नवीन पटनायक, ओडिशा के पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके एक प्रमुख भारतीय राजनेता हैं। उन्होंने अपनी सादगी, दूरदर्शिता और निष्ठा से राजनीति में एक अनोखी पहचान बनाई है। हर साल जब उनका जन्मदिन आता है, तो लोग उनके योगदान, नेतृत्व और विशेष रूप से उनकी शिक्षा और करियर के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहते हैं।
इस लेख में हम नवीन पटनायक की शिक्षा और उनके करियर के महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डालेंगे।
जन्म और शिक्षा
नवीन पटनायक का जन्म 16 अक्टूबर 1946 को ओडिशा के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। उनके पिता, बीजू पटनायक, एक स्वतंत्रता सेनानी और ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री थे, जिनकी राजनीतिक छवि और जनसमर्थन बहुत प्रभावशाली थे। नवीन पटनायक की प्रारंभिक शिक्षा प्रतिष्ठित स्कूलों में हुई, जहाँ उन्होंने एक मजबूत शैक्षिक नींव प्राप्त की।
उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा देहरादून के मशहूर वेल्हम बॉयज स्कूल से पूरी की। इसके बाद, उन्होंने दिल्ली के दून स्कूल से अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त की, जो अपने समय का सबसे प्रतिष्ठित स्कूल माना जाता था। अपनी स्कूल शिक्षा के बाद, नवीन पटनायक ने उच्च शिक्षा के लिए विदेश की ओर रुख किया। उन्होंने लंदन यूनिवर्सिटी के किरोरी माल कॉलेज से आर्ट्स में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। कला और संस्कृति में गहरी रुचि होने के कारण उन्होंने अपने विषयों का चयन किया और पढ़ाई के दौरान विश्व संस्कृति, इतिहास, और कला से जुड़ी कई चीज़ें सीखी। उनकी पढ़ाई ने उनकी सोच और दृष्टिकोण को और अधिक व्यापक बनाया।
लेखन और कला की दुनिया
राजनीति में आने से पहले, नवीन पटनायक का जीवन कला और साहित्य के प्रति समर्पित था। वे एक प्रमुख लेखक भी रहे हैं और उन्होंने कुछ चर्चित किताबें भी लिखी हैं। उनकी किताबें भारतीय कला, इतिहास और संस्कृति से संबंधित हैं, जो यह दर्शाती हैं कि वे न केवल एक राजनेता, बल्कि एक संवेदनशील और सांस्कृतिक दृष्टिकोण वाले व्यक्ति भी हैं। उनकी प्रमुख किताबों में "A Second Paradise: Indian Courtly Life" और "The Garden of Life" शामिल हैं।
उनकी लेखन प्रतिभा और कला के प्रति रुचि ने उन्हें दुनिया भर में यात्रा करने और विविध संस्कृतियों को समझने का अवसर प्रदान किया। ये अनुभव उन्हें राजनीति में एक अधिक परिपक्व और समझदार नेता के रूप में स्थापित करने में सहायक रहे।
राजनीतिक करियर
नवीन पटनायक का राजनीति में आगमन असल में 1997 में उनके पिता बीजू पटनायक की मृत्यु के बाद हुआ। बीजू पटनायक के निधन के बाद नवीन पटनायक ने बीजू जनता दल (BJD) का नेतृत्व संभाला। उनकी सादगी, साफ छवि और जनता के प्रति समर्पण ने उन्हें बहुत कम समय में एक लोकप्रिय नेता बना दिया।
1997 में वे पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए और 1998 में केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय इस्पात और खान मंत्री बने। उनकी कुशलता और समर्पण ने उन्हें एक कुशल प्रशासक के रूप में उभारा।
2000 में, वे पहली बार ओडिशा के मुख्यमंत्री बने और तब से अब तक लगातार पांच बार इस पद पर निर्वाचित होते रहे हैं। उनके नेतृत्व में ओडिशा ने आर्थिक, सामाजिक, और बुनियादी ढांचे के विकास में उल्लेखनीय प्रगति की है। उनके कार्यकाल में राज्य में विकास की नई दिशा दिखाई दी और उन्होंने अपने शांत, संवेदनशील और दूरदर्शी नेतृत्व से राज्य की जनता का दिल जीता।