहें। इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि मुद्दे से हटकर कोई गैर-जरूरी व्यंग्यात्मक, बेतुकी या विषय से भटकाने वाली बात न करें वर्ना सामने वाला आपसे बातचीत करने में रुचि नहीं लेगा।
पहनें सही ड्रेस
हमारे ड्रेसअप होने का ढंग भी हमारी पर्सनालिटी का एक बड़ा और आकर्षक हिस्सा है। जब भी हम किसी के सामने होते हैं तो हम चाहें या न चाहें सामने वाले का ध्यान हमारी ड्रेसअप पर जाता ही है। इसलिए जब भी हम किसी से फॉर्मल मुलाकात करें तो हमारी ड्रेस साफ, सुथरी और सलीकेदार होनी चाहिए। साफ, सुथरे, सलीकेदार ढंग से पहनी गई ड्रेस से हममें एक पॉजिटिव एटिट्यूड आता है। सामने वाला हमें गंभीरता से अटेंड करता है, हमें महत्वपूर्ण मानता है। दरअसल, जब हम साफ, सुथरे और सलीकेदार ड्रेस पहने होते हैं तो हमें सिंसियर माना जाता है। हमारी बातों पर यकीन करने के साथ उस पर सीरियसली विचार किया जाता है। यानी हमें और हमारी बातों को कैजुअली नहीं लिया जाता है । ड्रेसअप सेलेक्ट करते समय ऑकेजन और लोकेशन का भी ध्यान रखना जरूरी है।
बॉडी लैंग्वेज हो एनर्जेटिक
बॉडी लैंग्वेज हमारे बारे में राय बनाने का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण जरिया होती है। दरअसल, बॉडी लैंग्वेज हमारे बिना कुछ कहे हमारी ताकत, हमारी क्षमता और हमारी कुछ खासियतों के बारे में बता देती है। जब हम किसी से बात कर रहे हों तो उसकी आंखों में आंखें डालकर मुस्कुराते हुए बात करना सबसे सही तरीका माना जाता है। इससे हमारे कॉन्फिडेंस का लेवल पता चलता है। जब भी किसी के सामने बैठें तो अपने कंधे और सिर को सीधा रखें। सिर झुकाकर या कंधे लटकाकर बैठना हमारी पर्सनालिटी का नेगेटिव इंप्रेशन क्रिएट करता है। लोगों से बातचीत करते समय हमारे हाथ बहुत अधिक मूवमेंट नहीं करने चाहिए। अगर हम बात करते समय हाथों को जरूरत से ज्यादा मूव करेंगे तो सामने वाला जल्द ही ऊब जाएगा और सोचेगा उसे हमसे कितना जल्दी छुटकारा मिले। किसी से बात करते समय कान खुजलाना, नाक में अंगुली डालना, डकार लेना, इधर-उधर देखना जैसी हरकतों से बचना चाहिए। ऐसी बॉडी लैंग्वेज हमारी पर्सनालिटी का नेगेटिव इंप्रेशन बनाती है।
जानकारियों से भरी हो बातचीत
किसी पर हमारी बातचीत का तब चुंबकीय असर होता है, जब उसे लगे जो कुछ बता रहे हैं, वह तो उसे पता ही नहीं है। चाहे वह कोई सूचना हो, कोई विश्लेषण हो या कोई धारणा। अगर हमारे पास बातचीत के लिए ऐसी मौलिकता है तो हमारे व्यक्तित्व को जादुई बनने से कोई नहीं रोक सकता। इस गूगल युग में भी हमारा पर्सनल जनरल नॉलेज, पर्सनालिटी में चार चांद लगा देता है। इसलिए सम-सामयिक घटनाओं से परिचित रहें। खासतौर पर अगर किसी विशेष मुद्दे पर बातचीत करनी हो उस बारे में बेसिक जानकारी जरूर जान लें । उस मुद्दे पर अपनी एक राय भी बनाएं, जो तार्किक हो ।
अपनी भी कद्र करें
किसी से मिलने कहीं पहुंचना हो तो समय पर जरूर पहुंचें। लेकिन अगर जिससे मिलना है, वो लेट करे तो मिलने पर उन्हें यह अहसास करा दें कि आप समय के पाबंद हैं और चाहते हैं कि दूसरा भी ऐसा ही हो । खुद की कीमत समझना, खुद को महत्वपूर्ण मानना और खुद की रेस्पेक्ट करना भी स्मार्ट होने का एक गुण है। इसलिए अपने को कहीं पर भी बिना मतलब के इतना नीचे न झुकाएं कि यह विनम्रता की बजाय इनफीरियारिटी कॉम्प्लेक्स लगने लगे।