1947 का समय को या 1857 का भारत ने कई बार कई स्वतंत्रता संग्राम लड़े है। इस सभी संग्रामों में भारत के कई ऐसे सेनानी है जिन्होंने अपना योगदान देकर भारत को आजाद किया है। लेकिन इनमें से कई स्वतंत्रता सेनानी है जिनका नाम आपने सुना भी नहीं होगा और यदि सुना भी होगा तो ज्यादा नहीं। इनका नाम इतिहास के पन्नों में खो गया है। इन सभी के योगदान की वजह से आज भारत आने वाले 15 अगस्त 2022 को अपनी 76वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। ये वह स्वतंत्रता सेनानी हैं जिनका मुख्य उद्देश्य भारत को आजादी दिलाना था। और उन्होंने ये उद्देश्य पूरा करने में अपने आप को समर्पित भी किया। भारत आज इन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को उनेक अभूतपूर्व योगदान के लिए याद करता है। कई ढ़ेरों भारतीय पुरुष स्वतंत्रता सेनानी है जिन्होंने भारत की आजादी में योगदान दिया है। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको उन पुरुष स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका नाम गुमनामी में कहीं खो सा गया है। आइए उनके बारे में जाने।
1. मास्टर द सूर्य सेन
सूर्य सेन जिनका जन्म 22 मार्च 1894 में हुआ था एक स्कूल के शिक्षक थे। इन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था। मुख्य तौर पर वह चटगांव शस्त्रगार छापे के लिए जाने जाते हैं। इस तरह की रेड के लिए 16 फरवरी 1933 में सूर्य सेन को गिरफ्तार कर लिया गया और 12 जनवरी 1934 को उन्हें फांसी की सजा दी गई।
2. बिनॉय, बादल, दिनेश
बिनॉय, बादल, दिनेश भारत के तीन स्वतंत्रता सेनानी जिन्हें बंगाल में तिकड़ी के रूप में भी जाना जता है। इन्हें मुख्य तौर पर कर्नल एनएस सिम्पसन पर हमला करने के लिए जाना जाता है। कर्नल एनएस सिम्पसन को मारने की कोशिश के दौरान ही उन्हें पकड़ लिया गया। खुद को ब्रिटिश सेना के कब्जे से बचाने के लिए बिनॉय और दिनेश ने गोली मारी ली और बादल ने पोटाशियम साइनाइड खा कर अपनी जान दे दी।
3. राम प्रसाद बिस्मिली
राम प्रसाग बिस्मिली का जन्म 11 जून 1897 में हुआ था। वह एक कवि, लेखक और एक क्रांतिकारी थे। उन्हें मुख्य तौर पर 1918 में मणिपुरी षड्यंत्र और 1925 में काकोरी षड्यंत्र के लिए जाना जता है।
4. सचिंद्र बख्शी
सचिंद्र बख्शी का जन्म 25 दिसंबर 1904 में हुआ था। वह बंगाल के निवासी थे। हिंदुस्ता रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना की थी। वह क्रांतिकारी कार्य में अधिर सम्मलित थे। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया।
5. शंभु दत्त शर्मा
शंभु दत्त शर्मा स्वतंत्रता संग्राम के हिस्सा रहे थे। उन्होंने महात्मागांधी के साथ 1942 में असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया। 24 साल की उम्र में उन्होंने एक सीविलियन गजेटेड ऑफिसर के पद से इस्तेफा दे दिया।