what is Heatwave? Know its Cause and Impact: भारत के विभिन्न राज्यों में हीटवेव की स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया है तो कहीं स्कूलों के समय में परिवर्तन किया गया है। इतना ही नहीं, तपती धूप और चुभती गर्मी से सभी परेशान हो रहे हैं। हीटवेव को लेकर आईएमडी (IMD) ने मई की शुरुआत में ही अलर्ट जारी कर दिया था। हाल की बात करें तो स्कूल 15 जून से खुलने वाले थे, जो अब 26 जून तक बंद रहेंगे। बारिश के आने आसार भी कम है। खैर दिल्ली में बढ़ती गर्मी से राहत देने के लिए बारिश की कुछ बौछार तो हुई है लेकिन अभी भी कई राज्य ऐसे है, जहां तापमान में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं आई है।
अब, जब बात हीटवेव की हो ही रही है तो इससे संबंधित खबरें सुनते हुए आपके मन में भी ये प्रश्न उठता ही होगा कि हीटवेव आखिर है क्या, हीटवेव की घोषणा कब की जाती है, हीटवेव का क्या कारण है, हीटवेव की स्थिति क्यों उत्पन्न होती है, हीटवेव का भारत पर क्या प्रभाव है, हीटवेव क्यों खतरनाक है और हीटवेव के प्रभाव क्या है? ये प्रश्न ना केवल स्कूल में पढ़ रहे छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि प्रतियोगिता परीक्षा में हिस्सा लेने वाले उम्मीदवारों के लिए भी ये उतना ही महत्वपूर्ण है। अब ये प्रश्न आपको नहीं सताएंगे, क्योंकि इस लेख में आपके मन में आने वाले सभी प्रश्नों के उत्तर आपको दिए जाएंगे, जिससे आपका ज्ञान बढ़ेगा और आप इसके बारे में जान पाएंगे।
हीटवेव क्या है? (What is Heatwave)
हीटवेव को असामान्य रूप से गर्म मौसम की अवधि कहा जाता है। ये एक ऐसी अवधि होती है जिसमें तापमान सामान्य से अधिक होता है और ये लंबे समय तक चलता है। हीटवेव को अक्सर अत्यधिक आर्द्रता के साथ जोड़ा जाता है।
भारत में हीटवेव की शुरुआत आमतौर पर मार्च से जून के बीच होती है, ये समय स्कूलों की अवकाश भी होता है। ज्यादातर स्कूल हीटवेव की स्थिति को देखते हुए ग्रीष्मकालीन अवकाश की घोषणा करते हैं। वर्तमान में हुई शोध के अनुसार बात करें तो पता लगता है कि पिछले तीन दशकों में लगातार हो रहे जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के कारण हीटवेव की संभावना बढ़ी है।
हीटवेव हवा के तापमान की एक ऐसी स्थिति होती है, जो मानव शरीर के लिए घातक साबित होती है। इससे ही ध्यान में रखते हुए आईएमडी अलर्ट जारी करती है और लोगों के लिए DOs और Don'ts की एडवाइजरी जारी करती है।
मात्रात्मक रूप से इसे किसी क्षेत्र के सामान्य तापमान से या तापमान सीमा के आधार पर भी परिभाषित किया जाता है। अर्थात सामान्य तापमान सीमा से ऊपर जाने पर हीटवेव की स्थिति उत्पन्न होती है।
हीटवेव की घोषणा कब की जाती है? (When Did Heatwave Declared)
अभी, हमने जाना की तापमान जब सामान्य तापमान सीमा से ऊपर जाता है तो हीटवेव कहता है, लेकिन ये पता किस आधार पर लगया जाता है कि हीटवेव के आसार हैं, या हीटवेव की शुरुआत हो चुकी है। आखिर किस प्रकार हीटवेव की घोषणा की जाती है? हीटवेव के बात किए जाने पर ये प्रश्न सबसे महत्वपूर्ण प्रश्नों में से एक है, तो आपको बता दें कि भारत में हीटवेव की घोषणा आईएमडी द्वारा की जाती है। आईएमडी के क्राइटेरिया के अनुसार जब राज्य या किसी क्षेत्र का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के ऊपर दर्ज किया जाता है या सामान्य तापमान से 4.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक देखा जाता है तब भीषण गर्मी यानी हीटवेव की घोषणा की जाती है।
