Independence Day 2022: इन जोड़ियों ने तोड़ी थी अंग्रेजों की कमर

Independence Day 2022 Facts About Lal-Bal-Pal Ram Prasad Bismil Ashfaq Ullah Khan Thakur Roshan Singh Azad Rudranarayan भारत की आजादी के लिए कई योद्धाओं ने अपने प्राणों की आहुति दी, इसमें मंगल पांडे से लेकर शहीद भगत सिंह

Independence Day 2022 Facts About Lal-Bal-Pal Ram Prasad Bismil Ashfaq Ullah Khan Thakur Roshan Singh Azad Rudranarayan भारत की आजादी के लिए कई योद्धाओं ने अपने प्राणों की आहुति दी, इसमें मंगल पांडे से लेकर शहीद भगत सिंह तक कई नाम शामिल है। इन स्वतंत्रता सेनानियों में कई जोड़ियां ऐसी भी थीं, जिन्होंने अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे। इसमें (लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल), (राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्लाह खान और ठाकुर रोशन सिंह) और (आजाद सिंह और रुद्रनारायण) की जोड़ी शामिल है। 15 अगस्त 2022 को भारत अपनी आजादी की 76वीं वर्षगांठ माना रहा है। भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर भारत सरकार ने 'हर घर तिरंगा अभियान'और 'आजादी का अमृत महोत्सव'मनाने का फैसला किया है। इस अवसर पर हमें अपने स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में पता होना चाहिए, आइए जानते हैं भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों की इन जोड़ियों के बारे में।

Independence Day 2022: इन जोड़ियों ने तोड़ी थी अंग्रेजों की कमर

लाल-बाल-पाल
लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक, बिपिन चंद्र पाल को लाल-बाल-पाल के नाम से जाना जाता है। इन्होंने भारतीय समाज में आजादी के लिए जरूरी सामाजिक चेतना पैदा की। 19वीं सदी के आरंभ में आजादी की लड़ाई का उग्र दौर शुरू हुआ। यह वो समय था, जब कांग्रेस दो भागों में बंट गई। गरम दल और नरम दल। गरम दल के प्रमुख नेताओं में बाल गंगाधर तिलक, बिपिन चंद्र पाल, लाला लाजपत राय शामिल थे। इन्हें लाल-बाल-पाल के रूप में याद किया जाता है। इनका मानना था कि शांति और विनती से अब काम नहीं चलने वाला। इस त्रिमूर्ति ने अंग्रेजी शासन की क्रूरता और भारतीय संस्कृति के प्रति हीन भावना की आलोचना की और सुधार व जागरण में जुट गए। तिलक ने लोगों को एकजुट करने के लिए महाराष्ट्र में गणेश उत्सव की शुरुआत की। अंग्रेज उनसे इतना डरते थे कि उन्हें 'फादर ऑफ इंडियन अनरेस्ट' कहा जाता था। दूसरी तरफ विपिन चंद्र पाल ने सामाजिक सुधार के लिए एक विधवा से विवाह किया था जो उस समय दुर्लभ बात थी। इसके लिए उन्हें अपने परिवार से नाता तोड़ना पड़ा। वहीं लाला लाजपत राय ने स्वामी दयानन्द सरस्वती के साथ मिलकर आर्य समाज को पंजाब में लोकप्रिय बनाया। 30 अक्टूबर 1928 को उन्होंने लाहौर में साइमन कमीशन के विरुद्ध प्रदर्शन में हिस्सा लिया। इस दौरान हुए लाठी-चार्ज से वे घायल हुए और बाद में उनकी मृत्यु हो गई। मौत से पहले उन्होंने कहा था, 'मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश सरकार के ताबूत में एक-एक कील का काम करेगी।' यह सही साबित हुआ। 20 वर्ष में भारत आजाद हो गया।

