दशहरा भारतीय संस्कृति और मूल्यों का प्रतीक है। यह त्योहार हमें यह याद दिलाता है कि अच्छाई की हमेशा जीत होती है और बुराई को पराजित किया जा सकता है। इस पावन पर्व के माध्यम से हम जीवन में सत्य, साहस और कर्तव्यपरायणता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं।
दशहरा के अवसर पर स्कूल में कई तरह की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है कि निबंध प्रतियोगिता आदि। आज के इस लेख में हम कक्षा 7वीं, 9वीं और 11वीं के छात्रों के लिए निबंध लेकर आएं है जो कि आपकी प्रतियोगिता जीतने में मदद कर सकते हैं।
दशहरा पर निबंध (कक्षा 7 के छात्रों के लिए)
दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और इसे हर साल पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। दशहरा मुख्य रूप से भगवान राम द्वारा राक्षस राजा रावण के वध की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने माता सीता का हरण किया था। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध कर धर्म और सत्य की जीत की थी।
दशहरा का संबंध देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय से भी है। नवरात्रि के नौ दिन देवी दुर्गा की पूजा की जाती है और दसवें दिन उनकी जीत का जश्न दशहरा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के विशाल पुतले जलाए जाते हैं, जो बुराई के अंत का प्रतीक हैं। जगह-जगह रामलीला का आयोजन होता है, जिसमें भगवान राम के जीवन की घटनाओं को नाटक के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
यह पर्व हमें सिखाता है कि सत्य और धर्म की हमेशा जीत होती है, चाहे बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो। दशहरा हमारे जीवन में नैतिकता, सच्चाई और अच्छाई के महत्व को रेखांकित करता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं और मेलों का आनंद लेते हैं।
अंततः, दशहरा हमें सिखाता है कि हमें अपने जीवन में बुराई का त्याग कर, सच्चाई और धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए।
दशहरा पर निबंध (कक्षा 9 के छात्रों के लिए)
दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और हर साल अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। दशहरे का संबंध मुख्य रूप से दो प्रमुख कथाओं से है-भगवान राम द्वारा रावण के वध की कहानी और देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय की गाथा।
दशहरे का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
धार्मिक दृष्टिकोण से, दशहरा हमें भगवान राम की रावण पर जीत की याद दिलाता है। भगवान राम ने अपनी पत्नी सीता को राक्षस राजा रावण से मुक्त कराने के लिए युद्ध किया और दशहरे के दिन उन्हें पराजित किया। रामायण के इस प्रसंग से यह संदेश मिलता है कि बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, सत्य और धर्म की विजय निश्चित होती है।
इसी प्रकार, दशहरे का संबंध देवी दुर्गा से भी है। नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा की जाती है, और दसवें दिन दशहरे के रूप में देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय का जश्न मनाया जाता है। यह पर्व शक्ति, साहस और भक्ति का प्रतीक है, और हमें यह सिखाता है कि जब हम धर्म और सच्चाई के मार्ग पर होते हैं, तब हमें विजय अवश्य मिलती है।
रावण दहन और उत्सव की परंपराएं
दशहरे पर रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के विशाल पुतलों का दहन किया जाता है, जो बुराई के नाश का प्रतीक होता है। इस अवसर पर देश के विभिन्न हिस्सों में रामलीला का आयोजन किया जाता है, जिसमें भगवान राम के जीवन और संघर्षों को नाटक के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इसके अलावा, इस दिन मेलों का आयोजन भी किया जाता है, जहां लोग परिवार सहित आनंद लेते हैं।
दशहरे का संदेश
दशहरा केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह जीवन में नैतिकता, सत्य और अच्छाई की विजय का संदेश देता है। यह त्योहार हमें प्रेरित करता है कि हम अपने जीवन में हर बुराई का सामना साहस, सत्य और धर्म के साथ करें।
निष्कर्ष
दशहरा भारतीय संस्कृति और मूल्यों का प्रतीक है। यह पर्व हमें जीवन में सदैव सही मार्ग पर चलने और बुराई से लड़ने का साहस प्रदान करता है।
दशहरा पर निबंध (कक्षा 7 के छात्रों के लिए)
दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, भारत के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्योहार पूरे देश में बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। दशहरा हर साल अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और धार्मिक, सांस्कृतिक तथा ऐतिहासिक दृष्टि से इसका विशेष महत्व है।
दशहरे का धार्मिक महत्व
दशहरा मुख्य रूप से भगवान राम की राक्षस राजा रावण पर विजय के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, रावण ने माता सीता का अपहरण किया था, जिसे छुड़ाने के लिए भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई की थी। राम ने अपनी सेना के साथ मिलकर रावण को पराजित किया और सीता को मुक्त कराया। इस दिन को भगवान राम की विजय के प्रतीक के रूप में हर साल दशहरा के रूप में मनाया जाता है। यह हमें सिखाता है कि चाहे बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, सत्य और धर्म की हमेशा विजय होती है।
दशहरा का संबंध देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय से भी है। नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है और दसवें दिन, जिसे दशहरा कहते हैं, देवी दुर्गा की बुराई पर जीत का उत्सव मनाया जाता है। यह पर्व शक्ति, साहस और नारी शक्ति का भी प्रतीक है।
रावण दहन और अन्य परंपराएं
दशहरे के दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के विशाल पुतलों का दहन किया जाता है। इसे "रावण दहन" कहा जाता है, जो बुराई के अंत का प्रतीक है। इस अवसर पर देश के विभिन्न भागों में रामलीला का आयोजन किया जाता है, जिसमें रामायण की कहानियों का नाटकीय प्रदर्शन होता है। लोग बड़ी संख्या में रामलीला मैदानों में इकट्ठा होते हैं और रावण दहन का दृश्य देखने जाते हैं। इसके अलावा, दशहरे पर मेले और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है, जिसमें लोग उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं।
दशहरे का संदेश
दशहरा हमें सिखाता है कि हमें जीवन में हमेशा सत्य, धर्म और न्याय के मार्ग पर चलना चाहिए। यह पर्व यह भी याद दिलाता है कि बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, उसका अंत निश्चित है। हमें अपने भीतर के रावण जैसे बुरे गुणों को त्याग कर सच्चाई और अच्छाई का मार्ग अपनाना चाहिए।
निष्कर्ष
दशहरा अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है। यह त्योहार हमारे जीवन में नैतिकता, धर्म और सदाचार के महत्व को दर्शाता है। विजयादशमी का पर्व हमें यह संदेश देता है कि हमें हर स्थिति में सत्य और न्याय का पालन करना चाहिए, क्योंकि अंत में सच्चाई की ही जीत होती है।