ऐसा मुमकिन है कि भारत के किसी एक राज्य में हीटवेव की घोषणा की गई हो तो किसी में नहीं। यहां तक कि ये भी मुमकिन है कि एक ही राज्य के दो अलग शहरों में से किसी एक में हीटवेव की स्थिति हो और किसी में नहीं। ये सभी क्षेत्र के तापमान पर निर्भर करता है। यही कारण है कि कई देशों में इसे ताप के सूचकांक या तापमान के चरम प्रतिशतक के आधार पर भी देखा जाता है।
हीटवेव की घोषणा किस आधार पर की जाती है के उत्तर के साथ एक नया प्रश्न ये उठता है कि भारत में मैदानी क्षेत्र भी है और पहाड़ी क्षेत्र भी तो दोनों क्षेत्रों में हीटवेव का आधार क्या एक ही है। इसका उत्तर है नहीं, मैदानी क्षेत्रों को तुलना में पहाड़ी क्षेत्रों में हमेशा कम गर्मी पड़ती है। ऐसी स्थिति में दोनों क्षेत्रों में हीटवेव की घोषणा के सामान्य तापमान के आधार पर नहीं हो सकती है। जहां मैदानी इलाकों में तापमान 40 से ऊपर जाने पर हीटवेव की घोषणा होती है, वहीं पहाड़ी इलाकों में तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जाने पर हीटवेव की घोषणा की जाती है।
आईएमडी के अनुसार एक सामान्य तापमान में 4 से 5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि को हीटवेव की स्थिति में घोषित किया जाता है। वहीं यदि सामान्य तापमान में 6 से 7 डिग्री की वृद्धि दर्ज की जाती है तो इसे गंभीर हीटवेव की स्थिति के रूप में घोषित किया जाता है।
उदाहरण के लिए मैदानी इलाकों में यदि तापमान 45 डिग्री तक का है तो हीटवेव की घोषणा की जाएगी। यदि 47 डिग्री का है तो गंभीर हीटवेव की घोषणा की जाएगी।
पहाड़ी इलाकों में हीटवेव की घोषणा 35 डिग्री तापमान पर की जाती है जो 37 डिग्री तक जा सकता है।
क्यों होती है हीटवेव की स्थिति उत्पन्न? (Why do Heatwave Conditions Arise)
हीटवेव की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब, वातावरण में स्थिर उच्च दबाव उत्पन्न होता है। ये दबाव कई दिनों और हफ्तों के लिए होता है। वातावरण में उत्पन्न हुआ स्थिर उच्च दबाव गर्म द्रव्यमान उत्पन्न करता है, जिसके कारण कन्वेंशन धाराओं में कमी आती है। आसान भाषा में ये हाई-प्रेशर सिस्टम लॉक के रूप में काम करता है, जो गर्म हवाओं को ऊपर उठने से रोकता है। इसके परिणामस्वरूप हवाएं ऊपर नहीं जाती है और बारिश नहीं होती है, जिससे हीटवेव की स्थिति उत्पन्न होती है।
लेकिन क्या आप जानते है कि हीटवेव को भी श्रेणीबद्ध किया गया है। हां, आपने सही सुना ऑस्ट्रेलियाई सरकार के मौसम विभाग ब्यूरो ने हीटवेव को तीन श्रेणियों में बांटा है। जो इस प्रकार है -
1. कम तीव्रता
2. गंभीर
3. चरण
जहां कम तीव्रता वाली हीटवेव अधिक देखी जाती है, लेकिन जब गंभीर और चरम हीटवेव की स्थिति उत्पन्न होती है तो इसे प्रबंधित करना अधिक चुनौतीपूर्ण होता है और ये मानव शरीर को अधिक नुकसान पहुंचाती है।
