Independence Day 2022 : सिक्किम से भारतीय स्वतंत्रता में भाग लेने वाले सेनानियों की सूची

भारत के ईस्ट में बसे राज्य अपने पहाड़ो और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाने जाते हैं। उन्ही राज्यों में से एक सिक्किम राज्य है। भारत के मानचित्र में देखें तो ये राज्य भारत के सबसे छोटे राज्यों में से एक है। भारत से सबसे बड़े और छोटे क्षेत्र वाले राज्यों में यह राज्य 28वें स्थान पर आता है। इसका अर्थ है कि सिक्किम भारत का सबसे छोटा राज्य है जिसकी आबादी भी कम है। जनसंख्या के मामले में यह 27 वें स्थान पर है। साल 1975 में सिक्किम को भारतीय राज्य बना। सिक्किम के प्रधानमंत्री ने 1975 में ही भारतीय संसद से अनुरोध किया कि सिक्किम को भारत के राज्य बनाया जाए। सिक्किम भारत का हिस्सा बनाना चाहता है। उसी के बाद भारतीय आर्मी ने वहां जा कर नियंत्रण हासिल किया। सिक्किम में एक जनमत संग्रह करवाया गया जिसमें 97.6 प्रतिशत वोट मोनार्कि को खत्म करने के लिए दिए गए और इस तरह सिक्किम भारत का हिस्सा बना। अब आप सोच रहें होंगे की भारत का हिस्सा ही सिक्किम 1975 में बना तब तो भारत आजाद हो ही चुका था। लेकिन आपको बता दें कि जब भारत आजादी के लिए लड़ रहा था तब वहां के कुछ लोग थे जिन्होंने इस स्वतंत्रता संग्राम से हिस्सा लिया जिसकी वजह से भारत इस साल अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। इस उपलक्ष में आइए जाने सिक्किम के उन योद्धाओं के बारे में और किस प्रकार भारत की स्वतंत्रता में इन्होंने अपना योगदान दिया।

Independence Day 2022 :  सिक्किम से भारतीय स्वतंत्रता में भाग लेने वाले सेनानियों की सूची

1). हेलेन लेप्चा

हेलेन लेप्चा का जन्म 14 जनवरी 1902 में संगमु गांव में हुआ था जो कि सिक्किम से दक्षिण में स्थित है। 1921 के दौरान हुए असहयोग आंदोलन में भाग लिया था। लेकिन अचनाक उनकी मां कि तबीयत खराब होने की वजह से उन्हें लौटना पड़ा। लेकिन वह रूकी नहीं उन्होंने दार्जिलिंग पहाड़ी क्षेत्र में घर-घर जाकर एक एक अभियान की शुरूआत की जिसमें उन्होंने लोगों से विदेशी सामान का बहिष्कार करने के लिए अनुरोध किया। जिसके लिए उन्हें गिरफ्तार किया गया और उन्होंने दार्जिलिंग सदर जेल में 3 महिने बिताएं। इतना ही नहीं वह समाजिक कार्यकर्ता भी थी। 1920 में जब बिहार में बाढ़ आई तब उन्होंने अपनी परवह किए वहां रह रहें लोगों की मदद करना जरूरी समझा। 1939 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की हाउस अरेस्ट से भागन में मदद की जो कुर्सेओंग वाले घर में कैद थे। हेलेन लेप्चा लगाता उनके संपर्क में रहीं और उन्होंने बोस को कुर्सेओंग से कलकत्ता और कलकत्ता से काबुल के रास्ते जर्मनी जाने में सहायता की।


2). त्रिलोचन पोखरेली

त्रिलोचन पोखरेली का जन्म सिक्किम में हुआ था। उन्हें बंदे पोशरेल के नाम से भी जाना जाता था। अन्य कई लोगों की तरह त्रिलोचन पोखरेली भी महात्मा गांधी से बहुत प्रभावित थे। जिसकी वजह से वह गांधी द्वारा चलाए आंदोलनों का हिस्सा बने। त्रिलोचन पोखरेली में भारत छोड़ो आंदोलन और असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया। त्रिलोचन पोखरेली सिक्किम से स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले पहले स्वतंत्रता सेनानी थे। इसी के साथ त्रिलोचन पोखरेली को मुख्य तौर पर सिक्किम के किसानों में स्वदेशी की अवधारणा का प्रचार करने के लिए जाने गए।

3). दल बहादुर गिरि

पहाड़ी गांधी के नाम से जाने वाले दल बहादुर गिरि का जन्म सिक्किम में हुआ था। दल बहादुर गिरि नें असहयोग आंदोलन में भी सक्रिय रूप से भाग लिया। स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान के लिए उन्हें गांधी जी द्वारा सराहा भी गया था। गांधी जी ने एक पत्र के माध्यम से दल बहादुर गिरि की बात की जिसमें लिखा था कि- "भारत के कई नेता जो सार्जेंट दल बहादुर गिरि को केवल नाम से जानते हैं और कुछ तो ऐसे भी होंगे जिन्होंने उनका नाम भी नहीं सुना होगा। फिर भी सबसे बाहदुर राष्ट्रीय कार्यकर्ता थें। जैसे की मै यंग इंडिया में लिख रहा हूं, मेरे पास एक कालिम्पोंग है जिसमें इस वीर देशभक्त की मृत्यु की खबर है। वह एक सुसंस्कृत गोरख थे और गोरखो के बीच अच्छा काम कर रहे थे। उन्हें कई गतिविधियों के लिए जेल भी जाना पड़ा। जेल के उस समय के दौरान वह गंभीर रूप से बीमार पड़े। अभी कुछ ही दिनों पहले उन्हें छुट्टी मिली है। "

4). कृष्णा बहादुर मुखिया

कृष्णा बहादुर मुखिया का जन्म 12 मई 1921 में हुआ था। वह पहड़ों के आखिरी स्वतंत्रता सेनानी थे। बोस द्वारा इंडियन नेशनल आर्मी की स्थापना की और कृष्णा बहादुर मुखिया इस आर्मी में शामिल हुए। कृष्णा बहादुर मुखिया एक मकैनिक थे जिसकी वजह से उन्हें 1943 में नेताजी के ड्राइवर के तौर पर रखा गया। वह बर्मा में बोस के ड्राइवर और अंग रक्षक के तौर पर काम कर रहे थे। भारतीय सरकार के द्वारा 1972 में उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने के लिए तामर पत्र दिया गया।

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English summary
Sikkim become the state of India in 1975. But there are few people from Sikkim who have played a very important role in Indian freedom struggle. Know the list here.
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