10 लाइन में जानिए कौन थे डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी और उनके योगदान

Best 10 Lines On Dr Shyama Prasad Mukherjee 2023 UPSC Notes/Speech/Essay: एक राजनीतिज्ञ, बैरिस्टर और शिक्षाविद के रूप में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पहचान की जाती है। 1947 में देश आजाद होने के बाद डॉ मुखर्जी नेहरू के मंत्रिमंडल में केंद्रीय मंत्री चुने गये। नेहरू से मतभेद के बाद उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना की, जो अब भातरीय जनता पार्टी के रूप में जाना जाता है। आज हम यहां डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जीवन से जुड़ी 10 रोचक बातें आपको बता रहे हैं।

10 लाइन में जानिए कौन थे डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी और उनके योगदान

23 जुन को जनसंघ के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुख़र्जी का निधन हुआ। भारतीय जनता पार्टी द्वारा देश भर में इस दिवस को बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है और उनके योगदानों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। आइए डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर जानें उनके जीवन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों को। विभिन्न राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षा शामिल होने वाले उम्मीदवार अपनी तैयारी के लिए और नोट्स बनाने के लिए इस लेख से सहायता ले सकते हैं।

6 जुलाई, 1901 को एक प्रसिद्ध परिवार में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म हुआ। उन्होंने अपनी स्नातक की डिग्री कलकत्ता विश्वविद्यालय से प्राप्त करने के बाद वह 1923 में सीनेट में शामिल हो गए। अपने पिता की मृत्यु के बाद डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1924 में कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक वकील के रूप में दाखिला लिया। इसके बाद वह 1926 में लिंकन इन में अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड चले गए। 1927 में वे बैरिस्टर बन गए।

सबसे कम उम्र में बनें कुलपति

33 साल की उम्र में, वह कलकत्ता विश्वविद्यालय के दुनिया के सबसे कम उम्र के कुलपति बने और 1938 तक इस पद रहते हुए अपनी सेवाएं दी। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई रचनात्मक सुधार किए और एशियाटिक सोसाइटी ऑफ कलकत्ता में सक्रिय रहे। साथ ही कोर्ट और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बैंगलोर की परिषद के सदस्य और इंटर-यूनिवर्सिटी ऑफ बोर्ड के अध्यक्ष भी रहें।

राजनीति में कैसे हुआ डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का प्रवेश

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1929 में की। उन्हें कलकत्ता विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करने वाले कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में बंगाल विधान परिषद के सदस्य के रूप में चुना गया, हालांकि अगले ही वर्ष जब कांग्रेस ने विधायिका का बहिष्कार करने का फैसला किया तो उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उन्होंने एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और निर्वाचित भी हुए। इसी के साथ 1937 में, जनता द्वारा चुने जाने के बाद कृषक प्रजा पार्टी सत्ता में आई।

जब कृषक प्रजा पार्टी - मुस्लिम लीग गठबंधन 1937-41 में सत्ता में था, तब वह विपक्ष के नेता बने और फजलुल हक की अध्यक्षता वाले प्रगतिशील गठबंधन मंत्रालय में वित्त मंत्री के रूप में शामिल हुए, हालांकि उस दौरान एक साल से भी कम समय के भीतर इस्तीफा दे दिया। वह हिंदुओं के प्रवक्ता के रूप में उभरे और जल्द ही हिंदू महासभा में शामिल हो गए और 1944 में वह संगठन के अध्यक्ष चुने गये।

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी पर 10 लाइन का भाषण | 10 Lines On Shyama Prasad Mukherjee

  1. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई, 1901 को कलकत्ता में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वह एक भारतीय राजनीतिज्ञ, बैरिस्टर और शिक्षाविद थे, जिन्होंने प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में उद्योग और आपूर्ति मंत्री के रूप में कार्य किया।
  2. 1934 में 33 साल की उम्र में श्यामा प्रसाद मुखर्जी कलकत्ता विश्वविद्यालय के सबसे कम उम्र के कुलपति बनें।
  3. डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी कुलपति के रूप में कार्यकाल के दौरान, रवींद्रनाथ टैगोर ने पहली बार बंगाली में विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया और शिक्षा के लिए भारतीय स्थानीय भाषा को एक विषय के रूप में शामिल किया।
  4. उन्होंने 1946 में बंगाल के हिंदू-बहुल क्षेत्रों को मुस्लिम-बहुल पूर्वी पाकिस्तान में शामिल होने से रोकने के लिए विभाजन की मांग की।
  5. डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1947 में सुभाष चंद्र बोस के भाई शरत बोस और बंगाली मुस्लिम राजनेता हुसैन शहीद सुहरावर्दी द्वारा किए गए एकजुट लेकिन स्वतंत्र बंगाल के असफल प्रयास का भी विरोध किया।
  6. गांधीजी की हत्या के बाद, वह चाहते थे कि हिंदू महासभा केवल हिंदुओं तक ही सीमित न रहे या जनता की सेवा के लिए एक अराजनीतिक संस्था के रूप में काम न करे और इसी मुद्दे पर 23 नवंबर, 1948 को महासभा से अलग हो गए।
  7. पंडित नेहरू ने उन्हें अंतरिम केंद्र सरकार में उद्योग और आपूर्ति मंत्री के रूप में शामिल किया। लिकायत अली खान के साथ दिल्ली समझौते के मुद्दे पर मुखर्जी ने 6 अप्रैल 1950 को मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया।
  8. आरएसएस के गोलवलकरगुरुजी से परामर्श के बाद मुखर्जी ने 21 अक्टूबर 1951 को दिल्ली में भारतीय जनसंघ की स्थापना की और वे इसके पहले अध्यक्ष बने। बाद में यह आधुनिक रूप से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के रूप में जाना जाने लगा।
  9. 1952 के चुनावों में, भारतीय जनसंघ ने संसद में 3 सीटें जीतीं, उनमें से एक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की सीट थी। उन्होंने संसद के भीतर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का गठन किया था, जिसमें 32 सांसद और 10 राज्यसभा सदस्य शामिल थे, जिसे हालांकि स्पीकर द्वारा विपक्षी दल के रूप में मान्यता नहीं दी गई थी।
  10. 1953 में, कश्मीर को दिए गए विशेष दर्जे का विरोध करने के लिए उन्होंने बिना अनुमति के कश्मीर में प्रवेश करने की कोशिश की और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। हिरासत के दौरान रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई।
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English summary
Best 10 Lines On Dr Shyama Prasad Mukherjee 2023 UPSC Notes/Speech/Essay: Dr. Shyama Prasad Mukherjee is recognized as a politician, barrister and educationist. In 1947, Dr. Mukherjee was elected Union Minister in Nehru's cabinet. In 1951, he founded the Bharatiya Jana Sangh, now known as the Bharatiya Janata Party. Today we will tell you 10 interesting things related to the life of Dr. Shyama Prasad Mukherjee.
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