जब एक डॉक्टर किसी का इलाज करता है तो पूरे परिवार को राहत मिलती है, एक टीचर के पढ़ाने से पूरा परिवार लाभान्वित होता है, उसी प्रकार जब आप किसी फाइनेंशियल सर्विस एक्सपर्ट के दिशा-निर्देश पर निवेश करते हैं, तो आपकी संपत्ति में तेज़ी से इज़ाफा होता है और उसका भी लाभ आपके पूरे परिवार को मिलता है। जरा सोचिए भारत में प्रति 834 लोगों के लिए एक डॉक्टर है, प्रति 144 लोगों के लिए एक टीचर, लेकिन सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर की बात करें तो देश में प्रति 5,18,518 लोगों पर एक सर्टिफाइड प्रोफेशनल है। और तो और पूरी दुनिया में मात्र ढाई लाख प्रोफेशनल हैं।
सीधी बात करें तो इन आंकड़ों से ही आपको समझ में आ गया होगा कि देश में सर्टिफाइड फाईनेंशियल प्लानर के लिए देश में कितना स्कोप है। इस क्षेत्र में बढ़ते हुए स्कोप को देखते हुए करियर इंडिया ने बात की CFP सर्टिफिकेट प्रदान करने वाली संस्था FPSB India के सीईओ कृष्णन मिश्रा से। आईआईएम बेंगलुरु में आयोजित बूट कैम्प के दौरान कृषन मिश्रा ने इस क्षेत्र के बारे में जो आंकड़े बताये, वो इस क्षेत्र को समझने के लिए काफी हैं। खास तौर से उन लोगों के लिए जो फाइनेंशियल सर्विस के लिए क्षेत्र में जाना चाहते हैं।
माता-पिता कैसे करें अपने बच्चों को Motivate?
इस सवाल पर कृषन मिश्र ने कहा, "समस्या इस बात की है कि आज हमारे देश में एजुकेशन तो दी जा रही है लेकिन फाईनेंशियल एजुकेशन नहीं दी जा रही है। आप कोई भी प्रोफेशन उठा लीजिये, डॉक्टर, इंजीनियर, एडवोकेट, चार्टर्ड अकाउंटेंट, कोई भी, इनमें लाखों करोड़ों में एक या दो ही मिलेंगे जो फाइनेंशियली एजुकेटेड होंगे। उनको पता ही नहीं है कि जो पैसा वो कमा रहे हैं उसे कैसे मैनेज करना है और कैसे इंवेस्ट करना है। अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से बात करके उन्हें जो समझ आता है, वहीं इंवेस्ट कर देते हैं।"
"फाइनेंशियल एजूकेशन घर की डिनर टेबल से शुरू करनी चाहिए। वो भी स्वयं माता-पिता को। पहली बात पहले आप खुद इसके बारे में अच्छी तरह पढ़ें और समझें कि कहां किस वक्त कैसे इंवेस्ट करना है। और फिर हफ्ते में या महीने में एक बार अपने बच्चों के साथ डिनर टेबल पर जरूर डिसकस करें," उन्होंने आगे कहा।
उन्होंने कहा कि स्कूली बच्चों को इंवेस्टमेंट के बारे में कोई जानकारी नहीं दी जाती है। यह माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वो बतायें कि बैंक अकाउंट कैसे कार्य करता है, एफडी कैसे रिटर्न देती है, कैसे स्टॉक मार्केट रन करता है। आम तौप पर माता-पिता केवल यह बता कर कि पैसे सोच समझ कर खर्च करें, पॉकेट मनी दे देते हैं। जबकि उन्हें इससे कहीं आगे की नॉलेज देने की जरूरत है। बच्चा अगर 12वीं पास कर चुका है, याकि कि वो लगभग 18 वर्ष का हो चुका है, ऐसे में आप उससे खुल कर निवेश संबंधी बातें कर सकते हैं।
फाईनेंशियल प्लनिंग सर्टिफिकेट क्यों जरूरी?
इस सवाल पर कृषन मिश्रा ने कहा कि जीवन में फाइनेशियल प्लानिंग कैसे करनी चाहिए, यह स्कूलों में नहीं पढ़ाया जाता है। यही कारण है कि हमारे देश में इस क्षेत्र में उतरने वाले छात्रों की संख्या भी बहुत कम है। वहीं घर की बात करें तो बचपन से ही उनको इंजीनियरिंग, मेडिकल, लॉ, ह्यूमैनिटीज़, मैनेजमेंट आदि के बारे में बताया जाता है, तो वो उन्हीं में से एक चुन कर आगे बढ़ जाते हैं।
CFP प्रोफेशनल्स के लिए क्या स्कोप है?
