Sharad Purnima Essay in Hindi: हिंदू धर्म में हर पर्व और त्योहार की अपनी अलग विशेषता और मान्यता होती है। भारत के विभिन्न हिस्सों में एक ही त्योहार को अलग अलग नामों से जाना जाता है। प्रदेश के साथ-साथ यहां उस विशेष पर्व या त्योहार को मनाने की प्रथा और विधि में भी महत्वपूर्ण फर्क देखा जा सकता है। ऐसा ही एक त्योहार है शरद पूर्णिमा। इसे विभिन्न प्रांतों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, शरद पूर्णिमा या अश्विन पूर्णिमा अश्विन महीने में ही पड़ता है। यह आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर के महीने में ही मनाया जाता है। शरद पूर्णिमा हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। शरद पूर्णिमा, आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन चंद्रमा अपने पूर्ण स्वरूप में होता है।
शरद पूर्णिमा को कई राज्यों में कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है। शरद पूर्णिमा की रात को विशेष महत्त्व इसलिए दिया जाता है क्योंकि इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्णता में होता है और इस रात को देवी लक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है और चांदनी रात में खीर रखने की परंपरा भी है।
शरद पूर्णिमा को त्योहार विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। इस दिन कोजागरी पूर्णिमा मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, ओडिशा और त्रिपुरा में मनाई जाती है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है। इस वर्ष शरद पूर्णिमा का त्योहार 16 अक्टूबर बुधवार को मनाया जा रहा है। शरद पूर्णिमा के अवसर पर यहां स्कूली बच्चों के लिए शरद पूर्णिमा पर निबंध के प्रारूप प्रस्तुत किये जा रहे हैं। शरद पूर्णिमा पर निबंध के ये प्रारूप 100, 200 और 300 शब्दों में प्रस्तुत किये जा रहे हैं।
100 शब्दों में शरद पूर्णिमा पर निबंध
शरद पूर्णिमा का त्यौहार हर साल आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसे कोजागरी या रास पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण आभा में होता है और माना जाता है कि चंद्रमा की किरणों से स्वास्थ्य लाभ होता है। शरद पूर्णिमा के दिन रात में खीर बनाकर चांदनी के नीचे रखा जाता है और अगली सुबह उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और उनसे समृद्धि की प्रार्थना की जाती है। इस दिन व्रत रखने और दान-पुण्य करने का विशेष महत्त्व है।
200 शब्दों में शरद पूर्णिमा पर निबंध
हिंदू धर्म ग्रंथों में शरद पूर्णिमा का पर्व विशेष महत्त्व रखता है। यह त्यौहार आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसे कोजागरी पूर्णिमा और रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण आभा में होता है और उसकी किरणों से औषधीय गुण प्राप्त होते हैं। शरद पूर्णिमा की रात को विशेष रूप से खीर बनाकर चांदनी के नीचे रखा जाता है और सुबह इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।
शरद पूर्णिमा की रात को देवी लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्त्व होता है। ऐसी मान्यता है कि इस रात को जो जागते रहते हैं और लक्ष्मी माता की पूजा करते हैं, उन्हें देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनका घर धन-धान्य से भरा रहता है। इस दिन व्रत रखने और दान-पुण्य करने का विशेष महत्त्व है। शरद पूर्णिमा को भगवान कृष्ण द्वारा गोपियों के साथ रास लीला करने का दिन भी माना जाता है।
300 शब्दों में शरद पूर्णिमा पर निबंध
हिंदू धर्म में अश्विन महीने में पड़ने वाले शरद पूर्णिमा का पर्व अत्यधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन को भारत के विभिन्न प्रांतों में कोजागरी पूर्णिमा, रास पूर्णिमा और आश्विन पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दौरान चंद्रमा अपनी पूर्ण चमक के साथ आकाश में दिखाई देता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों में विशेष औषधीय गुण होते हैं। ये मानव स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माने जाते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात को विशेष रूप से खीर बनाकर चांदनी के नीचे रखा जाता है। इस खीर को अगली सुबह प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। यह माना जाता है कि चंद्रमा की किरणों के प्रभाव से खीर में औषधीय गुण बढ़ जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। भारत के कई राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम और त्रिपुरा में शरद पूर्णिमा की रात को देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत रखने का विशेष महत्त्व है और जो लोग रात भर जागकर देवी लक्ष्मी की आराधना करते हैं, उन्हें लक्ष्मी माता का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
एक अन्य पौराणिक कहानी के अनुसार, शरद पूर्णिमा को भगवान कृष्ण द्वारा गोपियों के साथ रास लीला करने का भी दिन माना जाता है। इसलिए इसे रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन धन-धान्य, सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए पूजा और दान-पुण्य का विशेष महत्त्व होता है। यह त्यौहार न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी लाभकारी माना जाता है।