Sarojini Naidu Poems in Hindi: सरोजिनी नायडू, जिन्हें भारत की कोकिला भी कहा जाता है, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान एक प्रमुख भारतीय कवयित्री और राजनीतिक कार्यकर्ता थीं। वह अपनी ओजस्वी कविता के लिए जानी जाती थीं, जिसमें अक्सर प्रकृति की सुंदरता, भारतीय जीवन का चित्रण और ब्रिटिश शासन से आजादी की वकालत की जाती थी। यहां उनकी कुछ प्रसिद्ध कविताएं हैं:
हैदराबाद के बाज़ारों में: यह कविता हैदराबाद के बाज़ारों में हलचल भरे जीवन का स्पष्ट रूप से वर्णन करती है, जिसमें बाज़ार के जीवंत रंगों, ध्वनियों और गंधों को दर्शाया गया है।
भारतीय बुनकर: इस कविता में, नायडू ने भारतीय बुनकरों के जीवन और उनके संघर्षों को चित्रित किया है, उनकी शिल्प कौशल और उनकी रचनाओं की सुंदरता पर प्रकाश डाला है।
पालकी वाहक: नायडू के "पालकी वाहक" उन वाहकों के परिश्रम और लचीलेपन की बात करते हैं जो अपनी लय और सुंदरता को बनाए रखते हुए पालकी को विभिन्न इलाकों से ले जाते हैं।
भारत के लिए - मेरी मूल भूमि: यह कविता अपने देश, भारत के प्रति नायडू के गहरे प्रेम को दर्शाती है, और इसकी स्वतंत्रता और समृद्धि के लिए उनकी आशाओं और आकांक्षाओं को व्यक्त करती है।
कोरोमंडल फिशर्स: नायडू की "द कोरोमंडल फिशर्स" तटीय जीवन के सार और मछुआरों के संघर्ष को दर्शाती है, क्योंकि वे समुद्र में उतरते हैं और इसकी अनिश्चितताओं और खतरों का सामना करते हैं।
ये सरोजिनी नायडू के समृद्ध और विविध कार्य के कुछ उदाहरण हैं। उनकी कविता अपनी गीतात्मक सुंदरता, ज्वलंत कल्पना और गहरी भावनात्मक अनुगूंज के लिए आज भी जानी जाती है।
1. भारत देश है प्यारा
भारत देश है हमारा बहुत प्यारा,
सारे विश्व में है यह सबसे न्यारा,
अलग-अलग हैं यहां सभी के रूप रंग,
पर सुर सब एक ही गाते,
झंडा ऊंचा रहे हमारा,
हर परदेश की है यहाँ अलग एक जुबान,
पर मिठास कि है सभी में शान,
अनेकता में एकता को पिरोकर,
सबने हाथ से हाथ मिलाकर देश संवारा,
लगा रहा है अब भारत सारा,
"हम सब एक हैं" का नारा,
भारत देश है हमारा बहुत प्यारा,
सारे विश्व में है यह सबसे न्यारा।
2. नारी
बचपन में मां नारी का किरदार निभाया है,
उसने ही तो हमे ठीक से चलना, बोलना और पढ़ना सिखाया है,
उम्र जैसे बढ़ी तो पत्नी ने नारी का रूप दिखाया है,
उसने हर परिस्थिति में हमे डटकर लड़ना सिखाया है,
फिर बेटी ने नारी का रूप अपनाया है,
दुनिया से प्यार करना सिखाया है,
और तो क्या ही लिखूं मैं नारी के सम्मान में,
हम सब तो खुद ही गुम हो गए हैं अपने ही पहचान में।
3. बदलता हूं
मैं सोच भी बदलता हूं,
मैं नजरिया भी बदलता हूं,
मिले ना मंजिल मुझे,
तो में उसे पाने का जरिया भी बदलता हूं,
बदलता नहीं अगर कु,
तो मैं लक्ष्य नहीं बदलता हूं,
उसे पाने का पक्ष नहीं बदलता हूं।