Diwali Essay in Hindi: हिंदूओं के प्रमुख त्योहार दिवाली की तैयारी में शुरू हो चुकी हैं। देश भर के बाजार (मार्केट) दीयों और लाइटों से सज चुकी हैं। सभी लोग अपने घर- दफ्तर की सफाई में जुट चुके हैं। ऐसे में स्कूलों में दिवाली प्रतियोगिताओं की शुरुआत हो चुकी है। क्योंकि दिवाली के अवसर पर सभी स्कूल, कॉलेज बंद रहते हैं तो पहले ही दिवाली का शुभ त्योहार मना लिया जाता है।
इस साल 2024 में दिवाली 31 अक्टूबर को भारत समेत पूरी दुनिया में धूमधाम से मनाई जाएगी। हांलांकि, दिवाली 2024 को मनाने की तिथि में थोड़ा कंफ्यूजन है क्योंकि 31 अक्टूबर और 1 नवंबर दोनों ही दिन दिवाली मनाने के लिए शुभ बताए जा रहे हैं।
आज के इस लेख में हम 100, 200 और 300 शब्दों में निबंध लेकर आएं हैं। जिससे छात्रों को निबंध लेखन की तैयारी करने, प्रतियोगिता में हिस्सा लेने और साथ ही दिवाली का महत्व समझने में मदद मिलेगी।
दिवाली पर 100 शब्दों का निबंध:
दिवाली हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। इसे दीपों का त्योहार भी कहते हैं। इस दिन भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी के अयोध्या वापस लौटने की खुशी में दीप जलाए जाते हैं। लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, सजाते हैं, और रात को दीये जलाते हैं। मिठाइयाँ बाँटी जाती हैं और पटाखे फोड़े जाते हैं। लक्ष्मी पूजन के साथ संपन्नता और खुशहाली की कामना की जाती है। यह पर्व सभी को एकजुटता और खुशी का संदेश देता है।
दिवाली पर 200 शब्दों का निबंध:
दिवाली हिंदुओं का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे दीपों का त्योहार कहा जाता है। इसे हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। यह पर्व भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों और कार्यालयों की सफाई करते हैं और रंगोली बनाते हैं। शाम को लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है और दीप जलाकर घरों को रोशन किया जाता है। मिठाइयाँ बाँटी जाती हैं और आतिशबाजी भी होती है।
दिवाली के दिन लोग एक-दूसरे को मिठाई और उपहार देते हैं। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इसके साथ ही लोग लक्ष्मी माता की पूजा करके समृद्धि और खुशहाली की कामना करते हैं। दिवाली का यह पर्व सभी के जीवन में खुशी और शांति लाता है।
दिवाली पर 300 शब्दों का निबंध:
दिवाली या दीपावली, भारत का एक प्रमुख और ऐतिहासिक त्योहार है, जिसे विशेष रूप से हिंदू धर्म के लोग धूमधाम से मनाते हैं। इसे "दीपों का त्योहार" भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन घरों, दुकानों, और मंदिरों में दीयों और रोशनी से सजावट की जाती है। यह त्योहार हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है।
दिवाली के साथ कई पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं, लेकिन सबसे प्रसिद्ध कथा भगवान राम की है। जब भगवान राम 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे, तो उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने अपने घरों को दीपों से सजाया और इस खुशी में पूरा नगर रोशन हो गया। इस दिन की प्रमुख धार्मिक क्रियाओं में लक्ष्मी जी की पूजा होती है, जो धन और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं।
दिवाली का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी बहुत बड़ा है। लोग एक-दूसरे को मिठाई और उपहार देते हैं, अपने घरों की सफाई करते हैं और उन्हें सजाते हैं। बच्चों से लेकर बड़े तक सब पटाखे फोड़ने का आनंद लेते हैं। हालांकि, अब पर्यावरण की सुरक्षा के लिए लोगों को पटाखों से बचने की सलाह दी जाती है।
यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह भाईचारा, एकता और खुशी का संदेश भी देता है। सभी धर्मों और जातियों के लोग इस त्योहार को मिलजुलकर मनाते हैं, जो हमारी विविधता में एकता की परंपरा को और भी मजबूत बनाता है।