National Education Day 2024 Date, Theme, History, Significance in Hindi: देश के पहले शिक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अपना बहुमूल्य योगदान दिया। उन्होंने स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए बच्चों का मार्गदर्शन किया। जी हां, हम बात कर रहे हैं, देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की। 11 नवंबर को देश भर में उनकी जन्म जयंती मनाई जा रही है।
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की पहचान एक महान स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद के रूप में की जाती है। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जन्म जयंती के अवसर पर प्रत्येक वर्ष देश में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है। इस दिन शिक्षा के महत्व को बढ़ावा दिए जाने के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के बारे में...
देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को सऊदी अरब के मक्का में हुआ था। उन्होंने स्वतंत्र भारत के लिए कई आंदोलनों में जमकर हिस्सा लिया और अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का असली नाम मुहियुद्दीन अहमद था। अबुल कलाम के पिता गुलाम यजदानी एक इस्लामी विद्वान थे।
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय संस्थानों से अरबी और फ़ारसी साहित्य से हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने ब्रिटिश शासन के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ने का निर्णय लिया और भारतीय आज़ादी की लड़ाई में मुख्य रूप से शामिल हो गए। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में कई बड़े नेताओं के साथ मिलकर देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी।
आखिरकार सन् 1947 में भारत को अंग्रेजी हुकूमत से स्वतंत्रता मिली। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री चुने गये। शिक्षा मंत्री के पद पर रहते हुए उन्होंने शिक्षा के विकास के लिए कई योजनाएं पारित की और बच्चों एवं युवाओं को शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूक भी किया। अबुल कलाम का निधन 22 फ़रवरी 1958 को नई दिल्ली में हुआ।
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस कब मनाया जाता है?
स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जन्म जयंती के अवसर पर प्रत्येक पर 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन शिक्षा के क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के अवसर पर स्कूलों, कॉलेजों एवं शिक्षण संस्थानों में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
Rashtriya Siksha Diwas क्यों मनाया जाता है?
भारत के पूर्व शिक्षा मंत्री अबुल कलाम का मानना था कि किसी देश में सामाजिक परिवर्तन के लिए शिक्षा की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। उन्हें विश्वास थी कि यदि भारत का हर नागरिक शिक्षित होगा तो देश का विकास तेजी से हो सकेगा। उन्होंने बतौर शिक्षा मंत्री हमेशा शिक्षा के अधिकार पर जोर दिया और युवाओं को शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया।
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने देश में शिक्षा को बढ़ावा देते हुए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई), विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) और जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय जैसे कई शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना की। उनके इन्हीं योगदानों के कारण प्रत्येक वर्ष 11 नवंबर को देश में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है।
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 2024 तिथि और थीम
हर साल राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 2024, 11 नवंबर को मनाया जाता है। हर साल इस दिन को एक खास थीम के आधार पर मनाया जाता है। राष्ट्रीय शिक्षा दिवस थीम शिक्षा के विभिन्न पहलुओं पर केंद्रित होती है। इस वर्ष की थीम की घोषणा अभी तक नहीं की गई है। राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 2024 थीम की घोषणा होते ही इस लेख को अपडेट किया जायेगा।
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का इतिहास क्या है?
पहली बार राष्ट्रीय शिक्षा दिवस की शुरुआत 2008 में की गई थी। इस दिन भारत सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के योगदान को सम्मानित करने और राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाने का निर्णय लिया। मौलाना आज़ाद स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे और उन्होंने शिक्षा के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाएं।
National Education Day राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का महत्व
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का उद्देश्य केवल मौलाना आज़ाद के योगदान का सम्मान करना नहीं है, बल्कि यह दिन समाज में शिक्षा के महत्व और इसकी शक्ति पर जोर देने के लिए भी मनाया जाता है। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का मानना था कि शिक्षा एक ऐसा साधन है, जो न केवल व्यक्ति के जीवन को बदलता है, बल्कि समाज और देश के विकास में भी अहम भूमिका निभाता है।
मौलाना आज़ाद का यह भी मानना था कि शिक्षा सभी वर्गों के लिए अनिवार्य होनी चाहिये और इसीलिए उन्होंने प्राथमिक शिक्षा के लिए विशेष ध्यान दिया। उनके प्रयासों से ही भारत में आधुनिक शिक्षा प्रणाली की नींव पड़ी और शिक्षा को समाज का अभिन्न हिस्सा बनाया गया।
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