Mahatma Gandhi Death In Hindi भारत के राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी की पूण्यतिथि 30 जनवरी को मनाई जाती है। 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गोली मार कर महात्मा गांधी की हत्या कर दी। भारत की आजादी के लिए अपना पूरा जीवन देश की सेवा में समर्पित करने की वजह से लोग उन्हें प्यार से बापू और महात्मा गांधी बुलाते हैं। इस वर्ष महात्मा गांधी की 73वीं पूण्यतिथि मनाई जा रही है, जिसे शहीद दिवस के रूप में मनाई जाती है। भारत में शहीद दिवस महान स्वतंत्रता सेनानियों की पूण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है।
महात्मा गांधी हत्या का पूरा विवरण (Full details of Mahatma Gandhi's Assassination In Hindi)
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को 78 वर्ष की आयु में नाथूराम गोडसे द्वारा हत्या कर दी गई थी। आज हम महात्मा गांधी जी की 74वीं पुण्यतिथि पर उन्हें याद कर रहे हैं। भारत हर साल 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह उन स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के लिए भी मनाया जाता है जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना जीवन लगा दिया।
गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को मोहनदास करमचंद गांधी के रूप में जन्मे, महात्मा गांधी ने अपनी उच्च शिक्षा इंग्लैंड में प्राप्त की और ब्रिटिश शासन के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया। उन्होंने भारत में 'अहिंसा' का परिचय दिया और अहिंसक विरोधों के साथ शक्तिशाली अंग्रेजों का मुकाबला किया। उनके आदर्शों का दुनिया भर में पालन किया गया है। लोग उन्हें प्यार से 'बापू' कहते हैं, वह हमेशा सत्य और अहिंसा के लिए जाने जाते हैं।
25 जून 1934 में जब गांधी जी पुणे में भाषण देने आए थे तब साजिशकर्ताओं ने बापू की कार पर बमबारी की थी।
जुलाई 1944 में गांधी जी को विश्राम के लिए पंचगनी जाना था, यहीं पर प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने गांधी विरोधी नारे लगाना शुरू कर दिए। गांधी जी ने इस समूह के नेता नाथूराम को चर्चा के लिए आमंत्रित किया, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया था। बाद में प्रार्थना सभा के दौरान, गोडसे खंजर लेकर गांधीजी की तरफ दौड़े, लेकिन सतारा के मणिशंकर पुरोहित और भिलारे गुरुजी ने उनका सामना किया और गांधी जी को बचा लिया।
सितंबर 1944 में जब महात्मा गांधी ने सेवाग्राम से बॉम्बे की यात्रा की, जहां मोहम्मद अली जिन्ना के साथ बातचीत शुरू होनी थी, तो नाथूराम गोडसे ने अपने गिरोह के साथ, गांधी को बॉम्बे छोड़ने से रोकने के लिए आश्रम को घेर लिया। बाद में जब इसकी जांच हुई तो, डॉ सुशीला नैय्यर ने खुलासा किया कि नाथूराम गोडसे को आश्रम में लोगों ने गांधी तक पहुंचने से रोक दिया था और उनके पास एक खंजर पाया गया था।
जून 1946 में गांधी जी को मारने का एक और प्रयास तब रचा गया जब वे गांधी स्पेशल ट्रेन से पुणे की यात्रा कर रहे थे। ट्रेन पटरियों पर पत्थर रख दिए गए थे, लेकिन चालक ने ट्रेन को दुर्घटनाग्रस्त होने से बांचा लिया था।
20 जनवरी 1948 में बिड़ला भवन में एक बैठक के दौरान ही बापू पर फिर से हमला करने की साजिश रची गई थी। मदनलाल पाहवा, नाथूराम गोडसे, नारायण आप्टे, विष्णु करकरे, दिगंबर बैज, गोपाल गोडसे और शंकर किस्तैया ने हत्या को अंजाम देने के लिए बैठक में शामिल होने की योजना बनाई थी। उन्हें पोडियम पर बम फेंकना था और फिर गोली मारनी थी। लेकिन योजना काम नहीं आई क्योंकि मदनलाल को पकड़ लिया गया था।
30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी का निधन हुआ, लेकिन इससे पहले गांधीजी पर हत्या के पांच असफल प्रयास भी हुए थे। दिल्ली के बिड़ला हाउस में शाम की प्रार्थना सभा से उठने के दौरान गांधी की हत्या कर दी गई थी। गोडसे ने गांधी के सीने में तीन गोलियां मारी और उनकी हत्या कर दी। इस घटना ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया था। बाद में गोडसे को गिरफ्तार कर लिया गया और उसे मौत की सजा सुनाई गई थी।