Durga Puja 2024: देश के कई प्रदेशों में दुर्गा पूजा का आयोजन धूमधाम और बड़े ही उत्साह के साथ किया जा रहा है। दुर्गा पूजा के त्योहार के रंग में पूरा देश रंग चुका है। विशेष रूप से दुर्गा पूजा भारत के पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, असम, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में मनाया जाता है। महालया के बाद देवी पक्ष की शुरुआत होती है।
भारत में दुर्गा पूजा को एक महत्वपूर्ण पर्व के रूप में मनाया जाता है। दुर्गा पूजा के दौरान देवी दुर्गा की आराधना और शक्ति की उपासना की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि दुर्गा पूजा के दौरान देवी दुर्गा अपने बच्चों के साथ अपने माइके आती है और इसे ही उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
दुर्गा पूजा के दौरान विशेष रूप से देवी दुर्गा के बच्चों अर्थात लक्ष्मी माता, सरस्वती माता, भगवान श्री गणेश और कार्तिक की भी पूजा अर्चना की जाती है। मां के माइके आने की खुशी में पूरा देश झूम उठता है और इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है। इस लेख में हम तीन अलग-अलग दुर्गा पूजा पर निबंध प्रस्तुत कर रहे हैं। ये दुर्गा पूजा निबंध स्कूली बच्चों को दुर्गा पूजा के महत्व, इसके अनुष्ठानों और परंपराओं के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे। यदि आप दुर्गा पूजा पर आयोजित निबंध प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे हैं तो इस लेख से सहायता ले सकते हैं।
दुर्गा पूजा पर निबंध कैसे लिखें? Durga Puja Essay in Hindi
दुर्गा पूजा पर नीचे दिए गए तीनों निबंध विभिन्न आयु वर्ग के छात्रों के लिए उपयुक्त हैं। इनमें दुर्गा पूजा के महत्व, उसकी परंपराओं और उससे जुड़े सांस्कृतिक पक्षों की विस्तृत जानकारी दी जा रही है।
100 शब्दों में दुर्गा पूजा पर निबंध
दुर्गा पूजा एक प्रसिद्ध भारतीय त्यौहार है। यह मुख्यतः पश्चिम बंगाल में मनाया जाता है। यह मां दुर्गा के राक्षस महिषासुर पर विजय की खुशी में मनाया जाता है। इस त्योहार में माँ दुर्गा की मूर्ति स्थापित की जाती है और उनकी पूजा की जाती है। लोग पंडाल सजाते हैं, भक्तजन पूजा अर्चना करते हैं और नाच-गाने समेत कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। दुर्गा पूजा हमें बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देती है। इस दौरान लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर खुशियां मनाते हैं और नए कपड़े पहनते हैं। लोग पूजा के दौरान मां दुर्गा से शक्ति और खुशहाली का आशीर्वाद मांगते हैं। यह त्यौहार विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम और झारखंड में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
250 शब्दों में दुर्गा पूजा पर निबंध
भारत में दुर्गा पूजा एक बहुत ही लोकप्रिय त्यौहार है। दुर्गा पूजा विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और झारखंड में मनाया जाता है। दुर्गा पूजा के दौरान विशेष रूप से देवी दुर्डी की प्रतिमा स्थापित की जाती है और उनकी अराधना की जाती है। लोग पंडालों में मां दुर्गा की भव्य मूर्तियां स्थापित करते हैं और रोजाना उनकी पूजा करते हैं। दुर्गा पूजा के दौरान संधि पूजा का विशेष महत्व है।