बिस्मिल-अशफाक
राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान और ठाकुर रौशन सिंह को 19 दिसंबर 1927 को फांसी दी गई थी। यह दिन आज हर साल शहादत दिवस के रूप में याद किया जाता है। काकोरी क्रांति मामले में चार लोगों- अशफाक उल्ला खान, राम प्रसाद बिस्मिल, राजेंद्र लाहिड़ी और ठाकुर रौशन सिंह की पुलिस को तलाश थी। 26 सितंबर 1925 को रामप्रसाद बिस्मिल को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन अशफाक भाग निकले। अशफाक दिल्ली गए। वे वहां से अपने सािथयों को छुड़ाने के लिए मदद लाना चाहते थे। लेकिन एक साथी ने धोखा दे दिया और अशफाक को ब्रिटिश पुलिस के हवाले कर दिया गया। अशफाक रोज जेल में पांचों वक्त की नमाज पढ़ा करते थे और खाली वक्त में डायरी लिखा करते थे। जेल में अपने अंतिम दिनों में बिस्मिल ने अपनी आत्म-कथा लिखी और चुपके से इसे जेल के बाहर पहुंचाया। आत्मकथा में अशफाक और अपनी दोस्ती के बारे में बहुत ही प्यारे और मार्मिक ढंग से लिखा है- 'हिंदुओं और मुसलमानों के बीच चाहे कितने भी मुद्दे रहे, पर फिर भी तुम मेरे पास आर्य समाज के हॉस्टल में आते रहते। तुम्हारे अपने ही लोग तुम्हें काफिर कहते, पर तुम्हें सिर्फ हिन्दू-मुस्लिम एकता की फ़िक्र थी। मैं जब हिंदी में लिखता, तो तुम कहते कि मैं उर्दू में भी लिखूं ताकि मुसलमान भाई भी मेरे विचारों को पढ़कर प्रभावित हों। तुम एक सच्चे मुसलमान और देश-भक्त हो।' जिंदगी भर दोस्ती निभाने वाले अशफाक और बिस्मिल, दोनों को अलग-अलग जगह पर फांसी दी गई। अशफाक को फैजाबाद में और बिस्मिल को गोरखपुर में। पर दोनों साथ ही इस दुनिया से गए।

आजाद-रुद्रनारायण
आजाद को झांसी में अपने घर में आश्रय देने वाले क्रांतिकारी रुद्रनारायण थे। तब आजाद को पनाह देना अपनी जान को जोखिम में डालना था, पर रुद्रनारायण डरे नहीं। 9 अगस्त 1925 को काकोरी ट्रेन घटना के बाद अंग्रेज हर हाल में क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद को पकड़ लेना चाहते थे। सांडर्स की हत्या और असेंबली बमकांड के बाद आजाद अंग्रेजों के लिए बड़ी मुसीबत बन गए थे। उन पर 25 हजार रुपए का पुरस्कार रखा गया था। तब आजाद ने करीब साढ़े तीन सााल का समय झांसी में अज्ञातवास में बिताया था। इस दौरान एक दोस्त रुद्र नारायण उनके मददगार बने थे। रुद्र नारायण ने आजाद को अपने घर में छिपाकर रखा। वे पेशे से शिक्षक थे। रुद्रनारायण क्रांतिकारी होने के साथ-साथ अच्छे पेंटर भी थे और इस दौरान आजाद की वह प्रसिद्ध पेंटिंग उन्होंने ही बनाई थी, जिसमें आजाद एक हाथ में बंदूक और दूसरे से मूंछों पर ताव देते दिखाई देते हैं। अंग्रेज, आजाद को पहचानते नहीं थे और जब उन्हें इस तस्वीर की जानकारी हुई तो वे मुंहमांगी रकम देने को तैयार हो गए थे। तब रुद्र नारायण की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। ऐसे में आजाद ने रुद्रनारायण को यहां तक कहा था कि वह पुलिस को मेरे बारे में सूचना दे दें, ताकि उनके सिर पर अंग्रेजों द्वारा रखा गया 25,000 रुपए का नकद इनाम उन्हें मिल जाए। लेकिन रुद्रनारायण ने तुरंत आजाद के इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था। आज झांसी के उस इलाके को मास्टर रुद्रनारायण का नाम दिया गया है, जहां आजाद ने अपना लंबा समय बिताया था।

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English summary
Independence Day 2022 Facts About Lal-Bal-Pal Ram Prasad Bismil Ashfaq Ullah Khan Thakur Roshan Singh Azad Rudranarayan: Many warriors sacrificed their lives for the freedom of India, it includes many names from Mangal Pandey to Shaheed Bhagat Singh. There were many pairs among these freedom fighters who had soured the teeth of the British. It includes the pair of (Lala Lajpat Rai, Bal Gangadhar Tilak and Bipin Chandra Pal), (Ram Prasad Bismil, Ashfaq Ullah Khan and Thakur Roshan Singh) and (Azad Singh and Rudra Narayan). India is celebrating the 76th anniversary of its independence on 15 August 2022. On the completion of 75 years of India's independence, the Government of India has decided to celebrate 'Har Ghar Tiranga Abhiyan' and 'Azadi Ka Amrit Mahotsav'. On this occasion we should know about our freedom fighters, let us know about these pairs of Indian freedom fighters.
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