भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू एक राष्ट्रवादी थें जो धर्मनिरपेक्षता में विश्वास रखते थें। इसकी के साथ वह एक लेखक भी थें, उनके द्वारा लिखी पुस्तकों को दुनियाभर में पढ़ा गया है। भारत की स्वतंत्रता में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वह पहले व्यक्ति थें जिन्होंने भारत की पूर्ण स्वतंत्रता की बात सामने रखी थी। जिसके लिए उन्होंने हर संभव प्रयास भी किये थें। उन्हें समय-समय पर चलाएं आंदोलनों में महत्वपूर्ण भुमिका निभाई है। उनके योगदान और को देखते हुए उन्हें भारत के पहले प्रधानमंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उनके इन्हीं योगदान को देखते हुए गांधी जी ने उन्हें "आधुनिक भारत का वास्तुकार" बताया। इसके साथ आपको बता दें की उन्हें भारत सरकार द्वारा 1955 में भारत के सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया है। नेहरू जी को बच्चों से बहुत अधिक लगाव था, वह बच्चों का भारत का भविष्य कहा करते थें। बच्चों के प्रति उनके लगाव को लेकर ही उन्हें चाचा नेहरू के नाम सें संबोधित किया गया है। उनकी जंयती को हर साल भारत में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष भारत उनकी 133 वीं जयंती मनाने जा रहा है। आइए आपको उनकी तमाम उपलब्धियों में से कुछ प्रमुख उपलब्धियों के बारे में बताएं।
नेहरू की प्रमुख उपलब्धियां
नेहरू ने गिरमिटिया श्रमिकों और श्रम और नागरिक अधिकारों के लड़ाई लड़ी
वर्ष 1912 में नेहरू राष्ट्रीय कांग्रेस की गतिविधियों में शामिल हुए। उन्होंने नागरिक अधिकारों के अभियानों में दिलचस्पी ली। जिसके बाद उन्होंने गिरमिटिया श्रम की प्राथाओं और नागरिक अधिकारों के हनन के खिलाफ अनाज उठानी शुरू की। ब्रिटिश शासन काल के दौरान उन्होंने देखा था की किस प्रकार ब्रिटिश सरकार नागरिकों के अधिकारों का हनन कर रही है। उन्होंने इसके खिलाफ कई अभियान चलाएं और भारत की पूर्ण स्वतंत्रता की आवश्यकता महसूस की। इन्हीं कुछ कारणों से वह भारत के आर्थिक और समाजिक सुधार के लिए पश्चिम के देशों पर भरोसा नहीं करना चाहते थें जिसके कारण वह असहयोग आंदोलने के पक्षधर बने।
हिंदु-मुस्लिम एकता पर जोर दिया
नेहरू धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करते थें। उनका मानना था कि भारत की आजादी इस लड़ाई में सभी को मिलजुल कर कार्य करना चाहिए। इसी को ध्यान में रखते हुए नेहरू ने हिंदु-मुस्लिम एकता और संवाद के लिए कई अभियान चलाये। नेहरू के ही प्रयासों के कारण हिंदु-मुस्लिक स्वंतत्रता सेनानियों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों की स्थापना हुई और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग में आजादी के लिए समझौता हुआ।
असहयोग आंदोलन में नेहरू
1920 के दौरान नेहरू भारत के स्वशासन का देने में ब्रिटिश सरकार के रूचि न दिखाने पर नेहरू ने ब्रिटेन का विरोध करने के लिए संयुक्त प्रांत में असहयोग आंदोलन में शामिल हुए। असहयोग आंदोलन में उनकी गतिविधियों को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने उन्हें जेल में बंद कर दिया। अहिंस रूप से चल रहे असहयोग आंदोलन ने 1922 में हुई चौरी-चौरा घटना के बाद हिंसक रूप लिया जिसमें कुछ प्रदर्शनकारियों ने पुलिस स्टेशन में आग लगा दी थी। चौरी-चौरा की घटना और पुलिस स्टेशन की आग की घटना और अहिंसा को देख गांधी जी ने देश भर में असहयोग आंदोलन के बंद करने का फैसला लिया।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष
नेहरू को कांग्रेस की गतिविधियों में शामिल होने और स्वतंत्रता को लेकर उनकी धारणों को देखते हुए प्रथम विश्व युद्ध के बाद 1929 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया। कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के लिए कार्य करना और अभियान चलाना शुरू किया।
नमक सत्याग्रह में नहेरू का योगदान
वर्ष 1930 में नमक पर ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाये कर का विरोध करने के लिए नमक मार्च की शुरुआत की थी। ये एक अहिंसक विरोध था, जिसमें नेहरु ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मुख्य तौर पर ये लड़ाई घरेलु सत्तर पर भारतीयों को नमक बनाने देने के लिए लड़ी जा रही थी। इस विरोध में नेहरू ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ने के लिए गांव के लोगों एकजुट करने का कार्य किया था।
फासीवादा खिलाफ लड़ाई
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नेहरू ने ब्रिटेश को भारतीय की सहायता देने के लिए कुछ शर्तों का एक समझोता तैयार किया। उन्होंने ब्रिटेश सरकार के सामने शर्त रखी की वह युद्ध के बाद वह भारत को पूर्ण स्वतंत्रता देंगे। सरकार की केंद्रीय प्रशासनिक और सैन्य शाखा में भारतीयों की भागीदारी दी जाएगी। उनकी इन शर्तों को ब्रिटिश सरकार द्वारा खारिज कर दिया। इसके बाद नेहरू ने सभी स्वतंत्रता कार्यकर्ताओं से लोकतांत्रित देश के पक्ष में रहने के लिए कहा।