Happy New Year 2022 कामकाज में भरपूर समय देने के बावजूद तरक़्क़ी न हो रही हो, मनमाफ़िक कामयाबी न मिल रही हो, तो कारण बाहर ढूंढने के बजाय एक बार अपने भीतर झांककर भी देखें। अक्सर निर्दोष-सी लगने वाली हमारी ही कोई प्रवृत्ति या आदत हमारी राह का रोड़ा बनी होती है। साल का आख़िरी महीना आत्म-अवलोकन का होता है। आमुख कथा के बिंदुओं पर ग़ौर करेंगे, तो निश्चित ही 2022 में कामयाबी की नई इबारत लिख पाएंगे। कई बार आपको लगता होगा कि आप ख़ूब दौड़-धूप करते हैं, दिन-रात मेहनत करते हैं, लेकिन फिर भी आपकी तरक़्क़ी नहीं हो रही। आप आत्म-अवलोकन करते हैं तो ख़ुद को उसी जगह खड़ा हुआ पाते हैं, जहां से आप चले थे। जबकि आपके इर्दगिर्द मौजूद दूसरे लोग आपसे काफ़ी आगे किसी उच्च स्थान पर पहुंचे हुए दिखते हैं। क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है? अधिकांश मामलों में इसके लिए आपकी ही कुछ आदतें ज़िम्मेदार होती हैं।
मुझे सब पता है!
दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक, यह एक घातक आदत है। जब आप सिर्फ़ अपने ही मन की करते रहते हैं और दूसरों से राय नहीं लेते तो आपके निर्णय अक्सर ग़लत होने लगते हैं। कोई भी नया काम करना हो और आपको फील्ड की जानकारी न हो तो आपको दूसरों से राय ज़रूर लेनी चाहिए। वरना आपका बहुत सारा वक़्त बेवजह हाथ-पैर मारने में ही नष्ट हो जाएगा। आपको सर्वज्ञ होने और सर्वेसर्वा बनने की प्रवृत्ति से बचना चाहिए और टीमवर्क पर यक़ीन करना चाहिए।
एक ही समूह में रहना
अपने कार्यस्थल पर अगर रोज़ एक ही समूह के लोगों से मिलते-जुलते हैं और सिर्फ़ उन्हीं के साथ विचारों का आदान-प्रदान करते हैं, तो आपकी तरक़्की के रास्ते बंद हो जाते हैं, क्योंकि इससे आप नई-नई सूचनाओं, किसी मसले पर नए व अलग विचारों व अच्छे लोगों के सहयोग से वंचित हो जाते हैं। लगातार एक जैसे लोगों में उठ-बैठने से आपकी सोचने की शक्ति कुंद पड़ने लगती है और आप पुराने ढर्रे पर चलते रह जाते हैं।
परफेक्शन की धुन
काम हमेशा अच्छा करना चाहिए, इसमें कोई दो मत नहीं है। लेकिन हर काम को एकदम परफेक्ट करने के फेर में अगर आप एक घंटे के काम में चार घंटे लगा रहे हैं या रोज़ टालमटोल कर रहे हैं, तो आपकी गाड़ी आगे कैसे बढ़ेगी? काम अच्छा कीजिए, लेकिन सुई की नोंक लेकर उसकी अच्छाई या कमियों को नापने मत बैठिए। आपको दूसरे बहुत से काम भी करने हैं, यह बात हमेशा ध्यान में रखिए।
ऑनलाइन हाज़िर
क्या आप हर वक़्त ऑनलाइन रहते हैं? ईमेल, मैसेंजर पर आप सवालों या टिप्पणियों का तुरंत जवाब देते हैं, तो समझ लीजिए कि आप अपना वक़्त बर्बाद कर रहे हैं। इस आदत से आप अपने स्मार्टफोन से चिपके रह जाते हैं और दिनभर कभी संदेश, कभी वीडियो तो कभी ईमेल देखते रह जाते हैं। आपको इसके लिए दो-तीन घंटों के अंतराल पर दस मिनट का समय रिज़र्व रखना चाहिए ताकि बाक़ी समय आप कोई कारगर काम कर सकें या कुछ नया सीख सकें।
कहीं असफल न हो जाऊं?
अगर आप हर काम इसी सोच के साथ करते हैं, तो समझ लीजिए कि आपकी प्रगति इसी नज़रिए की वजह से रुकी हुई है। अगर आप हमेशा वही काम, प्रोजेक्ट चुनते हैं जिसमें 100 फ़ीसदी सफल होने की गारंटी हो, तो आप कभी बड़ा काम नहीं कर पाएंगे। 'नो पेन, नो गेन' और 'नो रिस्क, नो गेन' यानी 'बिना कष्ट उठाए लाभ नहीं मिलता', ज़िंदगी में सफलता हासिल करने का अचूक मंत्र है। आप लीक से हटकर कुछ करेंगे तो उसमें जोखिम ज़रूर रहेगा। हां, आपको यह अवश्य देखना चाहिए कि सफलता मिलने पर जो फ़ायदा हो सकता है वह जोखिम की तुलना में कितना है। साथ ही प्लान-बी भी तैयार रखना चाहिए।
ये भी हैं बाधक
- हर काम ख़ुद ही करना।
- काम में टालमटोली करना।
- दूसरों की चुगलखोरी करना।
- मल्टी टास्किंग।
- बिना आराम किए काम करना।
- एकाग्रता के बिना काम में लगे रहने।
- टू डू लिस्ट न बनाना।
- बिना लक्ष्य के आगे बढ़ना।
- व्यवधान से मुक्ति न पाना।
प्रगति में इनसे मिलेगी मदद
निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाए...
अनिर्णय और असमंजस की स्थिति तरक़्क़ी में रोड़ा अटकाती है। निर्णय लेना बहुत ज़रूरी होता है। अच्छा निर्णय आगे बढ़ाता है, तो बुरा निर्णय एक सीख दे जाता है।
अनुशासन की आदत डालें...
बेतरतीब जीवनशैली तन, मन और धन, तीनों के लिए नुक़सानदेह होती है। इसलिए अनुशासित जीवनशैली अपनानी चाहिए। सुबह समय से उठना, समय पर काम निपटाना और सबकुछ व्यवस्थित तरीक़े से करना प्रगति की पहली शर्त है।
खुला दिमाग़ रखें...
आपको पूर्वग्रह से ग्रस्त नहीं रहना चाहिए। जो जानते हैं और जो सोच लिया उस पर अड़े न रहें। अपना दिमाग़ खुला रखें। नई तकनीक, नई बातें जानें और ज़रूरत पड़ने पर उनका उपयोग भी करें। लोगों से विचार-विमर्श करें और उनकी राय को तवज्जो दें। स्थिति के मुताबिक़ कार्यशैली को बदलते रहें।