Mahatma Gandhi Death Anniversary 2022 आज भी अधूरे हैं महात्मा गांधी के ये चार सपने, कोई नहीं कर पाए पूरे

Mahatma Gandhi Death Anniversary 2022 30 जनवरी 2022 को महात्मा गांधी की 72वीं पूण्यतिथि है। महात्मा गांधी की पूण्यतिथि को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। महात्मा गांधी की भूमिका देश की आजादी में सबसे महत्वपूर्ण रही

Mahatma Gandhi Death Anniversary 2022 30 जनवरी 2022 को महात्मा गांधी की 74वीं पूण्यतिथि है। महात्मा गांधी की पूण्यतिथि को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। महात्मा गांधी की भूमिका देश की आजादी में सबसे महत्वपूर्ण रही है। इसके साथ ही उन्होंने आजाद भारत के लिए भी कुछ सपने देखे थे। वह देश में रामराज्य की स्थापना की कल्पना करते थे। कैसी थी उनके इस रामराज्य की संकल्पना ? महात्मा गांधी के सपनों का भारत कैसा होना चाहिए, जानिए एक नजर में...

Mahatma Gandhi Death Anniversary 2022 आज भी अधूरा है महात्मा गांधी के सपनों का भारत,

हाल के सालों में रामराज्य को लेकर हर तरफ खूब चर्चाएं होती रही है। कुछ लोग इसी आधार पर गांधी जी पर ह्रदय से हिंदुत्व के लिए झुकाव रखने का आरोप लगाते हैं। गांधी जी कहते थे मेरे सपनों का भारत रामराज्य होगा। लेकिन गहराइयों से समझते तो स्पष्ट हो जाता है कि गांधी का रामराज्य धार्मिक नहीं बल्कि सामाजिक बराबरी और उसकी निरंतर स्पष्ट प्रतिष्ठा प्रतिष्ठा पर टिका विचार था।

चाहते तो गरीबों-वंचितों का उत्थान
गांधी जी जब कहते थे कि मेरे सपनों का भारत रामराज्य होगा तो उनका साफ मतलब था कि उसमें सबसे गरीब वंचित लोगों के उत्थान की पूर्ण व्यवस्था होगी। मार्च 1930 में उन्होंने नवजीवन अखबार में इस संबंध में एक लेख लिखा था जिसका शीर्षक था 'स्वराज और रामराज्य' अपने इस लेख में गांधी जी कहते हैं कोई स्वराज के कितने ही अर्थ क्यों ना निकाले, लेकिन मेरे लिए तो इसका अर्थ एक ही है और वह है रामराज्य। गांधीजी भी इस बात को जानते थे कि कई लोग उनके रामराज्य सब से खुश नहीं है। इसलिए उन्होंने इस शब्द में यह भी कहा अगर आप किसी को रामराज्य शब्द बुरा लगता हो तो आप इससे बदलकर धर्मराज्य कर सकता हूं। लेकिन इससे मेरे रामराज्य की अवधारणा पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। क्योंकि मेरे लिए रामराज्य का मतलब एक ऐसा राज्य जिसमें गरीबों को संपूर्ण सुरक्षा होगी और किए जाने वाले सभी काम घर्मपूर्वक किए जाएंगे। साथ ही यहां लोकमत का हमेशा आदर किया जाएगा।

लोग भावना को माना सबसे जरूरी
गांधीजी लोग भावना की अपेक्षा नहीं करते थे। क्योंकि आम लोगों के लिए अच्छे और बुरे की सबसे मजबूत कसौटी धर्म है। इसलिए गांधीजी अपने जीवन में हर काम को धर्म सम्मत करना चाहते थे। गांधी जी कहते थे कि किसी भी सिद्धांत में चाहे वह अपने आपको कितना ही विद्वान या भी वैज्ञानिक क्यों ना कहता हूं, अगर लोकमत उसके साथ नहीं है तो, मेरे लिए उसका कोई अर्थ नहीं है। गांधीजी की नजरों में जनता उसकी भावना सबसे ऊपर थी। गांधी जी अपने जीवन में बहुत ही सात्विक और धर्म प्रवृत्ति के थे। लेकिन उनकी यह धार्मिकता कर्मकांड ओर से संचालित नहीं थी। वह मंदिर नहीं जाते थे, लेकिन हर दिन सुबह और शाम धार्मिक प्रार्थना सामूहिक रूप से किया करते थे। गांधी जी ने धर्म को कभी अपना निजी जीवन नहीं मानना। बल्कि वह धर्म को अपने सामाजिक जीवन में पूरी सामाजिक संप्रभुता के साथ धारण किए थे।

धार्मिक आचरण की करते थे वकालत
गांधी जी कहते थे कि रामराज्य का अर्थ किसी पांडित्य से नहीं बल्कि उसे सच्चाई और उसे सम्मान से है जो हर स्त्री पुरुष और बालक में मौजूद होता है। गांधीजी बड़ी सहजता से कहते थे कि दुख मात्र इतना ही है कि लोग उस स्त्री को पहचानते नहीं उस सत्य को जानते नहीं जो सब में मौजूद है। गांधीजी धार्मिक जीवन के पक्षधर नहीं थे बल्कि आचरण को ही धार्मिक बना देने की वकालत करते थे। वह कहते थे कि अगर इंसान ने अपने जीवन में सत्य, अहिंसा, मर्यादा, क्षमा, धैर्य और वीरता को आत्मसात कर लिया है तो उसका जीवन चक्र साक्षात धर्म है। गांधी जी भी यही कहते थे कि दुनिया में ऐसे कोई संतान नहीं है जिसमें वह सभी धार्मिक और मानवीय संभावनाएं मौजूद ना हो, जिन्हें हम धर्म का निचोड़ कहते हैं। इसलिए बजाए धर्म पालन के जरूरत बात इस बात की है कि अपने आचरण में इन सब बातों को समाहित कर लिया जाए।

चाहते थे स्त्रियों के लिए बराबरी का दर्जा
गांधी जी रामराज्य के संदर्भ में स्त्रियों को भी जोड़ते थे और कहते थे कि जब तक स्त्री या सार्वजनिक जीवन में पुरुषों के साथ हिस्सा नहीं लेगी तब तक हिंदुस्तान का उद्धार नहीं हो सकता। अगर पहले आम चुनाव तक या इसके बाद गांधी जी जिंदा रहते और वह संसद में महिलाओं की स्थिति देखते तो क्या वह महिलाओं को लोकतंत्र में संसद में बराबरी की भागीदारी के लिए 50 फ़ीसदी के आरक्षण की व्यवस्था नहीं करवाते ? जरूर करवा देते हैं। क्योंकि यह भी उनके लिए राजनीतिक नहीं बल्कि धार्मिक कृत्य होता। उनकी नजरों में इस धार्मिकता से ही सामाजिक बराबरी संभव होती है।

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English summary
Mahatma Gandhi Death Anniversary 2022 30 January 2022 is the 72nd death anniversary of Mahatma Gandhi. Mahatma Gandhi's death anniversary is celebrated as Martyr's Day. Mahatma Gandhi's role has been most important in the independence of the country. Along with this, he had some dreams for independent India as well. He envisioned the establishment of Ramrajya in the country. How was his concept of this Ram Rajya? Know what India should be like in Mahatma Gandhi's dreams ...
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