भारत विविधताओं से भरा देश है। जो की विभिन्न धर्मों, भाषाओं, संस्कृतीयों, समुदायों, जातियों और लिंग आदि के आधार पर बटा होने के बावजुद भी एकता के सूत्र में मजबूती के साथ बंधा हुआ नजर आता है। ये विविधता भारत की कमजोरी न होकर उसे एक मजबूत राष्ट्र का दरजा प्रदान करती है जो कि भारत को विश्व में एक अनोखा स्थान दिलाता है। इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हम भारत के आजादी के आंदोलनों में देख सकते हैं। जहां लोग अपनी जाति, धर्म, भाषा, संस्कृती और समुदाय तथा स्त्री और पुरुष के अंतर को भूला कर एक दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़े और देश को अग्रेजों जैसे क्रुर शासकों से आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। जिसमें से बहुत से स्वंतत्रता सेनानियो के बारे में आप पढ़ते-लिखते और सुनते आएं हैं परंतु ऐसे और भी बहुत से स्वतंत्रता सेनानी हैं जिनका नाम इतिहास के पन्नों में कहीं दुर बिखर कर खो सा गया है जिन्हें ढ़ढना, खंगालना और वर्तमान समाज के समक्ष रखना अति आवश्यका हो जाता है।
दिल्ली भारत की राजधानी एक समय पर कई स्वतंत्रता सेनानियों का घर था। यहां से कई आंदोलनों की शुरूआत हुई है। भारत की आजादी में दिल्ली का एक महत्वपूर्ण रोल है। क्योंकि कई बड़े नेताओं ने महात्मा गांधी जी के साथ यहां से कार्य किया। दिल्ली को ब्रिटिश इंडियन एंपायर के लिए केंद्र बनाने की बाद 1911 में की गई थी। ब्रिटिश सरकार ने इस बात पर गौर किया और माना की दिल्ली भारत के उत्तर का केंद्र है तो यहां से देश पर शासन करना उनेक लिए आसान होगा। तब जाकर राजधानी को कोलकत्ता से दिल्ली शिफ्ट किया। भारत की स्वतंत्रता के दौरान कई सेनानियों और बड़े नेताओं ने यहीं से स्वतंत्रता संग्राम की शुरूआत की।
भारत को 1947 में स्वतंत्रता मिलने के बाद दिल्ली को कुछ सीमाओं से साथ स्वायत्ता प्रदान की गई। उसके बाद वर्ष 1966 में दिल्ली को केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया। 1991 में संविधान अधिनियम के तरह दिल्ली को केंद्र शासित प्रदेश से राष्ट्रीय राजधानी के रूप में घोषित किया गया। हर साल भारत के स्वंतत्रता दिवस पर दिल्ली के लाल किले से राष्ट्रिय तिरंगा झंडा फहराया जता है। दिल्ली के कई ऐसे स्वतंत्रता सेनानी हैं जिनके बारे में आप सभी को जानना जरूरी है। आइए आज उन भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जाने जो दिल्ली से थें।
1). अरूणा आसफ अली
अरूणा आसफ अली भारत की महिला स्वतंत्रता सेनानी हैं जिन्होंने भारत के आजादी के लिए स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था। अरूणा ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी। इसी के साथ स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद वह दिल्ली की पहली मेयर भी बनी। अरूणा आसफ अली को मरणोपरांत भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
2). अबुल कलाम आजाद
भारत के पहले शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद का जन्म 11 नवंबर 1888 में हुआ था। वह एक भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता, इस्लामी धर्मशास्त्री और लेखक भी थे। उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन और असहयोग आंदोलन में योगदान दिया था। अबुल कलाम आजाद को मरणोपरांत 1992 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
3). ब्रह्म प्रकाश
ब्रह्म प्रकाश का जन्म 21 अगस्त 1918 में हुआ था। उन्हें दिल्ली सत्याग्रह आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन के लिए मुख्य रूप से काम किया है। वह एक धातुकर्मी थे। जिन्हे मुख्य तौर पर भारत में परमाणु सामग्री के साथ अपने काम के लिए जाना जाता था।
4). बृज कृष्ण चांदीवाला
बृज कृष्ण चांदीवाला का जन्म 1900 में हुआ था। वह एक स्वतंत्रता सेनानी और सोशल वर्कर थे। महात्मा गांधी सेंट स्टीफन कॉलेज में एक गेस्ट के तौर पर गए थे और वहां चांदीवाला की मुलाकात उनसे हुई। उन्हें 1963 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।
5). सत्यवती देवी
सत्यवती देवी का जन्म 1904 में हुआ था। ये भारत की महिला स्वतंत्रता सेनानियों में से एक है। इन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़ के हिस्सा लिया था। गांधी जी उन्हें प्यार से तुफानी बहन कह कर के बुलाया करते थे। इसी के साथ अरुणा आसफ अली ने भी कहा था कि वह सत्यवती देवी की प्रेरणा से राष्ट्रीय आंदोलन में हिस्सा लेने को प्रेरित हुई। अपने इस योगदान के लिए उन्हें 'भारत के जोन ऑफ आर्क' के रूप में सम्मानित किया गया।