CV Raman Biography in Hindi: भारत के महान वैज्ञानिक सर सीवी रमन का जन्म 7 नवंबर 1888 को तमिलनाडु के त्रिचिनोपॉली में हुआ था और उनका निधन 21 नवंबर 1970 को बैंगलोर में हुआ था। सीवी रमन का पूरा नाम सर चंद्रशेखर वेंकट रमन है, वह एक भौतिक विज्ञानी थे।
भारत में हर साल सर सीवी रमन की जन्म जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (National Science Day) मनाया जाता है। सर सीवी रमन ने 42 साल की उम्र में सन 1928 में एक ऐसी खोज की जिसे उनके नाम से जाना जाता है। वर्ष 1930 में इस खोज के लिए उन्हें भौतिकी में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। आइए जानते हैं भारत के महान वैज्ञानिक प्रोफेसर सीवी रमन की 134वीं जयंती पर उनके जीवन से जुड़ी खास बातें।
सीवी समन का प्रारंभिक जीवन
भारतीय भौतिक वैज्ञानिक सर सीवी रमन का पूरा नाम चंद्रशेखर वेंकट रमन है। सीवी रमन का जन्म 7 नवंबर 1888 को मद्रास प्रेसिडेंसी के तिरुचिरापल्ली के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। सीवी रमन के पिता का नाम चंद्रशेखर रामनाथन अय्यर और माता का नाम पार्वती अम्मल है। सीवी रमन ने तिरुचिरापल्ली से अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी की और कक्षा 10वीं में टॉप किया। आगे की पढ़ाई की लिए उन्होंने प्रेसिडेंसी कॉलेज (मद्रास) में एडमिशन लिया।
भौतिकी के लिए नोबेल पुरस्कार
वर्ष 1907 में उन्होंने भारत सरकार की वित्त विभाग में अकाउन्टेंट के रूप में कार्यभार संभाला। 1917 में वह कलकत्ता यूनिवर्सिटी में फिजिक्स के प्रोफेसर बनें। वर्ष 1028 में उन्होंने रमन प्रभाव नामक अभूतपूर्व खोज की, जब एक माध्यम में एक किरण बिखरी हुई होती है तो प्रकाश की तरंग दैर्ध्य में परिवर्तन की घटना होती है। इस खोज के लिए 1930 में भौतिकी के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
1929 में नाइट की उपाधि
चंद्रशेखर वेंकट रमन या सीवी रमन को 1929 में नाइट की उपाधि दी गई थी और 1933 में वे भौतिकी विभाग के प्रमुख के रूप में बैंगलोर में भारतीय विज्ञान संस्थान में चले गए। 1947 में उन्हें वहां रमन अनुसंधान संस्थान का निदेशक नामित किया गया और 1961 में वे परमधर्मपीठीय विज्ञान अकादमी के सदस्य बनें। उन्होंने अपने समय में लगभग हर भारतीय शोध संस्थान के निर्माण में योगदान दिया। इंडियन जर्नल ऑफ फिजिक्स और इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेज की स्थापना की और सैकड़ों छात्रों को प्रशिक्षित किया। वह सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर के चाचा थे, जिन्होंने विलियम फाउलर के साथ 1983 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार जीता था।
सीवी रमन की उपलब्धियां
1. रमन ने शुरुआत में प्रकाशिकी और ध्वनिकी के क्षेत्र में एक छात्र के रूप में काम किया।
2. उन्होंने 1907 में प्रेसीडेंसी कॉलेज, मद्रास विश्वविद्यालय से भौतिकी में मास्टर डिग्री पूरी की और भारत सरकार के वित्त विभाग में एक लेखाकार के रूप में काम किया। 1917 में वह कलकत्ता विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर के रूप में शामिल हुए।
3. रमन भारतीय शास्त्रीय संगीत के शौकीन थे और तार वाले वाद्ययंत्रों की ध्वनिकी में गहरी रुचि रखते थे। उन्होंने एक यांत्रिक वायलिन का निर्माण भी किया।
4. सर सीवी रमन की खोजों में से एक वायलिन की आवृत्ति प्रतिक्रिया और इसकी गुणवत्ता से संबंधित है। आवृत्ति प्रतिक्रिया वक्र को 'रमन वक्र' के रूप में जाना जाता है।
5. रमन ने कलकत्ता में इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस (IACS) में अपना शोध जारी रखा, जबकि उन्होंने विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में काम किया। बाद में वह एसोसिएशन में मानद विद्वान बन गए।
6. यह IACS में था कि रमन ने अभूतपूर्व प्रयोग किया जिसने अंततः उन्हें भौतिकी में नोबेल पुरस्कार दिलाया। उन्होंने पाया कि जब प्रकाश एक पारदर्शी पदार्थ से एक आवृत्ति से होकर गुजरता है, तो प्रकाश का एक छोटा हिस्सा मूल दिशा में समकोण पर विक्षेपित हो जाता है। इनमें से कुछ प्रकाश आपतित प्रकाश की तुलना में भिन्न आवृत्तियों के भी प्रतीत होते हैं।
7. 1924 में रमन रॉयल सोसाइटी के फेलो बन गए और 1929 में उन्हें नाइट की उपाधि दी गई।
रमन और सूरी भगवंतम ने 1932 में क्वांटम फोटॉन स्पिन की खोज की, जिसने आगे प्रकाश की क्वांटम प्रकृति को साबित किया।
8. सन् 1932 में रमन बैंगलोर में भारतीय विज्ञान संस्थान में भौतिकी विभाग के प्रमुख के रूप में शामिल हुए। वह 1948 में बैंगलोर में रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक बने और 21 नवंबर 1970 को अपनी मृत्यु तक इस पद पर बने रहे।