दुर्गा पूजा के समय लोग पारंपरिक नए परिधान पहनते हैं। दुर्गा पूजा के उत्साह को और अधिक बढ़ाने के लिए कई पंडालों और दुर्गा पूजा समितियों द्वारा नाच-गाना और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। विशेष रूप से महाअष्टमी और महानवमी के दिन पूजा का विशेष महत्व होता है। दुर्गा पूजा को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, ये माना जाता है कि देवी दुर्गा ने असुर महिषासुर से युद्ध करने का निर्णय लिया था। करीब 10 दिनों के भीषण युद्ध के बाद इस दिन मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध किया था। यह पर्व सभी को अच्छाई और न्याय के मार्ग पर चलने का संदेश देता है।
दुर्गा पूजा के दौरान लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर खुशियां मनाते हैं। इस दौरान नए कपड़े पहनने का रिवाज है। लोग विभिन्न पकवान बनाते हैं और एक-दूसरे के साथ बांटते हैं। इस समय बाजारों में खूब रौनक होती है और चारों तरफ उत्साह और उमंग का माहौल रहता है। मां दुर्गा की पूजा से हमें जीवन में धैर्य और साहस की प्रेरणा मिलती है।
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500 शब्दों में दुर्गा पूजा पर निबंध
दुर्गा पूजा भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। दुर्गा पूजा का त्योहार भारत के कई प्रदेशों में बड़े ही उत्साह और आनंद के साथ मनाया जाता है। दुर्गा पूजा खासतौर पर बंगाली समुदाय के लोगों का विशेष पर्व है। दुर्गा पूजा का त्योहार विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, असम, छत्तीसगढ़ और झारखंड में बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
यह त्यौहार देवी दुर्गा की शक्ति और साहस को समर्पित है। दुर्गा पूजा आश्विन महीने में नवरात्रि के दौरान मनाई जाती है। महालया के बाद से ही दुर्गा पूजा का उत्साह शुरू हो जाता है। दुर्गा पूजा के पहले दिन से ही लोग पंडाल सजाते हैं। ये पंडाल बहुत ही भव्य और आकर्षक होते हैं और इन्हें विभिन्न थीम पर सजाये जाते हैं। मां दुर्गा की मूर्तियां मिट्टी से बनाई जाती हैं और उन पर सुन्दर वस्त्र और आभूषण पहनाये जाते हैं। दुर्गा पूजा के दौरान लोग देवी दुर्गा के मंत्रो का उच्चारण करते हैं और भक्ति गीत गाते हैं। दुर्गा पूजा के दौरान महाअष्टमी और महानवमी के दिन पूजा का विशेष महत्व होता है। दुर्गा पूजा के दौरान संधि पूजा का भी आयोजन किया जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, दुर्गा पूजा का धार्मिक महत्व मां दुर्गा और राक्षस महिषासुर की कहानी से जुड़ा है। महिषासुर ने देवताओं को हराकर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था। तब देवताओं ने मां दुर्गा की रचना की। मां दुर्गा ने नौ दिनों तक महिषासुर से युद्ध किया और दसवें दिन उसे मार दिया। इस घटना के प्रतीकस्वरूप दुर्गा पूजा का त्योहार मनाया जाता है। इस त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।
दुर्गा पूजा के त्यौहार के दौरान लोग पारंपरिक लेकिन नए परिधान पहनते हैं। महिलाएं साड़ी और पुरुष धोती पहनते हैं और मां दुर्गा की पूजा करते हैं। इस समय सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है जिसमें लोग नृत्य, नाटक और गीत प्रस्तुत करते हैं। बच्चों के लिए यह समय बहुत ही मनोरंजक होता है क्योंकि वे पंडाल घूमते हैं, मिठाइयां खाते हैं और नए कपड़े पहनते हैं।
दुर्गा पूजा का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि सामाजिक भी है। यह समय होता है जब सभी लोग मिलकर खुशियां मनाते हैं, चाहे वे किसी भी जाति या धर्म के हों। यह पर्व हमें एकता, भाईचारे और शांति का संदेश देता है। दुर्गा पूजा हमें सिखाती है कि हमें हर बुराई से लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिये। यह पर्व से हमें यह सीख भी मिलती है कि सत्य और न्याय की हमेशा जीत होती है और हमें हमेशा अच्छाई के मार्ग पर चलते रहना चाहिये।