Independence day 2022: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाल असम के स्वतंत्रता सेनानियों की सूची

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जिस प्रकार भारत के अन्य राज्यों ने अपनी भागीदारी दी उसी प्रकार असम ने भी अपनी भागीदारी दी थी। असम भारत का उत्तर पूर्वी राज्य है। भारत के बटवारे के बाद से 1950 में असम को एक राज्य का दरजा दिया गया। ब्रिटिश शासन के दौरान ब्रिटिश सरकार ने असम में कई कंपनियां खोलने के लिए लोगों को जमीन दी थी। स्वतंत्रता की चाहत रखने वाले असम के कई सेनानियों ने इंडियन नेशनल कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ काम करना शुरू किया था ताकि वह भारत की आजादी में योगदान दे सकें। असम चाय के बगानों के लिए अधीक जाना जाता है। ब्रिटिश सरकार के द्वारा चाय की खेती करने वाले किसानों को बहुत अधिक शोषण किया जाता था। इसी स्थिति को देखते हुए चाय की खेती करने वाले किसानों ने इंडियन टी एसोसिएशन की शुरूआत की। टी एसोसिएशन की शुरूआत इन किसानों 1888 में की थी। असम के कई सेनानियों ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया और इस दौरान ब्रिटिश के काउंटर अटैक का शिकार हुए। आइए जाने असम के उन स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान दिया।

Independence day 2022: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाल असम के स्वतंत्रता सेनानी

गोपीनाथ बोरदोलोई

गोपीनाथ बोरदोलोई भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ थे। यह वह व्यक्ति थे जिन्हें भारत के आजाद होने का बाद असम के पहले मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। गोपीनाथ बोरदोलोई गांधी जी की अहिंसावादी विचारधारा से अधिक प्रभावित थें। अपने लोगों और अपने राज्य के लिए उनके निष्ठा को देखते हुए उस समय के राज्यपाल जयराम दास दौलतराम ने उन्हें लोकप्रिय की उपाधी दी। भारत में इनके योगदान के लिए इन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया है।

कनकलता बरुआ

बीरबला और शहिद के नाम से जानें जाने वाले कनकलता बरुआ का जन्म 22 दिसंबर 1924 में हुआ था। वह भारत के स्वतंत्रता सेनानी थे। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय ध्वज के साथ जुलूस का नेतृत्व कर रहे थे जिससे देखते हुए ब्रिटिश सेना ने उन पर गोलीबारी की और इस आंदोलन के दौरान वह शहिद हुए।

कुशल कोंवरो

कुशल कोंवर का जन्म 21 मार्च 1905 में हुआ था. वह एक शाही परिवार से थे। जलियांवाला बाग की घटना का असर पूरे भारत में हुआ और इस घटना को देखते हुए असहयोगा आंदोलन की शुरूआत हुई जिसमें कुशल कोंवर ने भी भाग लिया। उन्होंने इस आंदोलन का नेतृत्व सरुपथर क्षेत्र से किया और वहां की कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष बने। उन्हें रेल की पटरी से स्लीपरों को हटाने के लिए दोषी माना गया और फांसी की सजा दी गई। जब की इस घटना में कुशल का कोई हाथ नहीं था। उन्हें 15 जून की शाम को फांसी दे दी गई। कुशल देश के लिए शहीद हुए।


भोगेश्वरी फुकानानी

भोगेश्वरी फुकानानी का जन्म 1885 में हुआ था। वह असम की मूल निवासी थी। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक अहम भूमिका निभाई है। फुकानानी ने 1934 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के ऑफिस को असम के नागौन जिले में स्थापित करने में सहयाता की थी। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ अहिंसक मार्च में हिस्सा लिया। जिसके लिए ब्रिटिश सरकार ने उन्हें गिरफ्तार किया।

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English summary
Assam is a well know state for its Tea Also know for its contribution in Indian independence. Know the list of freedom fighter from assam.
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