Difference Between World Teachers Day and Teachers Day in India: प्रत्येक वर्ष 05 अक्टूबर को विश्व शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। हालांकि भारत में इससे ठीक एक महीने पहले यानी 05 सितंबर को शिक्षक दिवस का उत्सव मनाया जाता है। ऐसे में कई लोगों के मन में यह प्रश्न आता है कि आखिर विश्व शिक्षक दिवस और भारतीय शिक्षक दिवस एक दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं।
इस लेख के माध्यम से हम आपको बता रहे हैं कि विश्व शिक्षक दिवस और भारतीय शिक्षक दिवस एक दूसरे के कैसे अलग हैं। साथ ही हम आपको यह भी बतायेंगे कि विश्व शिक्षक दिवस 05 अक्टूबर और भारतीय शिक्षक दिवस 05 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है। इन दोनों दिवस को मनाये जाने का महत्व क्या है आदि। आइए जानते हैं विस्तार से-
आपको बता दें कि विश्व शिक्षक दिवस और भारतीय शिक्षक दिवस दोनों ही शिक्षकों के योगदान को सम्मान देने और उनकी सराहना करने के लिए समर्पित हैं, लेकिन वे अलग-अलग तारीखों पर मनाए जाते हैं और उनके अलग-अलग ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भ होते हैं।
विश्व शिक्षक दिवस और भारतीय शिक्षक दिवस में अंतर
विश्व शिक्षक दिवस और भारतीय शिक्षक दिवस दोनों ही शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका का जश्न मनाते हैं, विश्व शिक्षक दिवस दुनिया भर में शिक्षकों के महत्व पर जोर देने वाला एक वैश्विक उत्सव है, जबकि भारतीय शिक्षक दिवस भारत के लिए विशिष्ट एक राष्ट्रीय उत्सव है, जिसके अंतर्गत शिक्षकों और गुरुओं का सम्मान किया जाता है। देश के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संदर्भ में शिक्षक दिवस बेहद गौरवपूर्ण दिवस है।
विश्व शिक्षक दिवस क्या है?
विश्व शिक्षक दिवस, दुनिया भर में अलग अलग राष्ट्रों में शिक्षकों के कार्य का जश्न मनाने के लिए प्रति वर्ष 5 अक्टूबर को आयोजित किया जाता है। यह एक अंतर्राष्ट्रीय दिवस है और इसे वैश्विक स्तर पर मनाया जाता है। कई राष्ट्रों में इस दिन अवकाश भी रहता है। मालूम हो कि सन् 1994 में स्थापित, यह अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन और संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन द्वारा सिफारिश पर हस्ताक्षर करने के बाद मनाया जाने लगा।
विश्व शिक्षक दिवस से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य
तिथि: विश्व शिक्षक दिवस हर साल 5 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है। इसकी स्थापना 1994 में यूनेस्को द्वारा शिक्षकों को सम्मानित करने और राष्ट्रों के भविष्य को आकार देने में उनकी भूमिका को पहचानने के लिए की गई थी।
वैश्विक महत्व: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सतत विकास को बढ़ावा देने में शिक्षकों के महत्व को स्वीकार करते हुए विश्व शिक्षक दिवस दुनिया भर में मनाया जाता है।
उद्देश्य: इस दिन का उद्देश्य शिक्षकों के लिए समर्थन एकत्रित करना और यह सुनिश्चित करना है कि आने वाली पीढ़ियों की ज़रूरतें शिक्षकों द्वारा पूरी की जाती रहेंगी। यह विश्व स्तर पर शिक्षा प्रणालियों में शिक्षकों की आवश्यक भूमिका पर प्रकाश डालता है।
भारतीय शिक्षक दिवस क्या है?
भारत में देश के दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर, 1962 को हुआ था। देश में शिक्षा के क्षेत्र में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के अमूल्य योगदान का स्मरण करते हुए प्रत्येक वर्ष 05 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में अवकाश होता है। स्कूली एवं कॉलेज के विद्यार्थियों द्वारा इस दिन अपने शिक्षकों के सम्मान में खास कार्यक्रम और विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का भी आयोजन किया जाता है।
कहते हैं जब 1962 में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला, तो उनके छात्र 5 सितंबर को एक विशेष दिन के रूप में मनाने की अनुमति मांगने के लिए उनके पास पहुंचे। इसके बजाय, उन्होंने समाज में शिक्षकों के अमूल्य योगदान को स्वीकार करने के लिए 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का अनुरोध किया। हालांकि देश में गुरु पूर्णिमा को पारंपरिक रूप से हिंदुओं द्वारा शिक्षकों/गुरुओं की पूजा करने के दिन के रूप में भी मनाया जाता है।
भारतीय शिक्षक दिवस से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य
तिथि: भारतीय शिक्षक दिवस हर साल 5 सितंबर को मनाया जाता है। इस तिथि को भारत के दूसरे राष्ट्रपति और प्रसिद्ध विद्वान, दार्शनिक और शिक्षक डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन का सम्मान करने के लिए चुना गया था।
राष्ट्रीय महत्व: भारतीय शिक्षक दिवस मुख्य रूप से भारत में मनाया जाता है। यह छात्रों के लिए अपने शिक्षकों के मार्गदर्शन के लिए उनके प्रति आभार और प्रशंसा व्यक्त करने का दिन है। इस दिन को स्कूलों एवं शिक्षण संस्थानों में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों में आयोजन के साथ धूमधाम से मनाया जाता है। खास कार्यक्रमों में निबंध लेखन, भाषण, क्विज और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल हैं।
ऐतिहासिक संदर्भ: भारत में शिक्षक दिवस मनाने की परंपरा 1962 से चली आ रही है, जब डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के राष्ट्रपति बने। जब उनके छात्रों ने उनसे पूछा कि वह अपना जन्मदिन कैसे मनाना चाहेंगे, तो उन्होंने सुझाव दिया कि उन्हें अपना जन्मदिन मनाने के बजाय, पूरे देश में शिक्षकों को सम्मानित करने के लिए इसे शिक्षक दिवस के रूप में मनाना चाहिये।