पिछले 5 सालों में इंजीनियरिंग कोर्स की बढ़ी मांग, AICTE ने साझा किए आंकडें

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) द्वारा हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में गिरावट के बाद, फिर से इंजीनियरिंग कोर्स, विशेष रूप से कंप्यूटर विज्ञान, इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल जैसी मुख्य शाखाओं की मांग बढ़ रही है। इस दौरान कॉलेजों में इंजीनियरिंग के लिए प्लेसमेंट भी बढ़े हैं। यही कारण है कि परिषद ने इस महीने की शुरुआत में नए इंजीनियरिंग कॉलेजों पर रोक हटाने का फैसला किया, जिसका मतलब है कि शैक्षणिक वर्ष 2023-24 से और अधिक इंजीनियरिंग कॉलेजों को खोलने की अनुमति दी जाएगी।

कंप्यूटर विज्ञान और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों के बीच शीर्ष पसंद बने हुए हैं, जबकि मैकेनिकल और सिविल में प्रतिशत, हालांकि हाल के वर्षों में, तुलनात्मक रूप से कम बना हुआ है। सभी इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में कुल प्रवेश प्रतिशत भी पिछले पांच वर्षों में बढ़ा है। 2017-18 में, 35,50,947 सीटों में से 18,95,452 सीटें भरी गईं, जिससे प्रवेश प्रतिशत 53 प्रतिशत हो गया। 2021-22 में, प्रस्ताव पर 29,76,777 सीटों में से 17,59,885 भरी गईं, जिससे प्रवेश प्रतिशत 59 प्रतिशत हो गया।

पिछले 5 सालों में इंजीनियरिंग कोर्स की बढ़ी मांग, AICTE ने साझा किए आंकडें

एआईसीटीई के आंकड़ों के मुताबिक 2017-18 में कंप्यूटर साइंस में दाखिले का प्रतिशत 63 फीसदी था, जो 2018-19 में 69 फीसदी और 2019-20 में 79 फीसदी हो गया। 2020-21 में प्रतिशत घटकर 77 हो गया और फिर 2021-22 में फिर से उछलकर 84 हो गया।

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इसी तरह, मैकेनिकल इंजीनियरिंग में प्रवेश प्रतिशत 2017-18 में 47 था जो 2018-19 में घटकर 43 रह गया। 2019-20 और 2020-21 में यह क्रमशः 40 और 36 प्रतिशत तक नीचे चला गया। प्रतिशत अब 2021-22 में 45.9 तक वापस आ गया है।

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इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग के लिए, प्रवेश प्रतिशत 2017-18 में 47.6 प्रतिशत, 2018-19 में 50 प्रतिशत था और फिर 2020-21 में 55.3 से नीचे जाने से पहले 2019-20 में फिर से बढ़कर 56.6 प्रतिशत हो गया। 67.3 पर, प्रवेश प्रतिशत 2021-22 में पांच साल के उच्च स्तर पर था।

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डेटा सिविल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग जैसी अन्य शाखाओं में भी प्रवेश प्रतिशत में गिरावट और फिर बढ़ने का एक समान रुझान दिखाता है।

दरअसल, 2020 में एआईसीटीई ने नए इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने पर रोक लगा दी थी क्योंकि यह देखा गया था कि इंजीनियरिंग की मांग कम थी और सीटें अधिक थीं हालांकि, अब ऐसा नहीं है। जिस वजह से काउंसिल ने संस्थानों से कोर कोर्स के साथ-साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग जैसे उभरते क्षेत्रों में पाठ्यक्रम खोलने का भी आग्रह किया है।

प्लेसमेंट में हुई वृद्धि

एआईसीटीई रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में छात्रों का प्लेसमेंट प्रतिशत सबसे अधिक 2021-22 में रहा जबकि सबसे कम 2017 से 2018 में रहा।

पिछले पांच सालों का प्लेसमेंट प्रतिशत

  • 2017-18 में 15,73,142 उत्तीर्ण छात्रों में से 7,16,370 को प्लेसमेंट मिली, जिससे प्लेसमेंट प्रतिशत 45% हो गया।
  • 2021-22 में, पास आउट हुए 10,66,921 में से 8,22,819 को प्लेसमेंट दिया गया - जिससे की प्लेसमेंट प्रतिशत में 77% का सुधार हुआ।
  • आंकड़ों के मुताबिक, 2020-21 में 67 फीसदी के मुकाबले 2021-22 में इंजीनियरिंग कोर्स में 77 फीसदी छात्रों का प्लेसमेंट हुआ।
  • 2019-20 में प्लेसमेंट प्रतिशत 59.6 प्रतिशत था, जो 2018-19 के 50 प्रतिशत से थोड़ा अधिक था।
  • सबसे कम प्लेसमेंट प्रतिशत 2017-2018 में 45% रहा।
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English summary
According to the recently released data by the All India Council for Technical Education (AICTE), after a decline over the past few years, the demand for engineering courses, especially core branches like computer science, electronics and mechanical, is on the rise again. During this, placements for engineering in colleges have also increased.
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