सुचेता कृपलानी भारत की महिला स्वतंत्रता सेनानीयों में से एक है जिन्होंने भारत को आजदी दिलाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सुचेता कृपलानी एक स्वतंत्रता सेनानी के साथ साथ एक राजनीतिज्ञ भी थी। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने काफी सक्रिय तौर पर भूमिका निभाई। अन्य स्वतंत्रता सेनानियों की तरह सुचेता कृपलानी भी गांधी जी से प्रभावित थीं । उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में नारी शक्ति को मजबूत बनाने के लिए काफी प्रयत्न किए। स्वतंत्रता के बाद सुचेता कृपलानी 1963 में उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी और 1967 तक पद को संभाला। उन्हें भारत की पहली महिला सीएम के तौर पर भी जाना जाता है। सुचेता कृपलानी को स्वतंत्रता संग्राम और भारत की राजनीति में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। आइए जानते है सुचेता कृपलानी के जीवने के कुछ अन्य हिस्सों के बारे में।
सुचेता कृपलानी का जन्म 25 जून 1908 को अंबाला, पंजाब के बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था । उनके पिता का नाम सुरेन्द्रनाथ मजूमदार था वह एक मेडिकल ऑफिसर थे। उनके पिता की नौकरी की वजह से उनकी हाईएस्ट एजुकेशन मास्टर इन हिस्ट्री थी जो उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से पूरी की थी। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने हिस्ट्री के प्रोफेसर के तौर पर बनारस के हिंदु विश्वविद्यालय में काम करना शुरू किया। इसके कुछ समय बाद उन्होंने अचार्य कृपलानी से शादी की। सुचेता के साथ उनकी बहन भी भारत के स्वतंत्रता संग्राम मे भाग लेना चाहती थीं।
स्वतंत्रता संग्राम
सुचेता कृपलानी उन महिला स्वंतत्रता सेनानियों में से एक थी जिन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में बढ़-चढ़ के हिस्सा लिया और इसके लिए उन्हें गिरफ्तार भी किया गया। सुचेता अन्य सेनानियों की तरह ही गांधी जी के विचारों से बहुत अधिक प्रभावित थी। 1947 के बाद भारत-पाक बटंवारे के समय हुए दंगों के दौरान उन्होंने गांधी जी के साथ मिलकर कार्य किया।
सुचिता कृपलानी उन महिलाओं में से एक थी जिन्हें संविधान सभा के लिए चुना गया था। सुचिता कृपलानी भारत की पहली सीएम बनी। 1963 में वह उत्तर प्रदेश की पहली महिला सीएम बनी। इसी के साथ वह भारतीय संविधान की उपसमिति का हिस्सा बनी और भारत के संविधान का चार्टर निर्धारित किया। 14 अगस्त 1947 में अपने नेहरू के भाषण के बाद सविधान सत्र में वंदे मातरम गया। सुचिता कृपलानी ने 1940 में अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की स्थापना की।
आजादी के बाद भी लगातार वह राजनीति से जुड़ी रहीं। 1952 में केएमपीपी के टिकट पर नई दिल्ली लोकसभा के चुनाव लड़ा। सुचिता कृपलानी पति ने एक अल्पकालिक पार्टी की स्थापना की ।1953 में वह अपने पति द्वारा स्थापित पार्टी में शामिल हुई और कांग्रेस के उम्मीदवार मनमोहिनी सहगल को हराया। करीब 5 साल के बाद वह फिर एक बार उसी निर्वाचन क्षेत्र से चुनी गई।
इस पूरे समय के दौरान वह उत्तर प्रदेश विधान सभा की सदस्य बनी रहीं । साल 1960 से 1963 तक यूपी सरकार में श्रम, सामुदायिक विकास और उद्योग मंत्री के रूप में कार्य किया। उत्तर प्रदश में लंबे समय तक एक मंत्री के तौर पर कार्य करने के बाद 1963 में उन्हें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर चुना गया। भारत में वह सीएम के तौर पर चुने जानी वाली वह पहली महिला थीं।
सुचेता कृपलानी का राजनितिक सफर
- साल 1939 में सुचेता कृपलानी ने प्रोफेसर की नौकरी छोड़कर राजनीति में कदम रखा।
- 1940 में सुचेता कृपलानी ने एक व्यक्तिगत तौर पर एक सत्याग्रह की शुरूआत की और उन्हें इस आंदोलन के दौरान गिरफ्तार हुईं।
- 1941-1942 में सुचेता कृपलानी ने भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अरुणा आसिफ अली और अन्य प्रसिद्ध महिला नेताओं के साथ मिलकर काम किया। इस वर्ष उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महिला और विदेश मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया।
- 1942 से 1944 तक सुचेता कृपलानी ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कांग्रेस के बड़े नेताओं की गिरफ्तारी देखी और एक भूमिगत आंदोलन की शुरू की।
- वर्ष 1946 सुचेता कृपलानी को केंद्रीय विधान सभा के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया। इसके साथ वे संविधान सभा की सदस्य के रूप में भी चुनी गईं। इतना ही नहीं राजनीतिक में उनके समर्पण और क्षमता को देखते हुए, उन्हें उपसमिति का सदस्य भी बनाया गया और इस समिति ने भारत के संविधान का चार्टर तैयार किया।
- 1948 में सुचेता कृपलानी पहली बार विधानसभा के लिए चुनी गईं और 1948 से 1951 तक कांग्रेस कार्यकारिणी की सदस्य रहीं।
- 1949 में, सुचेता कृपलानी को संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया गया।
- सुचेता कृपलानी जी ने 1950 से 1952 तक अनंतिम लोकसभा के सदस्य के रूप में कार्य किया।
- 1952 और 1957 में नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुनी गईं। इस दौरान उन्हें लघु उद्योग मंत्रालय में राज्य मंत्री के पद की जिम्मेदारी भी संभाली।
- 1962-1967 तक, सुचेता कृपलानी कांग्रेस के टिकट पर मेहंदीवल से उत्तर प्रदेश विधान सभा के लिए चुनी गईं।
- वर्ष 1962 में सुचेता कृपलानी जी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कानपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और यह चुनाव जीता। उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया। इस दौरान सुचेता ने श्रम, समुदाय, विकास और उद्योग मंत्रालय की जिम्मेदारी बखूबी निभाई।