इस सवाल के जवाब में कृषन मिश्रा ने बताया कि CFP प्रोफेशनल का काम एक प्रकार से डॉक्टर या टीचर से कम नहीं। जिस तरह से एक डॉक्टर जब एक मरीज का इलाज करता है तो उसके पूरे परिवार को राहत मिलती है। एक टीचर जब किसी को पढ़ाता है तो परिवार को लाभ मिलता है। उसी प्रकार से सीएफपी प्रोफेशनल जब किसी परिवार के फाइनेंस एसेट्स को अच्छी तरह से प्रॉफिट ला कर देते हैं, तो उसका लाभ पूरे परिवार को होता है। इस प्रोफेशन में आप किसी एक व्यक्ति की नहीं, उसके परिवार की मदद करते हैं, जब आप किसी परिवार की मदद करते हैं तो मतलब आप पूरी सोसाइटी की मदद कर रहे हैं। आज लोगों को सही इंवेस्टमेंट करने के लिए सहायता की जरूरत है।
मार्केट में अवसरों के बारे में उन्होंने बताया कि भारत में फिलहाल मात्र 2731 सीएफपी प्रोफेशनल हैं। पूरी दुनिया में लगभग ढाई लाख प्रोफेशनल हैं। जिस तरह से लोगों की कमाई बढ़ रही है, और साथ में खर्च करने की सामर्थ भी बढ़ रही है। ऐसे में सही वित्तीय प्रबंधन की जरूरत है। और स्किल्ड सीएफपी प्रोफेशनल इस काम को बखूबी कर सकते हैं।
कृषन के अनुसार सरकारी डाटा की बात करें तो नेशनल करियर सर्वे की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार देश में 46.86 लाख नौकरियां वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में निकलीं, जिनमें से 27.9 लाख पदों पर ही योग्य व्यक्ति मिले, बाकी करीब 18 लाख नौकरियां खाली रह गईं। इसी से आपको अंदाजा लग सकता है कि इस क्षेत्र में रोजगार के कितने सारे अवसर हैं।
कैसे बनते हैं सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर
सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर बनने के लिए आपको पहले संस्थान का चुनाव करना होता है। दिल्ली, मुंबई, जयपुर, हैदराबाद आदि शहरों में विभिन्न वित्तीय शिक्षण संस्थान हैं जो FPSB इंडिया से मान्यता प्राप्त हैं। कोर्स में छात्रों को एक्सपर्ट्स द्वारा तैयार किया गया पाठ्यक्रम पढ़ाया जाता है। ये वो चीजें होती हैं जो एमबीए तक में नहीं पढ़ाई जाती हैं। सर्टिफिकेट मिलने के बाद आप सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर बन जाते हैं। ध्यान रहे आपको हर तीन साल में अपना सर्टिफिकेट रिन्यू करवाना होता है।
आपको कंपनियों के एसेट मैनेजमेंट डिपार्टमेंट, एसेट मैनेजमेंट फर्म, इंवेस्टमेंट कंपनी, आदि में ऑफर मिल सकते हैं। नहीं तो आप खुद अपनी कंपनी खोल सकते हैं या प्रैक्टिस कर सकते हैं। सबसे जरूरी बात यह कि आप इस सेक्टर में जॉब करें न करें, एडवाइजर बनें या न बनें, यह सर्टिफिकेट आपके लिए एक प्रकार का लाइफ स्किल होगा जो आपको अपने खुद के जीवन को मैनेज करने में मदद करेगा।
सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर के लिए कौन सी डिग्री चाहिए
सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर के सर्टिफिकेशन कोर्स के लिए न्यूनतम अर्हता किसी भी विषय से 12वीं है। लेकिन आपका सर्टिफिकेट प्रोग्राम तब तक पूरा नहीं होता जब तक आप ग्रेजुएशन पूरा नहीं कर लेते हैं।
सरल शब्दों में आपको पूरी प्रक्रिया
1. अगर आप 12वीं पास हैं तो आप कोर्स में दाखिला ले सकते हैं। लेकिन साथ में आप किसी विश्वविद्यालय या डिग्री कॉलेज में ग्रेजुएशन में दखिला भी जरूर लीजिये। अगर आप ग्रेजुएशन कर रहे हैं या पूरा कर चुके हैं तब आप सीधे प्रवेश ले सकते हैं।
2. आपका ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद आपको एक एक्सपर्ट के निर्देशन में कम से कम एक साल की प्रेक्टिस करनी होती है। अगर आप बिना किसी के निर्देशन में काम कर रहे हैं तो कम से कम तीन साल बाद ही आप CFP सर्टिफिकेट के लिए अप्लाइ कर सकते हैं।
3. अगर आप स्वयं प्रेक्टिस नहीं कर रहे हैं तो आप किसी वित्तीय सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनी में भी अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।
4. सर्टिफिकेट के लिए आपको CFP की परीक्षा देनी होती है।
5. यह सर्टिफिकेट पूरे भारत में मान्य होता है। अगर आप विदेश जाकर प्रेक्टिस करना चाहते हैं तो आपको उस देश की शर्तों को पूरा करना होता है, क्योंकि वित्तीय नियम सभी देशों के लिए अलग-अलग हैं।