National Unity Day Debate: राष्ट्रीय एकता दिवस पर करें बहस, पक्ष- विपक्ष में दें अपने विचार

राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) हर साल 31 अक्टूबर को मनाया जाता है, जो भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के रूप में स्थापित किया गया है। इस दिन का उद्देश्य देश में एकता, अखंडता और भाईचारे को बढ़ावा देना है। राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर देश भर में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें मुख्य रूप से 'रन फॉर यूनिटी' और विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं।

National Unity Day Debate: राष्ट्रीय एकता दिवस पर करें बहस, पक्ष- विपक्ष में दें अपने विचार

इसके अलावा, इस दिन के प्रति कई लोग समर्थन में हैं, जो इसे राष्ट्रीय भावना और एकता को बनाए रखने का साधन मानते हैं, जबकि कुछ लोगों का मानना है कि इसे मनाने के पीछे राजनीतिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से सवाल उठते हैं। आइए आज के इस लेख में हम राष्ट्रीय एकता दिवस विषय पर बहस के दोनों पहलुओं पर नजर डालते हैं।

राष्ट्रीय एकता दिवस पर वाद- विवाद प्रतियोगिता में ले हिस्सा

पक्ष में (In Favor):

राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा: राष्ट्रीय एकता दिवस का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य देश के विभिन्न क्षेत्रों, भाषाओं, संस्कृतियों और धर्मों के लोगों को एक सूत्र में बांधना है। यह दिवस हमें यह याद दिलाता है कि भारत विविधताओं में एकता का प्रतीक है, और हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं का सम्मान करते हुए एकजुट रहना चाहिए। इससे विभिन्न समुदायों के बीच आपसी सद्भाव और भाईचारे को बढ़ावा मिलता है।

सरदार वल्लभभाई पटेल की भूमिका को सम्मान: इस दिवस के माध्यम से सरदार पटेल के योगदान को याद किया जाता है, जिन्होंने आजाद भारत के विभिन्न रियासतों को एक साथ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पटेल ने 500 से अधिक रियासतों को भारतीय गणराज्य का हिस्सा बनाने के लिए कठिन परिश्रम किया था। राष्ट्रीय एकता दिवस उनके योगदान की सराहना और युवा पीढ़ी को उनके आदर्शों के प्रति जागरूक करने का एक प्रयास है।

देश की अखंडता को संरक्षित करने की आवश्यकता: भारत जैसे बड़े और विविधता से भरे देश में, एकता और अखंडता का महत्त्व सर्वोपरि है। राष्ट्रीय एकता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक विभाजन के बावजूद, हमें देश की एकता और अखंडता को संरक्षित रखना है। यह दिवस हर भारतीय के अंदर देशप्रेम और आपसी सहयोग की भावना को जागृत करता है, जिससे हम बाहरी और आंतरिक चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।

युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा: यह दिवस खासकर युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। युवा वर्ग को राष्ट्रीय एकता, अखंडता और देश के विकास के प्रति जागरूक करने के लिए ऐसे दिवस आवश्यक होते हैं। इस प्रकार के आयोजनों में भाग लेकर युवा न केवल देश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर से परिचित होते हैं, बल्कि उनमें समाजसेवा और देशप्रेम की भावना भी मजबूत होती है।

राष्ट्रीय उत्सव की भावना: राष्ट्रीय एकता दिवस एक तरह का राष्ट्रीय उत्सव बन गया है, जिसमें सभी क्षेत्रों के लोग भाग लेते हैं। चाहे 'रन फॉर यूनिटी' हो, सांस्कृतिक कार्यक्रम हो या शैक्षिक गतिविधियां, इन सभी से समाज में एकजुटता का माहौल बनता है और सभी को एक साथ आने का मौका मिलता है। ऐसे कार्यक्रमों से सामाजिक संबंध मजबूत होते हैं और विभिन्न समुदायों के बीच संपर्क बढ़ता है।

विपक्ष में (Against):

