Dhanvantari Jayanti Kab Aur Kyu Manayi Jaati Hai? धन्वंतरि जयंती, जिसे धनतेरस के रूप में भी जाना जाता है, हर साल कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन विशेष रूप से भगवान धन्वंतरि के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जो आयुर्वेद के जनक माने जाते हैं। 2024 में, इस साल यह पर्व 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
बता दें कि धन्वंतरि जयंती न केवल भगवान धन्वंतरि के जन्म का उत्सव है, बल्कि यह हमें स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना के लिए भी प्रेरित करता है।
भगवान धन्वंतरि कौन हैं?
भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद के जनक और चिकित्सा के देवता के रूप में पूजा जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के समय अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे। अमृत कलश से अभिप्राय उस अमृत से है जो मृत्यु को समाप्त करने और जीवन को स्वस्थ बनाने में सहायक है। भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्होंने समूची मानव जाति को स्वास्थ्य और आयुर्वेद का ज्ञान प्रदान किया।
उनका वर्णन शंख, चक्र, जलौक, और अमृत कलश के साथ होता है, जिससे वे हमें आयुर्वेद की चिकित्सा प्रणाली का महत्व समझाते हैं। वे भगवान विष्णु के अंश माने जाते हैं और चिकित्सा के क्षेत्र में उनके योगदान को भारतीय संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। भगवान धन्वंतरि को न केवल एक चिकित्सा वैज्ञानिक के रूप में देखा जाता है, बल्कि उनके सिद्धांतों के कारण ही आज भारतीय चिकित्सा प्रणाली (आयुर्वेद) एक वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा प्राप्त कर चुकी है।
धन्वंतरि जयंती का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
धन्वंतरि जयंती का धार्मिक महत्व गहरा है। इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करके लोग न केवल स्वास्थ्य की प्राप्ति का वरदान प्राप्त करते हैं, बल्कि अपनी संपूर्ण जीवन शैली में आयुर्वेद के सिद्धांतों को भी अपनाने का प्रयास करते हैं।
यह पर्व इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन नए बर्तन, आभूषण, या अन्य कीमती सामान खरीदने की परंपरा है। इसे शुभ माना जाता है और यह विश्वास किया जाता है कि इससे घर में समृद्धि आती है। खासकर व्यापारी वर्ग इस दिन अपनी समृद्धि और व्यवसाय की उन्नति के लिए विशेष पूजा-अर्चना करता है। साथ ही, इस दिन घर में दीप जलाने से घर के वातावरण को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
धन्वंतरि जयंती का आयुर्वेद में महत्व
आयुर्वेद, जो कि प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली है, भगवान धन्वंतरि द्वारा दी गई एक अमूल्य देन है। उनके सिद्धांतों पर आधारित आयुर्वेद हमें यह सिखाता है कि कैसे हम स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। भगवान धन्वंतरि का यह योगदान अत्यंत मूल्यवान है, क्योंकि उनकी चिकित्सा पद्धति न केवल रोग को खत्म करने पर केंद्रित है, बल्कि रोग को रोकने और जीवनशैली में सुधार के महत्व पर भी बल देती है।
धन्वंतरि जयंती पर आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली के महत्व पर चर्चा होती है और लोग इस दिन विभिन्न स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन करते हैं, जहाँ मुफ्त स्वास्थ्य जांच और आयुर्वेदिक उपचार परामर्श प्रदान किए जाते हैं। यह पर्व लोगों को प्राकृतिक जीवनशैली अपनाने और औषधीय पौधों, जड़ी-बूटियों का उपयोग करने के प्रति जागरूक करता है।
धनतेरस और आधुनिक जीवन में इसका महत्व
धन्वंतरि जयंती के पर्व का महत्व आज के समय में और भी अधिक हो गया है। जहां आधुनिक जीवन में तनाव, बीमारियाँ, और मानसिक असंतुलन तेजी से बढ़ रहे हैं, वहीं आयुर्वेद एक स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने का मार्ग प्रस्तुत करता है। धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करके हम अपने जीवन में आयुर्वेद के सिद्धांतों को अपनाने और एक प्राकृतिक जीवन शैली की ओर बढ़ने का संकल्प ले सकते हैं।
आज के दौर में, जहां एलोपैथी चिकित्सा प्रणाली बहुत प्रचलित है, आयुर्वेद की भूमिका को पुनः पहचानना अत्यंत आवश्यक हो गया है। आयुर्वेद के माध्यम से हम अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं और मानसिक शांति प्राप्त कर सकते हैं। धन्वंतरि जयंती पर भगवान से प्रार्थना करना और उनके द्वारा बताए गए मार्ग का अनुसरण करना हमारे जीवन में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए लाभकारी है।
कुल मिलाकर कहे तो धन्वंतरि जयंती का पर्व न केवल एक धार्मिक त्योहार है, बल्कि यह हमारे लिए एक संदेश भी है कि हम अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें और आयुर्वेद के सिद्धांतों को अपने जीवन में उतारें। भगवान धन्वंतरि ने हमें जो चिकित्सा का ज्ञान दिया, वह हमारे जीवन के हर क्षेत्र में उपयोगी है। 28 अक्टूबर 2024 को मनाई जाने वाली यह धन्वंतरि जयंती हमें अवसर देती है कि हम अपने जीवन में स्वास्थ्य, सुख, और समृद्धि का स्वागत करें और भगवान धन्वंतरि से आशीर्वाद प्राप्त करें।