NEET Topper के माता-पिता सरकारी टीचर, कोचिंग की फीस 13 लाख, क्या आम आदमी के लिए यह संभव है?

देश के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए आयोजित होने वाली परीक्षा नीट-2023 में इस साल विलुपुरम जिले के प्रबंजन ने 720/720 अंकों के साथ टॉप किया। माता-पिता समेत पूरे तमिलनाडु का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। इसी राज्य से कौस्तव बाउरी तीसरे स्थान पर, सूर्य सिद्धांत सातवें और वरुण एस 9वें स्थान पर रहे। टॉपरों के घर पर मीडिया का जमावड़ा लगा, इंटरव्‍यू छपे और मिठाईयां बांटी गईं। लेकिन टॉपर के इंटरव्यू को एक बार फिर से ध्‍यान से सुनिये। और अगर आप एक आम आदमी हैं, जिसकी सालाना आय 10 लाख से कम है, तो ज़रा सोचिए - क्या आप अपने बच्चे को नीट की कोचिंग करवा सकते हैं?

क्या आम आदमी के लिए यह संभव है?

चलिए फिर से हम उसी बात पर आते हैं, ध्‍यान से पढ़‍िए नीट टॉपर ने अपने पहले इंटरव्यू में क्या कहा- "मेरे माता-पिता सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं। मैंने नीट की तैयारी के लिए प्राइवेट कोचिंग की और उसके लिए मैंने 13 लाख रुपए खर्च किए। आज इस सफलता पर मुझे बहुत खुशी है।"

इसमें कोई शक नहीं कि प्रबंजन एक होनहार छात्र है, जिसने अपनी कड़ी मेहनत के बल पर नीट परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल किया है। लेकिन सोचने वाली बात यह है कि क्या एक आम आदमी के लिए यह संभव है?

यहां पर दो बातें सोचने वाली हैं- पहली कि एक मिडिल क्लास फैमिली के लिए नीट या फिर आईआईटी-जेईई जैसी परीक्षाओं की कोचिंग की फीस भरना कितना संभव है। यही नहीं, अगर आप अपने आस-पड़ोस में उन बच्चों से बात करेंगे, जो कोचिंग करने के बाद भी इस परीक्षा में सफल नहीं हो पाये हैं तो उनके मन में भी कहीं न कहीं एक टीस होगी कि माता-पिता की गाढ़ी कमाई कोचिंग में गई फिर भी सफलता नहीं मिली।

NEET, JEE जैसी परीक्षाओं के लिए क्यों पड़ती है कोचिंग की जरूरत?

जैसा कि आप जानते हैं कि नीट, जेईई, आदि परीक्षाएं नेशनल टैलेंट एजेंसी (NTA) करवाता है। एनटीए एक केंद्रीय संस्था है और यह अपनी सभी परीक्षाओं में केंद्रीय माध्‍यमिक शिक्षा संगठन यानि सीबीएसई बोर्ड के सिलेबस यानि पाठ्यक्रम से ही सवाल पूछता है।

क्या आम आदमी के लिए यह संभव है?

ऐसे छात्र जो सीबीएसई बोर्ड से10वीं और 12वीं नहीं करते हैं, उनके लिए नीट जैसी परीक्षाएं और भी कठिन हो जाती हैं। दरअसल सभी राज्यों का अपना अलग पाठ्यक्रम है और पढ़ाने का तरीका भी कुछ-कुछ अलग ही होता है। ऐसे में बच्चा अगर यूपी बोर्ड से पढ़ रहा है, तो हो सकता है कि वो ऐसे कई विषयों से अंजान रह जाये, जो नीट में पूछे जाते हैं। ऐसा केवल यूपी ही नहीं, बल्कि तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, बिहार, हर राज्य के साथ है।

बच्चे क्यों चुनते हैं राज्य बोर्ड?

कर्नाटक का उदाहरण लेकर हम आपको यह बताना चाहते हैं कि इस राज्य में अधिकांश लोग जिन्हें लगता है कि जेईई, नीट जैसी परीक्षाएं उनके बस की नहीं हैं, वो 10वीं, 12वीं में कर्नाटक बोर्ड में एडमीशन ले लेते हैं। ताकि राज्य द्वारा आयोजित की जाने वाली कर्नाटक सीईटी परीक्षाओं में वो बेहतर प्रदर्शन कर सकें। क्योंकि सीईटी कर्नाटक में राज्य बोर्ड के पाठ्यक्रम से ही सवाल पूछे जाते हैं।

टॉप 200 रैंक में नहीं आ सके 17 राज्यों/यूटी के बच्चे

अगर आप नीट-2023 परिणामों में राज्य-वार टॉपरों की सूची देखेंगे तो पायेंगे कि देश के 17 राज्य व केंद्रशासित प्रदेश ऐसे हैं, जहां के बच्चे नीट परीक्षा की मेरिट लिस्ट में टॉप 200 तक में नहीं आ सके। वे राज्य हैं- चंडीगढ़, पुदुचेरी, उत्तराखंड, असम, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, मेघालय, नागालैंड, गोवा, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, दादरा एवं नागर हवेली, सिक्क‍िम, लद्दाख, दमन एवं दीव, लक्षद्वीप और मिज़ोरम।

वहीं अर 100 से लेकर 200 रैंक के बीच की बात करें तो जम्मू कश्‍मीर, हिमाचल प्रदेश और झारखंड के टॉपर इन रैंकों के बीच हैं। यही नहीं मेघालय, नागालैंड, गोवा, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, दादरा एवं नागर हवेली, सिक्क‍िम, लद्दाख, दमन एवं दीव, लक्षद्वीप और मिज़ोरम के छात्र तो टॉप 1000 रैंक में भी नहीं आ पाये।

इससे यह साफ है कि राज्यों में जो पढ़ाया जाता है, वो सीबीएसई से एकदम अलग है और चूंकि कोचिंग कराना हर माता-पिता के बस की बात नहीं, इसलिए होनहार छात्र भी रैंक में पीछे रह जाते हैं।

एक बड़ा सवाल- क्या नीट को सीबीएसई तक सीमित रखना गलत नहीं है?

