नेता जी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 में कटक ओडिसा में हुआ था। वह एक सच्चे देश भक्त, स्वतंत्रता सेनानी और लेख थें। उन्होंने कई पु्स्तकों और समाचार पत्रों का लेख किया है। जिसमें स्वराज समाचार पत्र की स्थापना उनके द्वारा ही की गई थी। उन्हें अपने पूरे जीवन काल में केवल देश के लिए सोचा और देश के लिए कार्य किया। देश के लिए सिविल सेवा की परीक्षा पास की और देश के लिए उस पद को इस्तीफा भी दिया। इतना ही नहीं भारत को आजद करने के लिए उन्हें भारतीय राष्ट्रीय सेना जिसे मुख्यतः आजाद हिंद फौज के नाम से जाना जाता है, कि स्थापना भी की।
शुरुआत में उन्होंने गांधी की विचारधार के अनुसार कार्य किया लेकिन बाद में कांग्रेस पार्टी में ही उनके नेतृत्व में एक वामपंथी दल उभरा। बोस के नेतृत्व वाले इस दल की स्थापना की गई और इसका नाम फॉरवर्ड ब्लॉक रखा गया। ये सच है कि आजाद हिंद फौज के माध्यम से देश आजाद नहीं हुआ लेकिन उनके द्वारा दिए गए "जय हिंद" "दिल्ली चलों" "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा" नारे और किए गए कार्यों ने हर देश वासी के दिल को छूआ था और आज भी उन्हें याद किाय जाता है।
वर्ष 2021 में भारत के प्रधानमंत्री द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस और उनके द्वारा किए गए कार्यों को सम्मानित करने के लिए उनकी जयंती से दिन को पराक्रम दिवस के रूप में घोषित किया गया। तभी से 23 जनवरी के दिन परक्राम दिवस मनाया जाता है। इस साल जहां भारत बोस की 127 जयंती मनाएगा वहीं 3 पराक्रम दिवस भी मनाया जाएगा। इसके साथ उनके द्वारा किए योगदानों को सम्मानित करने के लिए इंडिया गेट पर नेताजी के होलोग्राम की स्थापनी भी की गई है। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बोस द्वारा भारतीय स्वतंत्रता में किए गए योगदानों के बारे में बताएंगे।
सिविल सेवा से इस्तीफा देने के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में हुए शामिल
बोस ने अपनी प्रारंभिक और उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भारतीय सिविल सेवा की तरफ अपना रूख कर लिया था। उन्होंने वर्ष 1919 में सबसे अधिक अंक प्राप्त कर टॉप किया था और एक भारतीय सिविल सेवक के तौर पर अपना कार्यकाल शुरू किया था। जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद शुरू ब्रिटिश वस्तुओं के बहिष्कार के दौरान उन्होंने वर्ष 1921 में उन्होंने इसमे हिस्सा लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दिया और गांधी जी के असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया।
असहयोग आंदोलने के दौरान ही गांधी जी द्वारा उन्हें चित्तरंजन दास के साथ काम करने की सलाहा प्राप्त हुई। इस दौरान उन्होंने पूर्ण स्वराज की मांग को महत्व दिया। धीरे-धीरे वह गांधी जी द्वारा चलाए सभी आंदलनों में शामिल होने लगे और इसी दौरान उन्होंने करीब 11 बार गिरफ्तार किया गया और उन्होंने जेल की सजा काटी। देश के लिए अपनी भक्ति और उसे आजद देखने की उनकी प्रबल इच्छा ने उन्हें कमजोर नहीं पड़े दिया और वर्ष 1930 में जेल की सजा के दौरन ही उन्हें बाह कलकत्ता के मेयर के रूप में चुना गया।
यूरोप और भारत के बीत संपर्क किए स्थापित
खराब तबीयत के कारण उन्हें अंग्रेजों के द्वारा यूरोप जाने की मंजरी प्राप्त हुई। उस समय के दौरान भी वह अनपने उद्देश्य से नहीं भटके और उन्होंने वहां रह रहे भारतीय छात्रों और यूरोप के राजनेताओं से मुलाकत की ताकि उनके और भारत के बीच संपर्क कि स्थापना की जा सके और जरूर पड़ने पर उनकी सहायता प्राप्त की जा सकें।
आजाद हिंद फौज
भारत की स्वतंत्रता में सबसे बड़ा योगदान जो बोस का माना जाता है वह आजाद हिंद फौज की स्थापना। जिसे के लिए उन्होंने बहुत कार्य किया। अपने घर में नजरबंद होने के दौरान वर्ष 1941 में बोस भारत से भाग के जर्मनी चले गए और वहां उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता लीग के से साथ काम किया। उसके बाद वह सिंगापुर गए और आजाद हिंद फौज की पुननिर्माण किया गया। जिसमें बंदी बनाए गए भारतीय कैदियों और वहां रह रहे भारतीय निवासियों को शामिल किए जाने की प्रक्रिया शुरू की गई। उन्होंने फौज में पुरुषों के होने के साथ महिलाओं के योगदान पर जोर दिया और एक महिला रेजिमेंट बनाई। जिसकी अध्यक्षता उन्होंने कैप्टन लक्ष्मी स्वामीनाथन को दी। रेजिमेंट का नाम रानी झांसी रेजिमेंट रखा गया। महिलाओं को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए बोस द्वारा प्रोत्साहित किया गया। उन्होंने अपने शब्दों और अपनी विचारधार के माध्यम से लोगों को मन को छूआ। बोस ने कट्टरपंथी के रास्ते को अपनाया भारत को जल्द आजादी दिलाने का प्रयास किया।