Maulana Abul Kalam Azad Death Anniversary 2022 भारत के महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक डॉ मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान रहा है। अबुल कलाम आज़ाद स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने। अबुल कलाम आज़ाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को मक्का में हुआ था और अबुल कलाम आज़ाद का निधन 22 फरवरी 1958 को नई दिल्ली में हुआ था। आज अबुल कलाम आज़ाद की 64वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है। स्कूल कॉलेज आदि में अबुल कलाम आज़ाद पर निबंध या 10 लाइन का भाषण लिखने के लिए दिया जाता है। प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए भी छात्र अबुल कलाम आज़ाद पर निबंध भाषण 10 लाइन आदि लिखने के लिए दिए जाते हैं। ऐसे में अगर आपको भी अबुल कलाम आज़ाद पर लेख आलेख लिखना है तो करियर इंडिया आपके लिए सबसे बेस्ट अबुल कलाम आज़ाद पर निबंध भाषण 10 लाइन का ड्राफ्ट लेकर आया है। जिसकी मदद से छात्र आसानी से अबुल कलाम आज़ाद पर निबंध भाषण 10 लाइन आसानी से लिख सकते हैं।
अबुल कलाम आज़ाद पर निबंध भाषण 10 लाइन
सैय्यद गुलाम मुहियुद्दीन अहमद बिन खैरुद्दीन अल हुसैनी, जिन्हें मौलाना अबुल कलाम आजाद के नाम से जाना जाता है। अबुल कलाम आज़ाद अरबी, बंगाली, हिंदुस्तानी, फारसी और अंग्रेजी समेत की भाषाओं में पारंगत थे।
अबुल कलाम आज़ाद ने शिक्षाविदों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और जब वह बारह वर्ष के थे, तब वह एक पुस्तकालय चला रहे थे। जब अबुल कलाम आज़ाद 15 साल की उम्र के थे, तक वह अपनी उम्र से दुगनी उम्र के छात्रों को पढ़ा रहे थे। उन्होंने 16 साल की उम्र में शिक्षा का पारंपरिक पाठ्यक्रम पूरा किया।
अबुल कलाम आज़ाद ने किशोरावस्था में ही उर्दू भाषा में शायरी लिखना शुरू कर दिया था। आजाद ने उर्दू में की शायरी लिखीं। उन्होंने एक पत्रकार के रूप में ब्रिटिश राज के खिलाफ कई आलोचनात्मक लेख भी लिखे।
अबुल कलाम आज़ाद एक राष्ट्रवादी नेता थे, उन्होंने नस्लीय भेदभाव और आम लोगों की जरूरतों की अनदेखी के लिए अंग्रेजों की कड़ी आलोचना की। आजाद ने सांप्रदायिक अलगाव के खिलाफ थे। आजाद ने अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए विभिन्न धर्मों के भारतीयों को एकजुट किया।
आजाद बचपन से ही पत्रकारिता और राजनीति की ओर आकर्षित थे। महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन को अपना समर्थन देते हुए, मौलाना आज़ाद जनवरी 1920 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुआ। उन्होंने सितंबर 1923 में कांग्रेस के विशेष सत्र की अध्यक्षता की और वह कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में चुने गए सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे।
अबुल कलाम आज़ाद महात्मा गांधी से बहुत प्रभावित थे, वह सदेव उनके आदर्शों का अनुसरण करते थे। आजाद 'खिलाफत आंदोलन' के प्रमुख नेता बने और सविनय अवज्ञा और असहयोग आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।
अबुल कलाम आज़ाद पाकिस्तान के निर्माण का विरोध करने वाले सबसे प्रमुख मुस्लिम नेता रहे। वह सदेव अखंड और धर्मनिरपेक्ष भारत के पक्षधर थे। अबुल कलाम आज़ाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने।
अबुल कलाम आज़ाद ने वल्लभभाई पटेल और डॉ. राजेंद्र प्रसाद के साथ मिलकर काम किया। 9 अगस्त 1942 को मौलाना आज़ाद को कांग्रेस के अधिकांश नेताओं के साथ गिरफ्तार कर लिया गया था। फिर चार साल बाद 1946 में उन्हें रिहा कर दिया गया।
1946 में मौलाना ने कांग्रेस के भीतर संविधान सभा चुनावों का नेतृत्व किया और साथ ही ब्रिटिश कैबिनेट मिशन के साथ बातचीत की शर्तों पर चर्चा की। उन्होंने धर्म के आधार पर विभाजन के विचार का कड़ा विरोध किया और जब यह विचार पाकिस्तान को जन्म देने के लिए आगे बढ़ा तो उन्हें बहुत दुख हुआ।
22 फरवरी 1958 को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेताओं में से एक मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का निधन हो गया। राष्ट्र निर्माण में उनके अमूल्य योगदान के लिए मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को 1992 में मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया था।