लखनऊ विश्वविद्यालय के संस्कृत तथा प्राकृत भाषा विभाग में शिक्षक पर्व 5 सितंबर से 9 सितंबर 2022 के आयोजन के उपलक्ष्य में आज 9 सितंबर को एक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय के संरक्षकत्व में उक्त आयोजन "राष्ट्रीय शिक्षानीति- भारतीयता की पुनर्स्थापना का प्रयास" विषय पर किया गया। विज्ञान की गूढता, दर्शन की अलौकिकता ,साहित्य का अद्भुत रस इन समस्त तत्वों का सम्मिलित रूप वेदों में प्राप्त होता है। प्राचीन गुरुकुल पद्धति में यह ज्ञान सरल रूप में शिष्यों को श्रुति परम्परा द्वारा प्राप्त हो जाता था।
यह व्याख्यान राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर मनोज कुमार दीक्षित ने मुख्य वक्ता के रूप में दिया। प्रोफेसर दीक्षित लखनऊ विश्वविद्यालय के लोक प्रशासन विभाग में विभागाध्यक्ष पद पर आसीन हैं।
पञ्च दिवसीय शिक्षकपर्व महोत्सव के उपलक्ष्य में संस्कृत तथा प्राकृत भाषा विभाग में आयोजित विशिष्ट व्याख्यान कार्यक्रम की अध्यक्षता कला संकाय की अधिष्ठाता प्रो. प्रेमसुमन शर्मा जी ने की। विद्वान मुख्य वक्ता ने अनेकानेक संदर्भ ग्रंथों के माध्यम से भारतीय शिक्षा के महत्त्व को रेखांकित किया।
राष्ट्रीय शिक्षानीति के विविध पहलुओं को वक्ता ने सरल सहज शब्दों में स्पष्ट किया। आचार्य दीक्षित ने बताया कि यह पॉलिसी मैकोले द्वारा स्थापित 1845 की शिक्षानीति में प्रतिपादित कोलोनियल मानसिकता परक शिक्षा नीति को परिवर्तित करने का उपक्रम है।
यह नीति शिक्षा में आमूल चूल परिवर्तन के साथ शिक्षण में क्षैतिज पद्धति के स्थान पर वर्टिकल लंबवत पद्धति की पुष्टि करती है। यह शिक्षा नीति वस्तुतः शिक्षा को अध्येता केंद्रित के स्थान पर अधिगम केंद्रित करने को कहती है। इस पद्धति के सम्पूर्ण क्रियान्वयन में 10 वर्ष का समय दिया गया है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. अशोक कुमार शतपथी ने किया। संस्कृत तथा प्राकृत भाषा विभाग तथा कार्यक्रम के संयोजक डॉ. अभिमन्यु सिंह ने स्वागत भाषण तथा डॉ. सत्यकेतु द्वारा विषय प्रवर्तन किया गया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. ऋचा पाण्डेय द्वारा किया गया।
विभाग के अन्य अध्यापक डॉ. गौरव सिंह,डॉ. ब्रजेश सोनकर, प्राच्य संस्कृत के डॉ. प्रेरणा माथुर एवं डॉ. श्यामलेश तिवारी तथा विश्वविद्यालय के अन्य विभाग के अध्यापक प्रो. अशोक दुबे, प्रो. रीता तिवारी , डॉ. मांडवी सिंह, डॉ. सान्त्वना द्विवेदी, डॉ. उमा सिंह एवं डॉ. लक्ष्मी नारायण यादव आदि सह संबद्ध महाविद्यालयों के अध्यापक तथा शताधिक छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।