Independence Day 2022: जानिए कौन थी राजकुमारी गुप्ता, स्वतंत्रता संग्राम में क्या था उनका योगदान

भारत की आजादी को 75 वर्ष पूरा होन पर भारत आजादी का अमृत महोस्व मना रहा है। ये महोत्सव उन सेनानियों को याद किए बिना मनाया ही नहीं जा कता है जिन्होंने भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए जीवन समर्पति किया। इनमें से कई ऐसे सेनानी हैं जिनका नाम आज तक हमने नहीं सुना लेकिन उन सभी ने भारत को आजादी दिलाने में बहुत योगदान दिया है। भारत को आजादी दिलाने में जितना योगदान पुरुषों का रहा उतना ही महिलाओं की भी था। इन सभी महिला स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत को आजादी दिलाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन्हीं महिला स्वतंत्रता संनानियों में एक नाम है राजकुमारी गुप्ता का जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अपना अतुलनीय योगदान दिया। राजकुमारी गुप्ता को मुख्य रूप से काकोरी षड्यंत्र के लिए जाना जाता है। गांधी जी और चंद्रशेखर आजाद के साथ उनके काफि अच्छे संबंध थे। भारत को आजादी दिलाने के लिए उन्होंने कई बार जेल की सजा काटी। असहयोग आंदोलन के अचानक बंद होने पर उन्होंने सशस्त्र क्रांति की ओर अपना रास्त कर लिया एक बार पकड़े जाने पर चंद्रशेखर आजाद के साथ अपने संबंधों के बारे में बताते उन्होंने कहा कि "हम ऊपर से गांधीवादी है और नीचे से क्रांतिवादी"। आइए इस स्वतंत्रता दिवर पर हम स्वतंत्रता सेनानी राजकुमारी गुप्ता के जीवन के बारे में जाने।

Independence Day 2022: जानिए कौन थी राजकुमारी गुप्ता, स्वतंत्रता संग्राम में क्या था उनका योगदान

राजकुमारी गुप्ता

राजकुमारी गुप्ता का जन्म 1902 में कानपुर के बांदा जिले में हुआ था। उनेक पिता एक किराना की दुकान चलाते थे। वह 13 वर्ष की जब उनकी शादि कर दी गई। उनकी शादि एक क्रांतिकारी से हुई थी। जिसका नाम मदन मोहन गुप्ता था। वह एक क्रांतिकारी तो थे लेकिन उनकी कांग्रेस में भी सक्रिय भूमिका थी। अंग्रेजों के खिलाफ अवाज उठाने वाले सभी क्रांतिकारियों से राजकुमारी गुप्ता बहुत प्रभावित थी। मुख्य तौर पर जो अंग्रेजो के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह करना चाहते हैं। देश प्रेम के चलते वह भी इस मुहिम का हिस्सा बनी।

स्वतंत्रता संग्राम राजकुमारी गुप्ता का योगदान

राजकुमारी गुप्ता के पति एक क्रांतिकारी थे। उन्होंने और उनके पति ने इलाहाबाद में गांधी जी और चंद्रशेखर आजाद के साथ काफि घनिष्ठ संभंध कायम किए थे। 1924 में आचानक से असहयोग आंदोलने के बंद होने के बाद राजकुमारी गुप्ता ने मान लिया की भारत को आजादी केवल सशस्त्र क्रांति के द्वारा ही हराया जा सकता है और इस के बाद से वह क्रांतिकारी विचारों की ओर ज्यादा आक्रषित हुई। चंद्रशेखर आजाद से घंनिष्ठ रूप से जुड़े होने के कारण वह अक्स ही उनकी सहायता किया करती थी। अपनी पति और ससुराल की जानकारी से अलग वह गुप्त तौर पर क्रांतिकारीयों को जरूरत की सभी सामग्री और संदेश पहुंचाया करती थी। इस तरह से बाद में वह इलाहबाद में चंद्रशेखर आजाग के गुट के लोगों से जुड़ी। बाद में इस गुट का नेतृत्व भगत सिंह द्वारा किया गया।

काकोरी ट्रेन डकैती में राजकुमारी गुप्ता ने मुख्य भूमिका निभाई है। उन्होंने इस डकैती में क्रांतिकारियों को आग्नेयास्त्र पहुंचाने का काम किया था।

राजकुमारी की क्रांतिकारी लड़ाई के लिए उन्हें तीन बार जेल भी जाना पड़ा जिसमें उन्होंने 1930, 1932 और 1942 में जेल की सजा काटी। इसी दौरान चंद्रशेखर आजाग के साथ अपने अच्छे संबंधों के बारे में बताते हुए, उन्होंने कहा कि "हम ऊपर से गांधीवादी है और नीचे से क्रांतिवादी"

एक समय पर राजकुमारी को अपने वस्त्रों के नीचे आग्नेयास्त्रों को छिपाए हुए पकड़ लिया था। ससुराल तरृक जैसी ही ये खबर पहुची तो उनके परिवार ने उन्हें अपनाने से मनी कर दिया। इस के बाद भगत सिंह ने एक स्टेटमेंट जारी कर बताया की वह राजकुमारी के साथ किसी भी प्राकर से संबंधित नहीं है। इसके बाद से उन्होंने अपना जीवन एकांत में व्यतित किया।

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English summary
Rajkumari Gupta is another Unsung Indian Freedom Fighter who has been part of Indian independence. She and her husband has very close relationship with Gandhi and Chander Shekar Azad. After the abrupt of 'Ashoyog Andolan' she turned to the revolutionary and build a very close connection with the group of Chander Shekar Azad.
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