National Sports Day 2022 Speech Essay History Significance Awards Quotes Major Dhyan Chand: भारत में हर साल 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है। भारतीय हॉकी के दिग्गज मेजर ध्यानचंद की जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है। मेजर ध्यानचंद ने वर्ष 1928 और 1936 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारत को स्वर्ण पदक की पहली हैट्रिक जितवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ध्यानचंद ने अपने हॉकी करियर की शुरुआत ब्रिटिश भारतीय सेना की रेजिमेंटल टीम से की थी। वह दिन में अपने रेजिमेंटल कर्तव्यों को पूरा करने के बाद, चांदनी में रात में हॉकी का अभ्यास करते थे, इसलिए उनका नाम ध्यान 'चंद' पड़ा था। आज भारत में खेल को विषय के रूप में बहुत अधिक पढ़ाया जाता है। स्कूलों-कॉलेजों में राष्ट्रीय खेल दिवस पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। राष्ट्रीय खेल दिवस पर निबंध और राष्ट्रीय खेल दिवस पर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। ऐसे में यदि आप भी राष्ट्रीय खेल दिवस पर निबंध भाषण की तैयारी कर रहे हैं तो यह लेख आपके लिए मददगार साबित होगा। आइए जानते हैं राष्ट्रीय खेल दिवस पर निबंध भाषण का बेस्ट आइडिया ड्राफ्ट।
राष्ट्रीय खेल दिवस पर भाषण निबंध इतिहास महत्व पुरस्कार
सुप्रभात, माननीय अतिथिगण और मेरे प्यारे दोस्तों। मेरा नाम अजय है। मैं कक्षा 10वीं का छात्र हूं। मुझे आप सभी का स्वागत करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। आज हम सब यहां राष्ट्रीय खेल दिवस के उपलक्ष्य में उपस्तिथ हुए हैं। राष्ट्रीय खेल दिवस मेजर ध्यानचंद की जयंती का प्रतीक है। भारत में पहला राष्ट्रीय खेल दिवस 29 अगस्त 2012 को मनाया गया था। राष्ट्रीय खेल दिवस मेजर ध्यानचंद की विरासत का सम्मान करने और हमारे जीवन में खेल के महत्व को स्वीकार करने के लिए मनाया जाता है। जीवन में शारीरिक गतिविधियों और खेलों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न कार्यक्रम और सेमिनार आदि आयोजित किए जाते हैं। खेल जगत में देश का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ियों को इस दिन, राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन पुरस्कार, ध्यानचंद पुरस्कार और द्रोणाचार्य पुरस्कार जैसे कई पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं। भारत के राष्ट्रपति इस दिन खेल से संबंधित पुरस्कार प्रदान करते हैं।
ध्यानचंद ने वर्ष 1928, 1932 और 1936 में भारत की लगातार तीन ओलंपिक जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अक्सर उनके अविश्वसनीय हॉकी कौशल के लिए उन्हें 'द विजार्ड' के रूप में जाना जाता है। उन्होंने वर्ष 1926 से 1948 तक अपने करियर में 400 से अधिक गोल किए। 1936 के बर्लिन ओलंपिक फाइनल में ध्यानचंद का प्रदर्शन उनके सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनों में से एक माना जाता है। वह 3 गोल के साथ खेल में शीर्ष स्कोरर था और भारत ने जर्मनी को आसानी से 8-1 से हरा दिया था। उन्हें 1956 में भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
राष्ट्रीय खेल दिवस का मुख्य लक्ष्य खेलों के महत्व के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना और दैनिक जीवन में शारीरिक रूप से सक्रिय रहना है। भारत सरकार ने 29 अगस्त 2012 को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाने की शुरुआत की। भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में खेलो इंडिया अभियान की घोषणा की। कई खेल हस्तियों को भारत के राष्ट्रपति से महत्वपूर्ण खेल सम्मान प्राप्त होते हैं, जिनमें खेल रत्न, अर्जुन पुरस्कार, द्रोणाचार्य पुरस्कार और ध्यानचंद पुरस्कार शामिल हैं। ध्यानचंद पुरस्कार एक एथलीट के खेल में उसके जीवन भर की उपलब्धियों को मान्यता देता है।
29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद (प्रयागराज) में जन्मे ध्यानचंद 16 साल की उम्र में ब्रिटिश भारतीय सेना में एक सिपाही के रूप में शामिल हुए। उन्होंने विशेष रूप से 1922 और 1926 के बीच सेना हॉकी टूर्नामेंट में खेला। वर्ष 1948 में उन्होंने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच खेला। रेजिमेंटल में रहते हुए वह चांदनी में रात में हॉकी का अभ्यास करते थे, इसलिए उनका नाम ध्यान 'चंद' पड़ा था। कोमा में जाने के बाद 3 दिसंबर, 1979 को दिल्ली में ध्यानचंद का निधन हो गया था।