भारत में हीटवेव का प्राथमिक कार्य ग्लोबल वार्मिंग को माना जाता है। जो, जीवाश्म ईंधन को जलाने, वनों की कटाई और औद्योगिक गतिविधियों के कारण पृथ्वी के औसत तापमान में वृद्धि को बढ़ावा दे रहा है। इसके साथ ही शहरीकरण को भी इसका कारण माना जा रहा है। कंक्रीट की सड़कें, उच्च जनसंख्या, इमारतें आदि को शहरीकरण ताप द्वीप प्रभाव के रूप में जाना जाता है। जो मुख्य तौर पर तापमान में वृद्धि का कारण है और हीटवेव की स्थिति को उत्पन्न कर रही हैं।
भारत में हीटवेव की अवधि (What is the period of heatwave over India)
भारत में हीटवेव की शुरुआत मार्च माह से होने लगती है और ये स्थिति जून माह तक बनी रहती है। इसके बाद बारिश की शुरुआत होती है। मार्च के बाद से जून तक के तीन महीने के इस समय में लोगों को ज्यादा से ज्यादा पानी पीने और हल्के रंग के कपड़े पहने की सलाह IMD द्वारा दी जाती है।
भारत में हीटवेव प्रवण राज्य कौन से हैं? (What are the heatwave-prone states in India)
भारत के कुछ राज्य ऐसे हैं जहां हीटवेव का प्रभाव बनी रहती है, उनके नाम है - दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, हरियाणा, पंजाब, झारखंड, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, कर्नाटका, महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश शामिल है। इन राज्यों में अधिकतम तापमान 45 डिग्री तक दर्ज किया गया जा चुका है।
हीटवेव का भारत पर क्या प्रभाव है? (Heatwave Impact In India)
इस साल हीटवेव की शुरुआत अप्रैल माह से हो चुकी थी। बता दें कि 16 अप्रैल नवी मुंबई में हुए एक सार्वजनिक समारोह में शामिल हुए लोगों में से 13 लोगों की लू लगने के कारण मृत्यु हो गई थी। इतना ही नही हर साल कई लोगों को मृत्यू केवल हीटवेव के कारण होती है। आंकड़ों के अनुसार बात करें तो वर्ष 2000 से लेकर 2020 तक में 20,615 लोगों की मृत्यु हीट स्ट्रोक के कारण हुई थी। जिसमें 2015 को सबसे खतरनाक वर्ष में गिना जाता है, उस साल कुल 1,908 लोग लू लगने के कारण मरे थे। उसके बाद 2020 में कुल 530 लोगों की मृत्यु हीटवेव के कारण हुई तो वहीं 2021 में इस आंकड़े में गिरावट दर्ज की गई और उस साल मरने वाले लोगों की संख्या 374 दर्ज की गई थी। लेकिन 2015 की तुलना में 2022 में हीटवेव के कारण मरने वाले लोगों की संख्या अधिक थी। पिछले साल 2,227 व्यक्तियों ने हीटवेव के कारण अपनी जान गंवाई थी।
भारत में हीटवेव के प्रभाव से लोगों को बचाने के लिए आईएमडी द्वारा एडवाइजरी जारी की जाती है, साथ ही स्कूल को बंद किया जाता है, ताकि इसके नकारात्मक प्रभाव से बचा जा सके।
हीटवेव क्यों खतरनाक है? (Why is heatwave dangerous)
हीटवेव मानव शरीर के लिए बहुत हानिकारक मानी जाती है। तापमान में वृद्धि के कारण हमें गर्मी की थकावट, हीट स्ट्रोक, हाइपरथर्मिया, गर्मी की ऐंठन, डिहाइड्रेशन जैसी परेशानियां होने लगती है। इससे न केवल अस्पताल में भर्ती होने जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है बल्कि जान पर भी बन सकती है।
हीटवेव से होने वाली परेशानियां...
