Independence Day 2022: ओडीशा के स्वतंत्रता सेनानियों की सूची

ओडीशा भारत का एक और राज्य जिसने भारत की आजादी के दौरान स्वतंत्रात संग्राम में अपना योगदान दिया। ओडीशा भारत के सबसे ज्यादा क्षेत्र वाले राज्यों में 8वें स्थान पर है। इस राज्य की आबादी की बात करें तो भारत की सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्यों में ये 11वें स्थान पर आता है। इसी के साथ अनुसूचित जनजाति वाले प्रदेशों में ओडिशा तीसरे स्थान पर आता है। इस क्षेत्र का नाम भारत के राष्ट्रगान "जन गन मन" में भी लिया जाता है। आपने राष्ट्रगान में सुना होना 'उत्कल'इस क्षेत्र को उत्कल नाम से भी जाना जाता है। ओडिशा अपनी सांस्कृति के लिए अधिक जाना जाता है। ये बात तो मानने वाली है कि भारत के दक्षिण के राज्य अपनी संस्कृति के लिए अधिक जाने जाते हैं। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भारत के अन्य राज्यों की तरह ओडिशा राज्य ने भी अपना अहम योगदान दिया था। आइए जाने ओडिशा के उन स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता में अपना अतुलनीय योगदान दिया।

Independence Day 2022: ओडीशा के स्वतंत्रता सेनानियों की सूची

1). रमा देवी चौधरी

मदर ऑफ पीपल के नाम से जानें जाने वाली रमा देवी चौधरी का जन्म 3 दिसंबर 1899 में हुआ था। उन्हें रमा देवी के नाम से भी जाना जात है। रमा देवी ने अपने पती के साथ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था। वह गांधी जी के विचारों से अधिक प्रभावित थी जिसकी वजह से उन्होंने असहयोग आंदोलन में योगदान दिया था। इसी के साथ वह जय प्रकाश नरायण और विनोबा भावे से भी अधिक प्रभावित थी। रमा देवी ने नमक सत्याग्रह में भी स्क्रीय रूप से भूमिका निभाई थी।

2). बीजू पटनायक

ओडिशा के तीसरे मुख्यमंत्री का जन्म 5 मार्च 1990 में हुआ था। वह एक स्वतंत्रता सेनानी, बिजनेसमैन और राजनीतिज्ञ थें। उन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा गुप्त मिशन चलाने के लिए गिरफ्तार भी किया गया है। इसी के साथ वह गुप्त तौर पर कांग्रेस पार्टी के नेताओं को पूरे भारत में स्वतंत्रता संग्राम की बैठकों तक लेके गए।


3). सरला देवी

सरला देवी का जन्म 19 अगस्त 1904 में हुआ था। वह एक स्वतंत्रता सेनानी, नारीवादी, सोशल कार्यकार्ता और लेखक थी। वह ओडिशा की पहली महिला थी जिन्होंने 1921 में असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया था। इसी के साथ ओडिशा की लेजिसलेटिव असेंबली के लिए चुने जाने वाली पहली महिला थी। इतनी ही नहीं वह ओडिशा की लेजिसलेटिव असेंबली में पहली महिला स्पीकर भी थी। 1986 रमा देवी ने आखिरी सांस ली।

4). अन्नपूर्णा महाराणा

अन्नपूर्णा महाराणा का जन्म 3 नवंबर 1917 में हुआ था। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था। वह एक स्वतंत्रता सेनानी के साथ- साथ समाजिक कार्यकर्ता भी थीं। उन्होंने गांधी जी के साथ 'हरीजन पदयात्रा' में हिस्सा लिया था। भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए 1942 में ब्रिटिश सरकार द्वारा गिरफ्तार भी किया गया। इसके अलावा भी उन्हें कई बार स्वतंत्रता आंदोलनों में हिस्सा लेने के लिए गिरफ्तार किया गया था।

5). वीर सुरेंद्र साईं

वीर सुरेंद्र साईं का जन्म 23 जनवरी 1809 में हुआ था। वीर सुरेंद्र साईं ने अपना पूरा जीवन भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में व्यतीत किया था। उन्होंने आजदी के लिए खुद को पूरी तरह से समर्पित कर दिया था। 1857 की क्रांति को पूरी तरह कुचले जाने के बाद ब्रिटिश ने वापस अपने नियम लागू किए, लेकिन तब भी वीर सुरेंद्र साईं ने अंग्रजों के खिलाफ आवाज उठानी बंद नहीं की।

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English summary
like other state of India Odisha have played the key role in Indian Independence Movement. Know the List of Indian Freedom Fighters of Odisha
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