राजनीतिक उद्देश्यों का आरोप: कई आलोचकों का मानना है कि राष्ट्रीय एकता दिवस को राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग किया जा रहा है। कुछ लोग इसे एक राजनीतिक पहल मानते हैं, जिसमें खास दलों या नेताओं की विचारधारा को बढ़ावा दिया जाता है। उनका मानना है कि सरदार पटेल का नाम केवल एक राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे उनकी वास्तविक उपलब्धियों की छाया में राजनीति की जा रही है।

सरदार पटेल की विरासत पर विशेष ध्यान: राष्ट्रीय एकता दिवस के जरिए केवल सरदार पटेल पर ध्यान केंद्रित करना देश के अन्य नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों की उपेक्षा के रूप में देखा जा सकता है। आलोचक सवाल उठाते हैं कि क्यों अन्य महापुरुषों को समान महत्त्व नहीं दिया जाता, जबकि स्वतंत्रता संग्राम और देश की एकता के लिए कई अन्य नेताओं ने भी योगदान दिया है।

वास्तविक एकता का अभाव: आलोचक यह भी दावा करते हैं कि केवल एक दिवस मनाने से वास्तविक एकता को बढ़ावा नहीं मिलता। भारत में जातिवाद, धार्मिक विभाजन, भाषाई मतभेद और क्षेत्रीय संघर्ष जैसी समस्याएं अब भी बरकरार हैं। ऐसे में एक दिवस को मनाकर वास्तविक सामाजिक और सांस्कृतिक विभाजनों को खत्म नहीं किया जा सकता। इसके लिए आवश्यक है कि समावेशी नीतियों और ठोस कदमों पर ध्यान दिया जाए, जिससे वास्तविक एकता का निर्माण हो।

सांस्कृतिक विविधता की अनदेखी: कई बार राष्ट्रीय एकता दिवस की अवधारणा केवल कुछ सांस्कृतिक प्रतीकों तक सीमित हो जाती है, जिससे देश की पूरी सांस्कृतिक विविधता का सम्मान नहीं हो पाता। भारत की विविधता में कई भाषाएं, संस्कृतियां और परंपराएं शामिल हैं, लेकिन अक्सर इस दिवस पर एक विशेष प्रकार की संस्कृति और विचारधारा को प्राथमिकता दी जाती है, जो बाकी सांस्कृतिक धरोहरों की अनदेखी कर सकती है।

वित्तीय और समय की बर्बादी: कई लोगों का मानना है कि इस प्रकार के आयोजनों में देश के महत्वपूर्ण संसाधनों, समय और धन का गलत उपयोग किया जाता है। सरकारें और संस्थाएं इस दिन पर बड़े-बड़े आयोजन करती हैं, जिनमें भारी वित्तीय व्यय होता है। आलोचकों का मानना है कि इन संसाधनों का इस्तेमाल शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण में किया जाना चाहिए।

राष्ट्रीय एकता दिवस पर पक्ष और विपक्ष दोनों के अपने-अपने तर्क हैं। एक ओर यह दिवस हमें राष्ट्रीय एकता, सामाजिक सौहार्द और भाईचारे की याद दिलाता है और सरदार पटेल के अद्वितीय योगदान को सम्मानित करता है। दूसरी ओर, कुछ आलोचक इसे एक राजनीतिक कदम मानते हैं और इसकी प्रासंगिकता पर सवाल उठाते हैं। ऐसे में यह आवश्यक है कि हम इस दिवस के मूल उद्देश्य पर ध्यान दें और इसे राजनीतिक स्वार्थ से दूर रखकर देश की एकता और अखंडता को सशक्त बनाने के माध्यम के रूप में देखें।

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English summary
National Unity Day is celebrated every year on 31 October, which is established as the birth anniversary of the Iron Man of India, Sardar Vallabhbhai Patel. The purpose of this day is to promote unity, integrity and brotherhood in the country. On the occasion of National Unity Day, various types of programs are organized across the country and one of these is the debate competition.
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