Constitution Day 2024; National Pledge in Hindi: आज 26 नवंबर है। आज ही के दिन भारतीय संविधान को संविधान सभा द्वारा स्वीकृति दी गई थी। संविधान से ही हमारे देश की पहचान है। इस दिन हमें अपने संविधान की महानता और इसके मूल्यों पर गर्व महसूस होता है। भारतीय संविधान के महत्व को लेकर देश के सभी वर्ग, धर्म के लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए इस विशेष दिन को मनाया जाता है।
इस दिन को स्कूल और कॉलेजों में कई प्रकार की गतिविधियों और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। संविधान दिवस पर आयोजित कार्यक्रमों में विद्यार्थी संविधान से जुड़े विभिन्न पहलुओं को सीखते हैं। स्कूल के दिनों में हमें "National Pledge" या राष्ट्रीय शपथ को पढ़ने की आदत थी, जिससे हमारे मन में देशभक्ति और समाज के प्रति कर्तव्य की भावना जागती थी। क्या आपको आज भी स्कूल में पढ़ा,राष्ट्रीय शपथ याद है, या स्कूल से निकलते ही आप वह भूल चुके हैं? आइए, आज संविधान दिवस के अवसर पर स्कूल में पढ़े गए राष्ट्रीय शपथ को फिर से याद करते हैं। "National Pledge" पढ़ने से आज हमारे बचपन की यादें ताजा हो जायेंगी।
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कब पढ़ा जाता है राष्ट्रीय शपथ?
आमतौर पर गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर स्कूल और कॉलेजों में या फिर सार्वजनिक आयोजनों में राष्ट्रीय शपथ दोहराई जाती है। राष्ट्रीय शपथ को साल 1962 में लेखक प्यिदीमर्री वेंकट सुब्बाराव ने लिखा था। राष्ट्रीय शपथ को मूल रूप से तेलुगू भाषा में लिखा गया, जिसका बाद में कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया गया। स्कूलों और अन्य सार्वजनिक कार्यक्रमों में आमतौर पर हिंदी या अंग्रेजी में राष्ट्रीय शपथ दोहराई जाती है। सार्वजनिक तौर पर राष्ट्रीय शपथ को पहली बार वर्ष 1963 में विशाखापट्टणम के एक स्कूल में पढ़ा गया।
हिंदी में पढ़े राष्ट्रीय शपथ
" भारत मेरा देश है। सभी भारतवासी मेरे भाई-बहन हैं।
मैं अपने देश से प्रेम करता हूं। इसके समृद्ध एवम् विविध संस्कृति पर मुझे गर्व है।
मैं सदैव इसके योग्य बनने का प्रयास करूंगा।
मैं अपने माता-पिता, शिक्षकों और सभी बड़ों का सम्मान करूंगा और सभी के साथ विनम्रता से पेश आऊंगा।
मैं अपने देश और अपने लोगों के प्रति अपनी निष्ठा रखने की प्रतिज्ञा लेता हूं। उनकी खुशहाली और समृद्धि में ही मेरी खुशी निहित है।"
अंग्रेजी में पढ़ें National Pledge
"India is my country and all Indians are my brothers and sisters.
I love my country and I am proud of its rich and varied heritage.
I shall always strive to be worthy of it.
I shall give my parents, teachers and all elders respect and treat everyone with courtesy.
To my country and my people, I pledge my devotion. In their well-being and prosperity alone lies my happiness."