- चक्कर आना
- जी मिचलाना
- बेहोशी
- उलझन
- मांसपेशियों में ऐंठन
- सिर दर्द
- अत्यधिक पसीना और दिल की धड़कन बढ़ना
- थकान
- लू लगना
- अतिताप
हीटवेव के संदर्भ में क्या कहती है वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन का अध्ययन (What The World Weather Attribution study says about heatwaves)
वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन जिसे शॉर्ट में WWA भी कहा जाता है, उसके मुताबिक हीटवेव सबसे घातक प्राकृतिक खतरों में से एक है। जिसके कारण हजारों लोगों की जान जाती है। अभी आपको बताया है कि हर साल भारत में कितने लोगों की मृत्यु केवल हीटवेव यानी लू लगने के कारण होती है। एक स्टडी के अनुसार वर्ष 2017 से 2021 के बीच करीब 3 लाख लोगों की मृत्यु हो चुकी है। यही कारण है कि आज हीटवेव सबसे घातक प्राकृतिक खतरा है।
वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन के अध्ययन के अनुसार सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोग गर्मी और आर्द्र तापमान के आदि हो चुके होते हैं। लेकिन वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो गर्मी के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, जो अधिक जोखिम में होते है।
इससे साथ ही WWA ये भी जानकारी देता है कि सामाजिक-आर्थिक स्थिति, धर्म, जाति, लिंग, प्रवासन और रहने की स्थिति जैसे कारकों के आधार पर सामाजिक नुकसान से इस तरह के जोखिम और भेद्यता को तेज किया जाता है। इसमें शीर्ष पर, वायु प्रदूषण, शहरी गर्मी द्वीप प्रभाव, और जंगल की आग जैसे कारक भी है विशेष रूप से कमजोर आबादी के बीच स्वास्थ्य पर प्रभाव डालते हैं।
दूसरी तरफ WWA ने भारत की बात करते हुए बताया कि भारत में उमस भरी गर्मी की घटना अधिक असामान्य नहीं है। इसके पीछे का कारण वर्तमान जलवायु परिवर्तन में मानव गतिविधियां है, जिसके कारण भारत का तापमान 1.2 डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो गया है। (भारत में हीटवेव होने के कारण की जानकारी आपके लिए लेख में ऊपर दी गई है।) भारत में मानव प्रेरित जलवायु परिवर्तन के कारण किसी भी वर्ष में 20 प्रतिशत होने संभावना के साथ हीटवेव अब गर्मी सूचकांक में लगभग 2 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म है।
दक्षिण एशियाई क्षेत्रों में खतरनाक तापमान 41 डिग्री सेल्सियस माने जाती है, तो वहीं कुछ हिस्स है जहां बेहद खतरनाक स्थिति तब होती है जब तापमान 54 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। इसके कारण से शरीर के सामान्य तापमान को बनाए रखना कठिन होता है और हीट स्ट्रोक के आसार बढ़ जाते है।
WWA के अध्ययन के अनुसार गर्मी से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए व्यक्ति से लेकर क्षेत्रीय स्तर पर कई तरह के समाधान उपस्थित है। इसमें सबसे उन्नत हीटवेव योजना भारत के पास है। जैसे आत्म-सुरक्षात्मक कार्रवाई, गर्मी के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, निष्क्रिय और सक्रिय शीतलन, शहरी नियोजन, और गर्मी कार्य योजनाएं मृत्यु दर और अन्य नकारात्मक प्रभावों को कम करने में प्रभावी हो सकती हैं। यहां तक कि इनका सकारात्मक प्रभाव ओडिया और अहमदाबाद के क्षेत्र में देखा गया है। जहां गर्मी के कारण होने वाली मृत्यु दर में कमी देखी गई है।
भारत की हीटवेव योजना पर बात करते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान तिरुपति के चंद्रशेखर बाहिनीपति ने कहते है कि "हालांकि हमने हीटवेव को सबसे घातक आपदाओं में से एक के रूप में पहचाना है, विशेष रूप से भारत जैसे देशों में, इस संबंध में ज्ञान की कमी है कि कौन कमजोर है, नुकसान और क्षति का अनुमान, घरेलू मुकाबला तंत्र, और सबसे प्रभावी गर्मी कार्य योजनाएं। मानव हताहतों को छोड़कर, अन्य आर्थिक और गैर-आर्थिक नुकसान और क्षति संकेतकों का दस्तावेजीकरण नहीं किया गया है। यह जोखिम की सीमा का आकलन करने में कमी पैदा करता है, जो कमजोर है, और किसी अनुकूलन योजना को भी संचालित करता है।"