क्या आपको नहीं लगता कि नीट जैसी परीक्षाओं का पाठ्यक्रम सीबीएसई तक रखना गलत नहीं है। अगर आप यह सोचते हैं कि अब तो हर राज्य में सीबीएसई बोर्ड के स्कूल हैं, वहां भी बच्‍चे पढ़ सकते हैं, तो एक बार उन स्कूलों की फीस पर भी गौर कर लीजिएगा। बेंगलुरु हो या कानपुर या फिर जगदलपुर, सीबीएसई के प्राइवेट स्कूलों की सालाना फीस एक लाख से शुरू होकर डेढ़ से दो लाख रुपए होती है।

क्या यह बच्‍चों के साथ सामाजिक अन्याय नहीं है?

यहां पर आपको तमिलनाडु के अरियलुर जिले की अनीता शानमुघन की याद दिलाना चाहेंगे, जिसने 1 सितंबर 2017 को आत्महत्या कर ली थी। कारण था नीट-2017 में उसका सेलेक्शन नहीं होना। तमिलनाडु बोर्ड से 12वीं की परीक्षा में अनीता ने 1200 में से 1176 अंक हासिल किए थे। लेकिन NEET-UG 2017 में उसे 720 में से मात्र 86 अंक मिले। उस साल मेरिट लिस्ट का कटऑफ 40 प्रतिशत गया था। नीट में अपनी परफॉर्मेंस देख कर वो इतनी अधिक निराश हो गई कि उसने मौत को गले लगा लिया।

क्या आम आदमी के लिए यह संभव है?

नीट 2023 की परीक्षा के परिणाम आने के बाद ऐसे न जाने कितने छात्र होंगे जो निराश होंगे, हताश होंगे। मन ही मन दु:खी होंगे और सोच रहे होंगे कि पढ़ाई में ऐसी क्या कमी रह गई, जो इस साल परीक्षा पास नहीं कर पाये। हम उनसे केवल एक ही बात कहना चाहेंगे कि अगर बोर्ड का पाठ्यक्रम ही अलग है, तो इसमें उनकी कोई गलती नहीं है। आपने मेहनत की है तो आपको आगे चलकर इसके अच्छे परिणाम जरूर मिलेंगे।

केवल सीबीएसई के पाठ्यक्रम के आधार पर नीट परीक्षा करवाना, एक तरह का सामाजिक अन्याय नहीं है? खास तौर से उनके साथ जो आर्थिक रूप से सशक्त नहीं हैं।

सच पूछिए तो आज की तारीख में मेडिकल की पढ़ाई गरीब या मिडिल क्लास परिवारों के बस की बात नहीं रह गई है। केवल अपर मिडिल और अमीर लोग ही इसका भार उठा सकते हैं! और हॉं अगर आप अपने बच्‍चों को डॉक्टर बनाने का सपना देख रहे हैं तो कोचिंग के लिए कम से कम 10 लाख रुपए और फिर मेडिकल की पढ़ाई के लिए 15 से 20 लाख रुपए रख लीजिए। अगर गलती से भी आप प्राइवेट कॉलेज चले गए तो 50 लाख से एक करोड़ तक कुछ भी नहीं हैं।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

लखनऊ के श्री जयनारायण पीजी कॉलेज के शिक्षक एवं अखिल भारतीय अधिकार संगठन के अध्‍यक्ष डॉ. आलोक चंटिया ने इसके पीछे दो बातें बताईं, जो वाकई में देश के छात्रों के लिए किसी दुर्भाग्य से कम नहीं। पहली बात अगर देश में कोई चीज प्रति व्यक्ति आय से अधिक महंगी है, तो इसका मतलब वह अधिकांश लोगों की पहुंच से बाहर होगी। वर्तमान में हमारे देश की प्रतिव्यक्ति आय 1 लाख 72 हजार है, जबकि नीट, जेईई जैसी परीक्षाओं की कोचिंग 5 लाख से 15 लाख रुपए तक चार्ज करती हैं। दुर्भाग्यवश सरकार इस पर नियंत्रित नहीं कसती है, जिस वजह से यह सामाजिक अन्‍याय की श्रेणी में आता है।

डॉ. चांटिया ने आगे कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत हर कोई सरकार की नज़र में समान है, वहीं अनुच्छेद 16 के तहत हर किसी को समान अवसर मिलना चाहिए। यहां पर अगर कोई बच्चा यूपी बोर्ड, बिहार बोर्ड या तमिलनाडु बोर्ड से पढ़ कर आ रहा है और उससे सीबीएसई के सवाल पूछे जा रहे हैं, तो यह पूरी तरह से कानून का उल्लंघन है। इस व्यवस्था पर सरकार को विचार करना चाहिए।

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English summary
Tamil Nadu student Prabhanjan tops in NEET exam 2023. He belongs to a middle class family and paid Rs. 13 lakh for NEET coaching. Is it really possible for normal middle-class family in India?
--Or--
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